दिन भर के सियासी ड्रामे के बाद कांग्रेस ने सोनिया गांधी को चुना अंतरिम अध्यक्ष
नई दिल्ली। राहुल गांधी द्वारा इस्तीफा वापस लेने से इनकार करने के बाद कांग्रेस कार्य समिति (CWC) ने शनिवार को सोनिया गांधी को कांग्रेस का अंतरिम अध्यक्ष बनाने का निर्णय लिया। सीडब्ल्यूसी की बैठक के बाद वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सोनिया गांधी पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष होंगी। इससे पहले आज दो बार सीडब्ल्यूसी की बैठक हुई जिसमें नेताओं ने राहुल से इस्तीफा वापस लेने का आग्रह किया, लेकिन उन्होंने साफ इनकार कर दिया। राहुल के नहीं मानने के बाद सीडब्ल्यूसी ने सोनिया को अंतरिम अध्यक्ष बनाने का निर्णय लिया।
The Congress Working Committee meeting is underway at AICC HQ. pic.twitter.com/PPREhodcCA
— Congress (@INCIndia) August 10, 2019
नए अध्यक्ष को लेकर सुबह हुई CWC बैठक के बाद नेताओं ने पांच अलग-अलग समूहों में मंथन किया। इन समूहों के परामर्श की रिपोर्ट के आधार पर सीडब्ल्यूसी ने रात आठ बजे दोबारा बैठक कर निर्णय किया कि राहुल गांधी को पद पर बनाये रखा जाये लेकिन राहुल इसके लिए तैयार नहीं हुए। जिसके बाद कांग्रेस कार्यसमिति ने सोनिया गांधी से अध्यक्ष बनने का आग्रह किया जिसे उन्होंने थोड़ी ना-नुकर के बाद स्वीकार कर लिया।
Shri @RahulGandhi addresses the media on the crisis in Kashmir, urging the govt to take immediate action to resolve the issue. pic.twitter.com/16SVmYVljT
— Congress (@INCIndia) August 10, 2019
देखा जाये तो गांधी परिवार पर पूरी तरह आश्रित देश की सबसे पुरानी पार्टी अपने नेताओं की लंबी सूची में से एक भी ऐसा नाम नहीं खोज पाई जो पार्टी को नेतृत्व प्रदान कर सके। शनिवार सुबह जब कार्यसमिति की बैठक शुरू हुई थी तो पार्टी नेताओं में यह आम राय बनी कि राहुल गांधी को पार्टी का नेतृत्व करते रहना चाहिए, हालांकि गांधी ने सीडब्ल्यूसी बैठक में पहले ही स्पष्ट कर दिया कि वह अपने इस्तीफे पर पुनर्विचार नहीं करेंगे।
The resolutions passed by Congress Working Committee at AICC HQ today. pic.twitter.com/fG1dyRQvCH
— Congress (@INCIndia) August 10, 2019
शनिवार रात 8 बजे दोबारा शुरू हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में राहुल गांधी काफी मान-मनौव्वल के बाद पहुँचे और थोड़ी देर बाद बाहर आकर संवाददाताओं से कहा कि मुझे कश्मीर मुद्दे पर चर्चा करने के लिए बुलाया गया था क्योंकि वहां से हिंसा की खबरें आ रही हैं। उन्होंने कहा कि खबरें आ रही हैं कि जम्मू-कश्मीर में हालात खराब हो गए हैं। राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस पर स्पष्टीकरण देना चाहिए कि आखिर कश्मीर में हो क्या रहा है। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी चिंतित है क्योंकि जम्मू-कश्मीर से चिंताजनक खबरें आ रही हैं और वहां के हालात के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश को पूरी पारदर्शिता के साथ बताना चाहिए।
Reports of unrest are emanating from J&K where the Govt. has imposed a media & communications black out.
