BMC ने कोर्ट में दिया हलफनामा, कहा- सोनू सूद, है ‘आदतन अपराधी’, अवैध निर्माण ध्वस्त करने के बाद भी करा रहे काम
मुंबई। फिल्म अभिनेता सोनू सूद कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान लोगों की मदद की वजह से मीडिया की सुर्खियों में थे। लगातार सोनू सूद लोगों की मदद अलग-अलग तरह से कर रहे थे, जिसके चलते उनके चाहने वालों की संख्या में जबरदस्त इजाफा हुआ है। लेकिन क्या आपने सोचा है कि सोनू सूद एक नहीं कई बार नियमों का भी उल्लंघन करते हैं। जी हां, मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन का आरोप है कि सोनू सूद एक नहीं कई बार अवैध निर्माण कर चुके हैं। उनके खिलाफ कार्रवाई के बाद भी वह इस हरकत से बाज नहीं आ रहे हैं।
बॉम्बे हाई कोर्ट में BMC की ओर से एफिडेविट दायर करके कहा गया है कि नियमों का उल्लंघन सोनू सूद की आदत है और वह ऐसा बार-बार करते हैं। वह अपने घर की बिल्डिंग में जोकि जूहू में स्थित हैं वहां पर अवैध निर्माण कराते हैं, बावजूद इसके कि BMC इसे दो बार तोड़ चुकी है, वह अपनी आदत से बाज नहीं आते हैं। दरअसल BMC ने पिछले पिछले साल सोनू सूद के खिलाफ केस दर्ज कराया था। जिसके बाद सिविल कोर्ट दिसंबर माह में फैसला सुनाया था। इसी फैसले के खिलाफ सोनू सूद ने याचिका दायर की थी और बीएमसी को चुनौती दी थी। सोनू सूद की याचिका के जवाब में बीएमसी की ओर से यह जवाब दायर किया गया है जिसमे सोनू सूद को बार-बार गलती करने वाला बताया गया है।
अपने नोटिस में BMC ने आरोप लगाया है कि सोनू सूद छह मंजिला बिल्डिंग शक्ति सागर में बार-बार बदलाव करते हैं और इसे कॉमर्शियल होटल में बदल दिया गया है। एफिडेविट में बीएमसी की ओर से कहा गया है कि सोनू सूद चाहते हैं कि वह अवैध तरीके से कॉमर्शियल निर्माण करें, यही वजह है कि उन्होंने एक बार फिर से निर्माण कार्य शुरू कर दिया है, बिना लाइसेंस के सोनू सूद यहां कॉमर्शियल गतिविधि करना चाहते हैं।
BMC ने कहा कि सोनू सूद को बिल्डिंग में किसी बदलाव की इजाजत नहीं दी गई है, उन्हें बिल्डिंग को घर से कॉमर्शियल बिल्डिंग में बदलने की इजाजत नहीं दी गई है, उनके पास इस होटल को चलाने का कॉमर्शियल लाइसेंस भी नहीं है। यही नहीं सोनू सूद ने गलत तरह से यह आरोप लगाया है कि उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है, या उनके खिलाफ गलत आरोप लगाए जा रहे हैं। सोनू सूद ने पूरी बिल्डिंग को अवैध तरह से होटल में बदला है, इसे भी बिना लाइसेंस के चलाया जा रहा है।
एफिडेविट में BMC की ओर से कहा गया है कि सितंबर 2018 में सोनू सूद के खिलाफ अवैध निर्माण के चलते कार्रवाई शुरू की गई थी। 12 नवंबर 2018 को उनके अवैध निर्माण तो तोड़ा गया था। लेकिन इसके बाद भी अवैध निर्माण नहीं रुका और 14 फरवरी 2020 को एक बार फिर से उनके द्वारा कराया गया अवैध निर्माण तोड़ा गया। यही नहीं सोनू या उनकी पत्नी के पास कोई दस्तावेज नहीं है जो यह दिखा सके कि यह बिल्डिंग उनकी है। इस याचिका पर आज जस्टिस पृथ्वीराज चव्हाण सुनवाई करेंगे।