अर्नब मामले में सुप्रीम कोर्ट की बेहद सख्त टिप्पणी, व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा हम नहीं तो कौन करेगा : सुप्रीम कोर्ट
न्यूज़ डेस्क। रिपब्लिक TV के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बेहद सख्त टिप्पणी की है। बॉम्बे हाईकोर्ट के रवैये पर चिंता जाहिर करते सर्वोच्च अदालत ने कहा कि अगर व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा हम नहीं करेंगे तो कौन करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम एक के बाद एक ऐसे मामले देख रहे हैं, जहां हाईकोर्ट ने बेल नहीं दिया और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा करने में विफल रहा। सुप्रीम अदालत ने बेहद सख्त लहजे में कहा कि अगर संवैधानिक अदालत हस्तक्षेप नहीं करती है तो हम निश्चित तौर पर विनाश की ओर यात्रा में आगे बढ़ रहे हैं।
Arnab Goswami Case : 'If This Court Does Not Interfere Today, We Are Travelling On Path Of Destruction', Says Justice Chandrachud https://t.co/U7RG6Ld3Qx
— Live Law (@LiveLawIndia) November 11, 2020
अर्नब गोस्वामी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने मामले की जांच CBI से कराने की मांग की है। सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘यदि हम एक संवैधानिक न्यायालय के रूप में व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा नहीं करेंगे, तो कौन करेगा? अगर कोई राज्य किसी व्यक्ति को जानबूझकर टारगेट करता है, तो एक मजबूत संदेश देने की आवश्यकता है। हमारा लोकतंत्र असाधारण रूप से लचीला है।’ इस दौरान कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर राज्य सरकारें व्यक्तियों को टारगेट करती हैं, तो उन्हें पता होना चाहिए कि नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए शीर्ष अदालत है।
I don’t even watch his channel, never turn it on, says Justice Chandrachud#ArnabGoswami
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अर्नब ने बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा जमानत से इनकार किए जाने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। बॉम्बे हाई कोर्ट ने इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाईक को आत्महत्या के लिए कथित रूप से उकसाने के मामले में अर्नब और दो अन्य लोगों को अंतरिम जमानत देने से इनकार करते हुए उन्हें राहत के लिए स्थानीय अदालत जाने को कहा था। अर्नब की जमानत याचिका पर बहस के दौरान हरीश साल्वे ने कहा कि द्वेष और तथ्यों को अनदेखा करते हुए राज्य की शक्तियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। इस मामले में मई 2018 में FIR दर्ज की गई थी। दोबारा जांच करने के लिए शक्तियों का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है।
We must send a message today to the High Courts as well.
“Please exercise your jurisdiction to uphold personal liberty!”
– Justice Chandrachud#SupremeCourt #ArnabGoswami— Live Law (@LiveLawIndia) November 11, 2020
अर्नब के वकीलों की ओर से मंगलवार दोपहर ही रायगढ़ सत्र न्यायालय में जमानत अर्जी दाखिल कर दी गई थी। अर्जी में अर्नब ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा है कि जिस आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में उन्हें गिरफ्तार किया गया है, उसकी पूरी जांच पहले हो चुकी है। रायगढ़ पुलिस इस मामले में 2019 में अपनी ए-समरी (क्लोजर रिपोर्ट) रायगढ़ मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में जमा कर चुकी है। जमानत अर्जी में कहा गया है कि आवेदक जांच एजेंसियों से पूर्ण सहयोग करने को तैयार है।