I urge the Govt. to take urgent steps to ensure the safety of every citizen in J&K and to lift the veil of secrecy. pic.twitter.com/hZCHyhSXkW
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 10, 2019
इससे पहले, नए अध्यक्ष को लेकर सुबह हुई CWC बैठक के बाद नेताओं ने पांच अलग-अलग समूहों में मंथन किया। इन समूहों के परामर्श की रिपोर्ट के आधार सीडब्ल्यूसी के समक्ष रखी गयी। परामर्श रिपोर्ट में सभी समूहों ने पार्टी की कमान राहुल गांधी के हाथ में ही रखने की सिफारिश की है। देखा जाये तो गांधी परिवार पर पूरी तरह आश्रित देश की सबसे पुरानी पार्टी अपने नेताओं की लंबी सूची में से एक भी ऐसा नाम नहीं खोज पाई जो पार्टी को नेतृत्व प्रदान कर सके। शनिवार सुबह जब कार्यसमिति की बैठक शुरू हुई थी तब भी पार्टी नेताओं में यह आम राय बनी कि राहुल गांधी को पार्टी का नेतृत्व करते रहना चाहिए, हालांकि गांधी ने CWC बैठक में पहले ही स्पष्ट कर दिया कि वह अपने इस्तीफे पर पुनर्विचार नहीं करेंगे।
आदरणीया सोनिया गांधी जी का नेतृत्व सदैव प्रभावी रहा है। ऐसे समय में जब देश अनेक चुनौतियों से गुजर रहा है, हम सब कांग्रेस कार्यकर्ता "आइडिया ऑफ इंडिया" को बचाने के लिए हमारी कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्षा सोनिया जी के साथ कंधा से कंधा मिलाकर खड़े रहेंगे।
सभी को बधाई। https://t.co/dLtQ05Qc0M
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) August 10, 2019
दूसरी ओर, पार्टी संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी और अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके राहुल गांधी ने नया अध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया से खुद को अलग कर लिया था। CWC के नेताओं ने पांच अलग अलग समूहों- पूर्वोत्तर क्षेत्र, पूर्वी क्षेत्र, उत्तर क्षेत्र, पश्चिमी क्षेत्र और दक्षिण क्षेत्र- में बांटकर प्रदेश अध्यक्षों, राष्ट्रीय सचिवों तथा कई अन्य पदाधिकारियों के साथ परामर्श बैठकें कीं तथा उनकी राय ली। पूर्वोत्तर क्षेत्र के समूह में अहमद पटेल, अंबिका सोनी, गुलाम नबी आजाद और कई अन्य वरिष्ठ नेता, पूर्वी क्षेत्र के समूह में केसी वेणुगोपाल, कुमारी शैलजा, तरुण गोगोई और कई अन्य वरिष्ठ नेता, उत्तरी क्षेत्र वाले समूह में प्रियंका गांधी वाड्रा, पी. चिदंबरम, ज्योतिरादित्य सिंधिया और कई अन्य वरिष्ठ नेता, पश्चिमी क्षेत्र के समूह में एके एंटनी, गुलाम नबी आजाद, मल्लिकार्जुन खड़गे और कई अन्य वरिष्ठ नेता तथा दक्षिणी क्षेत्र के समूह में मनमोहन सिंह, अधीर रंजन चौधरी, आनंद शर्मा तथा कई अन्य वरिष्ठ नेता शामिल थे। सूत्रों के मुताबिक इन सभी पांच परामर्श बैठकों में नेताओं के बीच सर्वसम्मति से यह राय बनी कि गांधी ही कांग्रेस का नेतृत्व कर सकते हैं और उन्हें अध्यक्ष पद पर बने रहना चाहिए।
सीडब्ल्यूसी की पहले दौर की बैठक के बाद पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा, CWC के सभी सदस्यों ने राहुल गांधी से अध्यक्ष बने रहने और नेतृत्व करने का सहमति से आग्रह किया। उन्होंने यह अनुरोध भी किया कि आज जब मौजूदा सरकार संवैधानिक प्रावधानों, नागरिकों के अधिकारों और संस्थाओं पर आक्रमण कर रही है तो ऐसे समय मजबूत विपक्ष के लिए और कांग्रेस को नेतृत्व देने के लिए राहुल गांधी उपयुक्त व्यक्ति हैं।’ उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘गांधी ने अपना इस्तीफा वापस लेने से इनकार किया और कहा कि सीडब्ल्यूसी के सदस्यों और दूसरे नेताओं से नए अध्यक्ष को लेकर व्यापक विचार विमर्श किया जाए।’’ सुरजेवाला ने कहा कि सीडब्ल्यूसी पांच अलग-अलग समूहों में परामर्श बैठक करेगी। रात आठ बजे सीडब्ल्यूसी की फिर बैठक होगी जिसमें इन समूहों की बातचीत में निकले निष्कर्ष के आधार पर कोई निर्णय लिया जाएगा।
एक सवाल के जवाब में सुरजेवाला ने यह भी कहा कि अभी गांधी का इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआ है और यह सीडब्ल्यूसी के विचाराधीन है। सूत्रों के मुताबिक सीडब्ल्यूसी की बैठक में शामिल ज्यादातर नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि राहुल गांधी को अध्यक्ष बने रहना चाहिए, हालांकि गांधी ने अपने फैसले पर पुनर्विचार करने से साफ इनकार किया।
बैठक से बाहर आने के बाद पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणसामी ने कहा, ‘‘मुझसे विकल्प के बारे में पूछा गया और मैंने कहा कि राहुल गांधी का कोई विकल्प नहीं है। राहुल गांधी के नेतृत्व में ही पार्टी मजबूत हो सकती है।’’
उधर, बैठक से बाहर निकलने के बाद सोनिया ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘नया अध्यक्ष तय करने के लिए बातचीत की प्रक्रिया शुरू हुई है। मैं और राहुल इसका हिस्सा नहीं हो सकते। मेरा नाम बैठक के लिए गलती से शामिल हो गया था।’’ दरअसल, इस्तीफा देते समय राहुल गांधी ने स्पष्ट किया था कि गांधी परिवार का कोई व्यक्ति अध्यक्ष नहीं बनेगा और वह इसके चयन की प्रक्रिया में शामिल नहीं होंगे। सोनिया गांधी और राहुल गांधी के चयन की प्रक्रिया से अलग होने के बारे में पूछे जाने पर सुरजेवाला ने कहा कि दोनों शीर्ष नेताओं ने यह फैसला किया ताकि किसी की राय पर उनका प्रभाव नहीं पड़े।
सीडब्ल्यूसी की बैठक में पार्टी संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, राहुल गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी, वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, एके एंटनी, गुलाम नबी आजाद, मल्लिकार्जुन खड़गे, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कई अन्य नेता शामिल हुए।
पार्टी के नये अध्यक्ष को लेकर मुकुल वासनिक, मल्लिकार्जुन खड़गे, अशोक गहलोत, सुशील कुमार शिंदे, ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट सहित कई वरिष्ठ एवं युवा नेताओं के नामों की चर्चा थी। वैसे, अध्यक्ष पद के लिए पार्टी के कई नेता प्रियंका के नाम की पैरवी कर चुके हैं। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद 25 मई को हुई सीडब्ल्यूसी की बैठक में राहुल गांधी ने पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। उस वक्त उनके इस्तीफे को अस्वीकार करते हुए सीडब्ल्यूसी ने उन्हें पार्टी में आमूलचूल बदलाव के लिए अधिकृत किया था, हालांकि गांधी अपने रुख पर अड़े रहे और स्पष्ट कर दिया कि न तो वह और न ही गांधी परिवार का कोई दूसरा सदस्य इस जिम्मेदारी को संभालेगा।