स्वास्थ्य कर्मियों को सलाम: उफनती नदी और जंगल में पैदल चल कर कोरोना मरीजों तक पहुंचा रहे मदद

न्यूज़ डेस्क। देश में कोरोना वायरस संक्रमण का कहर अब भी जारी है। चिंता की बात तो यह है कि अब दूरदराज के इलाकों में भी कोरोना संक्रमण फैलने लगा है। सरकार और स्वास्थ्य कर्मियों के लिए चुनौतियां लगातार बढ़ रही हैं। इन सबके बीच केरल से एक ऐसी खबर आई है जिसको सुनने के बाद आप भी देश के स्वास्थ्य कर्मियों पर गर्व महसूस करेंगे। केरल में स्वास्थ्य कर्मियों ने सेवा की ऐसी भावना पेश की है जिसकी हर तरफ तारीफ हो रही है। केरल के त्रिशूर में पुथुर प्रायमरी हेल्थ सेंटर है। यहां से एक इमरजेंसी कॉल स्वास्थ्य कर्मियों को मिली। आदिवासियों की बस्ती में एक ही परिवार के 3 लोग तेज बुखार की चपेट में थे। बस्ती जंगल के कुछ किलोमीटर भीतर स्थित है। यहां पहुंचने के लिए नदी भी पार करना पड़ता है। किसी भी वाहन की मदद से आप नदी किनारे तो पहुंच सकते हैं लेकिन गांव में पहुंचने के लिए नदी और जंगल को पैदल ही पार करना पड़ता है।

उन मरीजों तक पहुंचना स्वास्थ्य कर्मियों के लिए बड़ी चुनौती थी। इन तमाम बाधाओं को देखने के बावजूद स्वास्थ्य कर्मियों ने मरीजों तक पहुंचने का फैसला किया। उस गांव के मरीजों तक पहुंचने के लिए इन स्वास्थ्य कर्मियों ने नदी को पार किया। फिर कई किलोमीटर जंगल में चले। तब जाकर यह पीड़ित परिवार तक पहुंच सके। इनके इस कार्य को राज्य सरकार भी काफी सराह रही है। इन स्वास्थ्य कर्मियों को अट्टापादी फॉरेस्ट डिविजन में मुरुगमल्ला नाम से आदिवासियों की एक छोटी बस्ती में पहुंचनी थी। यहां केवल 7 परिवारों के 40 लोग ही रहते हैं। वहां पहुंचने के बाद इन स्वास्थ्य कर्मियों ने 30 लोगों का एंटीजन टेस्ट किया इनमें से 7 लोग कोरोना पॉजिटिव निकले। संक्रमित लोगों को बाद में कोरोना केयर सेंटर शिफ्ट किया गया।

इन स्वास्थ्य कर्मियों की टीम में डॉक्टर सुकन्या, हेल्थ इंस्पेक्टर सुनील बासु, जूनियर हेल्थ इंस्पेक्टर साइजू और ड्राइवर सजेश शामिल थे। बाद में एक समाचार चैनल से बातचीत करते हुए डॉक्टर सुकन्या ने बताया कि यह हमारे लिए कोई नई बात नहीं थी। हम लगातार मेडिकल कैंप के लिए जाते रहते हैं। लेकिन इस बार हमारे लिए चुनौती थोड़ी अलग थी। हमें नदी के पानी को पार करके उस ओर जाना था। नदी में पानी ज्यादा थी। हमारे पास पैदल जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। थोड़ा खतरा जरूर था लेकिन हमने हिम्मत की। एक दूसरे का हाथ पकड़कर हमने पानी को पार किया। फिर अंदर 2 किलोमीटर तक जंगल में हमने पैदल चला।

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