कोरोना वैक्सीन : हैदराबाद का ‘भारत बायोटेक’ ने कोरोना वैक्सीन बनाने में मरी बाजी, AIIMS डॉक्टर ने जताई उम्मीदें

नई दिल्ली। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान(AIIMS), दिल्ली के ‘कम्युनिटी मेडिसिन’ विभाग के प्रमुख और कोरोना वैक्सीन से संबंधित परीक्षण के मुख्य अन्वेषक डॉक्टर संजय राय की सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। उनके मुताबिक कोरोना वैक्सीन का तीसरे चरण का परीक्षण जल्द ही शुरू हो सकता है। अगर सबकुछ ठीक ठाक चलता है तो अगले साल फरवरी-मार्च तक कोरोना वायरस का टीका लोगों की पहुंच में होगा।

संजय राय ने सबसे अधिक उम्मीदें हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक के ‘कोवैक्सीन’ (Covaxine) से जताई है। टेस्टिंग में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) भी अपनी भागीदारी निभा रहा है। बता दें कि कोवैक्सीन का परीक्षण एम्स के अलावा देश के कई अस्पतालों में चल रहा है। जिसके सकारात्मक नतीजे भी सामने आए हैं। अच्छी बात ये कि AIIMS में दो चरणों के परीक्षण सफल हो चुके हैं। संजय राय ने कहा, ‘‘हम दो चरणों का परीक्षण कर चुके हैं। पहले चरण का परीक्षण कारगर रहा है। दूसरे चरण के परीक्षण का अभी विश्लेषण जारी है। लेकिन नियामक प्राधिकरण तीसरे चरण में जाने की अनुमति दे रहा है तो इसका मतलब है कि वे सारी रिपोर्ट से संतुष्ट हैं। उम्मीद है कि जल्द ही तीसरे चरण का परीक्षण आरंभ हो जाएगा।’’

डॉ संजय राय के अनुसार भारत में बनने वाला कोवैक्सीन रूसी वैक्सीन के मुकाबले अधिक कारगर होगा। वजह ये कि रूस में बनने वाली वैक्सीन महज 14 परीक्षण नमूनों (सैंपल साइज) के आधार पर तैयार किया गया है। जबकि भारतीय कोवैक्सीन के लिए सैंपल साइज की संख्या 400 है। दूसरे चरण में इससे भी अधिक नमूने लिए गए थे।

एम्स के वरिष्ठ चिकित्सक संजय राय के मुताबिक जिस तरह से परिणाम संतोषजनक मिल रहे हैं। उससे उम्मीद लगाई जा सकती है कि भारत में अगले साल फरवरी-मार्च तक टीका आ जाएगा। दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर डॉ राय ने कहा कि जांच के अनुपात में फिलहाल स्थति संभली हुई है। उनके मुताबिक दिल्ली में जून के महीने में कोरोना संक्रमण की तेजी सबसे अधिक थी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया, ‘‘दिल्ली में हम संक्रमण की बेसलाइन (आधार रेखा) तक अभी पहुंचे ही नहीं हैं। यह कहना बहुत ही मुश्किल है कि कोरोना की यह दूसरी या तीसरी लहर है।’’

एम्स के वरिष्ठ डॉक्टर संजय राय के मुताबिक दिल्ली में प्रदूषण का बढ़ता दर कोरोना संक्रमितों के लिए मुश्किल पैदा कर सकता है। वास्तव में प्रदूषण से पहला असर फेफड़ों पर ही पड़ता है। इसी तरह कोरोना वायरस भी सबसे अधिक फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। इस स्थिति में अधिक प्रदूषण के चलते रिकवरी में दिक्कतें आएंगी। दिल्ली की सर्दियां कोरोना वायरस के अनुकूल हो सकती है। लिहाजा लोगों को ध्यान रखने की सलाह दी गई है। डॉ राय ने सलाह दी कि बढ़ते मामलों के साथ लक्षण वाले मरीजों पर नजर रखनी होगी। साथ ही उन्हें बेहतर चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध काने पर जोर होना चाहिए।

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