खुशखबरी : एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन कॉकटेल ने ओमिक्रॉन वेरिएंट को किया बेअसर, भारत के लिए बहुत बड़ी खुशखबरी

नई दिल्ली। कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट के खिलाफ दुनिया की करीब करीब सारी वैक्सीन्स कम असरदार साबित हो रही हैं। ऐसे में पहली बार वैक्सीन्स को लेकर खुशखबरी मिली है। प्रयोगशाला में रिसर्च के दौरान पता चला है कि, भारत में वैक्सीन बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका की कॉकटेल वैक्सीन ने ओमिक्रॉन वेरिएंट को निष्क्रीय कर दिया है।

एस्ट्राजेनेका ने गुरुवार को रिसर्च के दौरान पाया है कि, कोविड-19 एंटीबॉडी कॉकटेल, इवुशेल्ड के सामने कोरोना वायरस का ओमिक्रॉन वेरिएंट निष्क्रीय हो गया है। जो बहुत बड़ी खुशखबरी है। प्रयोगशाला में रिसर्च के दौरान पाया गया है कि, एस्ट्राजेनेका की कॉकटेल वैक्सीन ने ओमिक्रॉन कोरोनवायरस की गतिविधि को बेअसर कर दिया है। जिसके बाद पूरी दुनिया के लिए बहुत बड़ी राहत की बात है और मेडिकल फील्ड और डॉक्टरों के लिए बहुत बड़ी उम्मीद है। रिपोर्ट के मुताबिक, ये रिसर्च अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन के स्वतंत्र जांचकर्ताओं ने किया था और जांच के बाद कंपनी की तरफ से बयान जारी करते हुए कहा गया है कि, ओमिक्रॉन के खिलाफ एवुशेल्ड के अधिक विश्लेषण एस्ट्राजेनेका और तीसरे पक्ष द्वारा किए जा रहे हैं, डेटा “बहुत जल्द” लोगों के साथ शेयर किया जाएगा।

ज्ञात हो कि, दुनिया में कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन में तेजी से बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है। इस वैरिएंट पर हांगकांग यूनिवर्सिटी की एक नई स्टडी आई है। इस नई स्टडी के निष्कर्ष ओमिक्रॉन को लेकर चिंता बढ़ाने वाले हैं। स्टडी के अनुसार, ओमिक्रॉन वैरिएंट डेल्टा और मूल कोरोना स्ट्रेन की तुलना में लगभग 70 गुना तेजी से संक्रमित करता है, हालांकि, बीमारी की गंभीरता बहुत कम है। इस नई स्टडी में बताया गया है कि, ओमिक्रॉन वैरिएंट किस तरह से मानव के श्वसन तंत्र को संक्रमित करता है। हांगकांग विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि ओमिक्रॉन, डेल्टा और मूल सार्स-कोवी-2 की तुलना में 70 गुना तेजी से संक्रमित करता है। अध्ययन से यह भी प्रदर्शित होता है कि फेफड़े में ओमिक्रॉन से संक्रमण मूल सार्स-कोवी-2 की तुलना में काफी कम है, जिससे रोग की गंभीरता कम होने का संकेत मिलता है।

9 दिसंबर तक आई रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना वायरस का ओमिक्रॉन वेरिएंट अभी तक दुनिया के 63 देशों में फैल चुका है। WHO ने कहा है कि, ओमिक्रॉन वेरिएंट सभी 6 रीजन में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका है। यूनाइटेड नेशंस के स्वास्थ्य विभाग डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि, अभी तक ओमिक्रॉन वेरिएंट को लेकर जो शुरूआती जानकारियां मिली हैं, उससे पता चल रहा है कि, कोराना वायरस का ये वेरिएंट वैक्सीन की क्षमता को घटा रहा है, लेकिन वैज्ञानिकों ने कहा है कि, अभी तक पता चला है कि, कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट की तुलना में ओमिक्रॉन वेरिएंट कम खतरनाक है। डब्ल्यूएचओ ने 26 नवंबर को बी.1.2.529 वेरिएंट को ‘चिंताजनक’ करार दिया था।

डॉक्टरों ने ओमिक्रॉन संक्रमित रोगियो में थकान और सिरदर्द को नोट किया है। जबकि, डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित रोगियों में कई और जानलेवा लक्षण दिखाई दे रहे थे। डेल्टा मरीजों के शरीर का पल्स रेट तेजी से गिरता है, शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा तेजी से कम होने लगती है और मरीजों को सांस लेने में तकलीफ का सामना करता है, जिससे मरीजों की जान जाने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है, जबकि ओमिक्रॉन के मरीजों में अभी तक ऐसे लक्षण देखने को नहीं मिले हैं। दक्षिण अफ्रीका के तीन सबसे बड़े निजी अस्पताल संचालकों का कहना है कि, ओमिक्रॉन संक्रमित मरीज पहले की लहरों की तुलना में कम परेशान हैं। ऑक्सीजन या वेंटिलेटर पर बहुत कम लोग हैं और मौतों में मामूली वृद्धि हुई है।

रिसर्च के दौरान वैज्ञानिकों को पता चला है कि, ओमिक्रॉन वेरिएंट वैक्सीन की क्षमता को पूरी तरह से नहीं, बल्कि बहुत हद तक सीमित कर देता है। लेकिन, टीकाकरण के बाद शरीर में जितना मात्रा में एंटीबॉडी रहता है, वो ओमिक्रॉन वेरिएंट के वायरस को खत्म करने में सक्षम रहता है। फाइजर वैक्सीन ने ओमिक्रॉन वेरिएंट को लेकर अपने टीके का टेस्ट किया है, जिसमें ये बात पता चली है। डब्ल्यूएचओ ने यह भी कहा है कि, “प्रारंभिक साक्ष्य और ओमिक्रॉन वेरिएंट में मौजूद स्पाइक प्रोटीन काफी बदली हुई है, लिहाजा ये वैक्सीन की प्रभाव को कम कर देता है।

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