कोरोना में जान गंवाने वालों की राख से जापानी तकनीक के जरिये भोपाल में बनेगा पार्क

भोपाल। कोरेाना संक्रमण की दूसरी लहर में मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में जान गंवाने वालों की याद जिंदा रहेगी, क्योंकि भदभदा विश्रामघाट में मृतकों की अस्थियों और राख से यहां पार्क बनाया जाएगा। इस विश्रामघाट में सैकड़ों लोगों की अस्थियां और राख जमा है, जिसे नदियों में भी प्रवाहित करना संभव नहीं है। कोरोना महामारी के कारण राज्य के विभिन्न हिस्सों से मरीज राजधानी के विभिन्न अस्पतालों में इलाज कराने आए, इस दौरान बड़ी संख्या में मरीजों की मौत भी हुई। कोरोना को लेकर तय की गई गाइड लाइन के कारण कई परिवार मृतकांे के अंतिम संस्कार के बाद पूरी राख और अस्थियां भी नहीं ले जा सके। इसके चलते बड़ी मात्रा मंे विश्राम घाट में अस्थियां और राख अब भी जमा है।

भदभदा विश्राम घाट की प्रबंध समिति के सचिव मम्तेश शर्मा का कहना है कि मार्च से जून के दरम्यान कोरोना से बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई और उनका यहां अंतिम संस्कार हुआ। मृतकों के परिजन अंतिम संस्कार के बाद बहुत कम मात्रा में ही राख और अस्थियों को अपने साथ ले गए। इसके बाद यहां बड़ी मात्रा में अस्थियां और राख जमा हो गई है।

शर्मा की मानें तो विश्राम घाट में लगभग 21 टक राख जमा है, इसे पर्यावरण के लिहाज से नदियों में भी प्रवाहित करना उचित नहीं है। इसके चलते प्रबंध समिति ने तय किया है कि इस भस्म का खाद के रुप मंे उपयोग कर मृतको की याद में पार्क बनाया जाए। लगभग 12 हजार वर्ग फुट क्षेत्र में यह पार्क बनाया जाएगा। पार्क में साढे तीन हजार से चार हजार तक पौधे रोपे जाने का लक्ष्य रखा गया है।

समिति से जुड़े लोगों का कहना है कि, पौधों की वृद्धि तेज गति से हो इसके लिए मिटटी के साथ भस्म, गोबर और लकड़ी का बुरादा मिलाया जाएगा। यह पार्क जापान की मियावाकी तकनीक के आधार पर विकसित किया जाएगा। पार्क में लगाए जाने वाले पौधों की देखरेख समिति द्वारा की जाएगी।

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