सुशांत का चेहरा देखकर कोई भी यह कह सकता था, कि वह मासूम संजीदा और बेहतर इंसान थे: बॉम्बे हाईकोर्ट

मुंबई। बॉम्बे उच्च न्यायालय ने ‘‘एम एस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी” में दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के काम की बृहस्पतिवार को प्रशंसा की और कहा कि कोई भी व्यक्ति अभिनेता का चेहरा देखकर बता सकता था कि वह अच्छे मनुष्य थे। न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति एम एस कार्णिक की पीठ ने राजपूत की बहनों प्रियंका सिंह और मीतू सिंह की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए यह टिप्पणी की। इस याचिका में सुशांत के चिकित्सकीय पर्चे के साथ कथित रूप से छेड़छाड़ और फर्जीवाड़े करने के मामले में प्रियंका और मीतू के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को खारिज किए जाने का अनुरोध किया गया है।

न्यायमूर्ति शिंदे ने कहा, ‘‘मामला कुछ भी हो…. सुशांत सिंह राजपूत का चेहरा देखकर कोई भी यह कह सकता था कि वह मासूम, सीधे… और अच्छे मनुष्य थे।” उन्होंने कहा,‘‘उन्हें खासकर एम एस धोनी फिल्म में सभी ने पसंद किया।”

बांद्रा पुलिस ने सुशांत की बहनों प्रियंका सिंह एवं मीतू सिंह और दिल्ली के डॉक्टर तरुण कुमार के खिलाफ सात सितंबर को मामला दर्ज किया था। यह प्राथमिकी राजपूत की महिला मित्र रिया चक्रवर्ती की शिकायत के आधार पर दर्ज की गई थी।

रिया ने अपनी शिकायत में दावा किया कि इन लोगों ने साजिश रची और एक सरकारी अस्पताल के पर्चे पर प्रतिबंधित दवाओं के सेवन का झूठा परामर्श लिया और उसकी खुराक एवं मात्रा संबंधी सलाह लिए बिना अभिनेता को दवा दी। उल्लेखनीय है कि सुशांत 14 जून, 2020 को मुंबई के उपनगर बांद्रा स्थित अपने फ्लैट में मृत मिले थे।

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) इस मामले की जांच कर रहा है। उल्लेखनीय है कि राजपूत की मौत के मामले में मुंबई पुलिस की जांच से नाराज उनके पिता के के सिंह ने बिहार पुलिस के समक्ष रिया चक्रवर्ती,उसके परिवार के सदस्यों और अन्य के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने और आपराधिक साजिश रचने का मामला दर्ज कराया था।

उच्चतम न्यायालय ने इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया। सुशांत की बहनों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने बृहस्पतिवार को तर्क दिया कि ‘टेलीमेडिसिन प्रैक्टिस’ संबंधी दिशा-निर्देश ऑनलाइन सलाह लेने के बाद चिकित्सक को दवा सबंधी परामर्श देने की अनुमति देते हैं। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के कारण राजपूत चिकित्सक से मिलने के लिए व्यक्तिगत रूप से उनके पास नहीं जा सके थे।

विकास सिंह ने कहा कि यदि यह मान भी लिया जाए कि चिकित्सकीय पर्चा खरीदा गया था, तो भी इस बात का कोई सबूत नहीं है कि राजपूत ने कोई दवा खाई थी। मुंबई पुलिस की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील देवदत्त कामत ने दावा किया कि इस मामले में ऑनलाइन कोई सलाह नहीं ली गई थी।

कामत ने कहा कि राजपूत और उनकी बहनों के बीच आठ जून, 2020 को व्हाट्सऐप पर हुई बातचीत स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि प्रियंका ने मरीज द्वारा चिकित्सक से सलाह लिए बिना ही पर्चा हासिल किया।

कामत ने कहा, ‘‘पुलिस के पास इस बात का सबूत है कि एक अज्ञात व्यक्ति आठ जून, 2020 को राम मनोहर लोहिया अस्पताल की ओपीडी में गया था। उसने टोकन लिया और बाद में आरोपी चिकित्सक तरुण कुमार से पर्चा लिया।”

इस बीच, चक्रवर्ती के वकील सतीश मानशिंदे ने याचिका खारिज किए जाने का अनुरोध किया और कहा कि राजपूत की मौत का एक कारण ‘‘नशीले पदार्थों और दवाइयों का खतरनाक मिश्रण” हो सकता है। पीठ ने वकीलों को लिखित में अभ्यावेदन देने का आदेश दिया और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

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