#ShriKrishna_Janmashtami 2020 : भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी थी रुक्मिनी, लेकिन पूजी जाती हैं राधा की, जानें क्यों ?
धर्म डेस्क। कृष्ण जन्माष्टमी नाम से ही स्पष्ट है कि भगवान कृष्ण जी का जन्म दिवस है लेकिन पूर्ण परमात्मा तो मां के गर्भ में से जन्म नहीं लेते। इन दिनों कृष्ण जन्माष्टमी की तैयारी जोरों पर है। इस मौके पर मथुरा-वृंदावन से लेकर भारत समेत दुनियाभर के तमाम मंदिरों में तैयारी जोरों पर है। मान्यता के अनुसार कृष्ण-कन्हैया का जन्म भद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि (आठवें दिन) को मनाई जाती है। भगवान श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु का एक अवतार माना जाता है। मान्यता के मुताबिक इस दिन सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में आठवां अवतार लिया था।
माखन चोर और रास रसैया की पूजा तब तक अधूरी है जब तक उनके साथ राधा का नाम ना लिया जाए। भक्तों के मन में एक और सवाल लगातार उठता है कि भगवान कृष्ण की पत्नी रुक्मिनी थीं तो फिर उनके साथ उनकी तस्वीरें क्यों नहीं दिखती। भगवान कृष्ण की तस्वीरें सिर्फ राधा के साथ ही क्यों दिखती है। इतना ही नहीं कृष्ण और राधा का प्रेम बेहद ही अलौकिक और पवित्र है, बावजूद इसके राधा केवल कृष्ण की प्रेमिका ही बनकर रह गईं, वो उनकी पत्नी नहीं बन पाई, आखिर क्यों ऐसा हुआ। इस मौके पर भक्तों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि भगवान कृष्ण ने राधा से प्रेम के बावजूद उनसे शादी नहीं की। भगवान कृष्ण ने रुक्मिनी से शादी की।
ऐसे में आपको जानकर हैरत होगी कि प्राचीन पुराणों में कहीं भी राधा का जिक्र नहीं है, जबकि धर्मशास्त्री कहते हैं कि राधा और श्रीकृष्ण का प्रेम बचपन का था, राधा और कन्हैया जी जब मिले थे तो उस वक्त राधा 10 बरस की और कान्हा 8 साल के थे। वो दोनों ही बच्चे और अबोध थे, दोनों एक-दूसरे के मित्र थे, कृष्ण की लीलाओं से राधा को जल्द ही एहसास हो गया था कि वो जिनसे प्रेम करती हैं, वो खुद परमेश्वर हैं, और परमेश्नर की पूजा हो सकती है लेकिन शादी नहीं हो सकती है।
कुछ लोगों का मत है कि कृष्ण ने राधा को अपनी आत्मा कहा था और आत्मा तो शरीर के साथ ही रहती है और आत्मा और शरीर का मिलन शादी के जरिए कैसे हो सकता है। वहीं दूसरी ओर कुछ लोगों का कहना है कि प्रेम का रिश्ता पानी की तरह होता है, उसमें कोई शर्त नहीं होती है जबकि विवाह तो बंधन है, जिसके लिए वचनों को निभाना पड़ता है। राधा ये ही चाहती थीं कि उनका प्रेम हमेशा पावन रहे, वो प्रभु की आत्मा में बसती थीं और इससे ज्यादा उन्हें किसी बंधन में बंधना नहीं था इसी वजह से उनकी और भगवान श्रीकृष्ण की शादी कभी नहीं हुई।
अपने प्रेम के बल पर ही वो कान्हा के साथ पूज्यनीय हुईं और जो प्रेम, आभार और स्थान उन्हें मिला वो श्रीकृष्ण की पत्नी रूक्मिणी को कभी हासिल नहीं हुआ। हालांकि उन्होंने भी भगवान श्रीकृष्ण से प्रेम करके ही विवाह किया था। रुक्मिनी ने भी श्रीकृष्ण को पाने के लिए बहुत जतन किए थे। वह अपने भाई रुकमी के खिलाफ चली गई थीं। रुक्मिनी भी राधा की तरह श्रीकृष्ण से प्यार करती थीं, रुक्मिनी ने श्रीकृष्ण को एक प्रेम पत्र भी भेजा था कि वह आकर उन्हें अपने साथ ले जाएं। प्रेम पत्र में रुक्मिनी ने 7 श्लोक लिखे थे। रुक्मिनी का प्रेम पत्र श्रीकृष्ण के दिल को छू गया और उन्हें रुक्मिनी का अनुरोध स्वीकार करना पड़ा। इस तरह रुक्मिनी श्रीकृष्ण की पत्नी बन गईं।
ब्रह्मवैवर्त पुराण के मुताबिक, पृथ्वी पर आने से पहले राधा की एक बार कृष्ण की सेविका श्रीदामा से बहस हो गई थी। राधारानी क्रोधित हो गईं और श्रीदामा को राक्षस के रूप में पैदा होने का श्राप दे दिया। बदले में श्रीदामा ने भी राधा को श्राप दे दिया कि वह एक मानव के रूप में जन्म लेंगी और अपने प्रियतम से 100 साल के लिए बिछड़ जाएंगी। उसके बाद तुम्हें फिर से श्रीहरि की संगति प्राप्त होगी और तुम गोकुल को वापस लौटोगी। यह कारन है जो भगवान श्री कृष्ण के साथ राधा जुड़ा हुआ है।