भारतीय संस्कृति हमें ‘मातृदेवो भव’ और ‘पितृदेवो भव’ की शिक्षा देती है — राष्ट्रपति कोविन्द
नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरूवार को लोगों से अपील की कि वह ऐसा माहौल बनाएं जिसमें बुजुर्ग लोगों को अभिव्यक्ति की आजादी और स्वतंत्रता हो। उन्होंने कहा कि बुजुर्ग किसी समाज की ऐसी संपत्ति हैं जो उसकी विरासत का प्रतिनिधित्व करते हैं। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की ओर से ‘अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस’ पर आयोजित किए गए कार्यक्रम में राष्ट्रपति ने बुजुर्गों और संस्थाओं को ‘वयोश्रेष्ठ पुरस्कार’ से सम्मानित किया।
भारतीय संस्कृति हमें ‘मातृदेवो भव’ और ‘पितृदेवो भव’ की शिक्षा देती है — राष्ट्रपति कोविन्द pic.twitter.com/S0ET0N8Bsn
— President of India (@rashtrapatibhvn) October 3, 2019
गैर सरकारी संगठनों और सरकार द्वारा की गई कोशिशों की तारीफ करते हुए श्री कोविंद ने कहा, ‘‘हमें भी अपने स्तर पर वरिष्ठ लोगों के लिए जिम्मेदारी लेनी चाहिए। एक साथ हमें ऐसा माहौल बनान चाहिए कि उन्हें अभिव्यक्ति की आजादी और स्वतंत्रता मिले।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ हमें उन्हें यह महसूस कराना होगा कि उनका योगदान परिवार और समाज के लिए महत्वपूर्ण है। यह उन्हें एक तरह की आत्म संतुष्टि प्रदान करेगा और उनका शरीर और मन स्वस्थ रहेगा।’’
‘वयोश्रेष्ठ’ जन हमारी संपदा हैं, हमारी धरोहर हैं। अपने से बड़ों का, बुजुर्गों का ध्यान रखकर, उन्हें उचित सम्मान देकर आप जीवन में बहुत ऊंचा उठ सकते हैं। बुजुर्गों का आशीष हमेशा ही मंगलकारी होता है — राष्ट्रपति कोविन्द pic.twitter.com/VOE1ybGdcX
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राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें बुजुर्गों का जीवन आसान बनाने के लिए आयुष्मान भारत, रेल किराए में छूट सहित कई अन्य योजनाएं चला रही हैं। उन्होंने कहा कि सभी पीढ़ियों को सौहार्दपूर्ण तरीके से साथ रहना चाहिए और संयुक्त परिवार की हमारी संस्कृति को बरकरार रखना चाहिए। वहीं इस मौके पर सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि उनका मंत्रालय बुजुर्गों को समाज में उनकी सेवा के लिए हर साल वयोश्रेष्ठ सम्मान प्रदान करता है।