ब्रिटेन के आम चुनाव में बोरिस जॉनसन की जीत पर प्रधानमंत्री मोदी ने दी बधाई
लंदन। ब्रेग्जिट को लेकर आकस्मिक हुए चुनाव में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को आम चुनाव में शुक्रवार की बहुमत मिला है। टेलीविजन सूत्रों से ने यह खबर दी है।
ब्रिटेन के आम चुनाव में PM बोरस जॉनसन की जीत पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें बधाई दी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- PM बोरिस जॉनसन को भारी बहुमत से जीत पर बधाई। मैं उन्हें भारत-यूके के करीब संबंधो के लिए एक साथ काम करने की आशा करता हूं।
परिणाम से यह जाहिर होता है कि टोरिस ने 650 में से 326 सीटों पर निचली सदन में जीत दर्ज की है, इसका मतलब ये है कि उन्हें मात नहीं दी जा सकती है। गुरुवार को हुए एग्जिट पोल में उन्हें 368 सीटों पर जीत की संभावना दिखाई गई थी।
Many congratulations to PM @BorisJohnson for his return with a thumping majority. I wish him the best and look forward to working together for closer India-UK ties. pic.twitter.com/D95Z7XXRml
— Narendra Modi (@narendramodi) December 13, 2019
ब्रिटेन में तय समय के मुताबिक, मई 2022 में चुनाव होने थे, लेकिन ब्रेग्जिट पर गतिरोध के चलते करीब ढाई साल पहले चुनाव कराने पड़े। संसद के निचले सदन हाउस ऑफ कॉमंस में 650 सीटों के लिए भारतीय मूल समेत 3,322 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे थे। इंग्लैंड, वेल्स, स्कॉटलैंड और नॉर्दर्न आयरलैंड के सभी निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान केंद्र अंतरराष्ट्रीय समयानुसार सुबह सात बजे शुरू हुए और रात 10 बजे मतदान खत्म हो गया। इसके तुरंत बाद मतगणना शुरू हो गई थी।
इस चुनाव में मतदान बैलट पेपर पर कराया गया ताकि किसी तरह की आशंका नहीं रहे। स्कूल, कम्युनिटी हॉल और चर्चों पर पोलिंग बूथ बनाए गए। मतदान केंद्र के बाहर लंबी कतारों में लगकर वोट डाले। कई मतदाताओं ने बताया कि उन्होंने पहली बार ब्रिटेन में इतनी बड़ी संख्या में लोगों को मतदान करते देखा है।
1923 के बाद अब दिसंबर में चुनाव हुए।
——-
-18 साल मतदान करने की न्यूनतम उम्र
-4.57 करोड़ पंजीकृत मतदाता
– 69 फीसदी मतदान हुआ था 2017 के चुनाव में
——
ब्रिटेन की राजनीतिक व्यवस्था :-
महारानी
ब्रिटिश संसद
1- हाऊस ऑफ लॉर्ड (उच्च सदन) – 800 सदस्य
2- हाउस ