Tanishq ADVT मामला : तनिष्क विज्ञापन पर मचे बवाल के बाद शोरूम ने दरवाजे पर चिपकाया माफीनामा, लेकिन किसी हमले से किया इनकार

गांधीधाम। गुजरात के गांधीधाम के एक तनिष्क शोरूम ने अपने दरवाजे पर विज्ञापन को लेकर मचे बवाल के बाद माफीनामा चिपकाया। हालांकि, शोरूम में किसी भी तरह के हमले से स्टोर ने इनकार किया है। तनिष्क ने दो धर्मों वाले ऐड को सोशल मीडिया पर बवाल मचने के बाद पिछले दिनों वापस ले लिया था।

कच्छ जिले के गांधीधाम के तनिष्क शोरूम के दरवाजे पर हाथ से लिखे माफीनामे को लगाया था। गुजराती भाषा में लिखे माफीनामे में हिंदुओं से माफी मांगी गई थी। नोट में लिखा था, ”हम तनिष्क के शर्मनाक विज्ञापन पर कच्छ के हिंदू समुदाय से माफी मांगते हैं।”

पुलिस ने बताया कि शोरूम के दरवाजे पर 12 अक्टूबर को यह नोट चिपकाया गया था, जिसके बाद इसे हटा दिया गया। हालांकि, इस बीच सोशल मीडिया पर इसकी तस्वीरें वायरल होने लगीं। वहीं, शोरूम के मैनेजर और स्थानीय पुलिस ने उन मीडिया रिपोर्ट्स को खारिज कर दिया है, जिसमें कहा जा रहा था कि तनिष्क के ऐड से गुस्साए लोगों ने शोरूम पर हमला बोला। कच्छ-पूर्व के एसपी मयूर पाटिल ने कहा, ”ऐसा कोई भी हमला नहीं हुआ है।”

तनिष्क (Tanishq) ने अपने आभूषण संग्रह एकत्वम को बढ़ावा देने के लिए यह ऐड पिछले सप्ताह जारी किया था और तभी से इसे लेकर विवाद खड़ा हो गया था। इस ऐड को लेकर ट्विटर पर हैशटैग ‘बायकॉट तनिष्क’ ट्रेंड करने लगा था। 43 सेकंड के इस विज्ञापन में एक गर्भवती महिला को उसकी गोद भराई की रस्म के लिए एक महिला द्वारा ले जाते हुए दिखाया गया था। बाद में लोगों को एहसास हुआ कि जो महिला उसे ले जा रही थी वह उसकी सास थी। ऐड में साड़ी और बिंदी लगाए जवान महिला अधिक आयु वाली महिला को मां कहकर संबोधित करती है, जिसने सलवार कुर्ता पहन रखा है और अपना सिर दुपट्टे से ढंक रखा है। जवान महिला सवाल करती है, ”आप यह रस्म नहीं करतीं?” इस पर मां जवाब देती है, ”पुत्रियों को खुश रखने की परंपरा हर घर में होती है।”

विज्ञापन में संयुक्त परिवार को दिखाया गया है, जिसमें हिजाब पहने एक महिला, साड़ी पहनी महिलाएं और नमाजी टोपी पहने एक व्यक्ति दिखता है। यूट्यूब पर वीडियो के बारे में लिखा है, ”उसका विवाह एक ऐसे परिवार में हुआ है जो उसे अपने बच्चे की तरह प्यार करता है। केवल उसके लिए वे एक ऐसी रस्म करते हैं जो वे आमतौर पर नहीं करते। दो अलग अलग धर्मों, परंपराओं और संस्कृतियों का एक सुंदर संगम।”

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