चक्रवात ‘अम्फान’ का मंडराया खतरा, जानें कैसे पड़ा ये नाम, कब-कहां दिखेगा इसका असर

नई दिल्ली। कोरोना संकट के बीच पहले दिल्ली NCR में धूल भरी आंधी, जोरदार बारिश, ओला-वृष्टि और तो और कई पहाड़ी इलाकों में मई के महीने में भी बर्फबारी। पल में गर्म होते और फिर पल में ठंड हो रहे मौसम के मिजाज से पता चलता है कि ये भी अपनी अलग रौ में है। देश के कई राज्यों में गर्मी और सर्दी के बीच आंख-मिचौली चल रही है। इसी बीच अब चक्रवाती तूफान अम्फान की आहट ने लोगों को परेशान कर दिया है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने कहा कि अत्यंत भीषण चक्रवाती तूफान में तब्दील हुआ ‘अम्फान’ बंगाल की खाड़ी से लगने वाले मध्य हिस्सों और पश्चिम-मध्य हिस्सों के ऊपर 13 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है और यह अगले 12 घंटों में और शक्तिशाली होकर विकराल रूप ले सकता है।

कोलकाता में क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक जी के अनुसार यह तूफान 20 मई की दोपहर और शाम के बीच में बहुत भीषण चक्रवाती तूफान के तौर पर पश्चिम बंगाल में सागर द्वीपसमूह और बांग्लादेश के हतिया द्वीपसमूहों के बीच पश्चिम बंगाल-बांग्लादेश तटीय क्षेत्रों से गुजर सकता है।

ज्ञात हो कि इन तूफानों का नामकरण कैसे होता है। दरअसल, तूफानों का नाम रखने की जिम्मेदारी उस क्षेत्र के मौसम विभाग की ही होती है जहां से तूफान शुरू होता है। दुनिया में 6 रीजनल स्पेशलाइजड मेट्रोलॉजिकल सेंटर हैं। इसमें से भारत का मौसम विभाग (आईएमडी) एक है। बंगाल की खाड़ी, अरब सागर में उठने वाले तूफानों के नाम की जिम्मेदारी भारत की ही है। अम्फान तूफान साल 2004 में तैयार की गई तूफान की लिस्‍ट का आखिरी नाम है। इस तूफान के नाम का प्रस्‍ताव थाईलैंड ने दिया था।

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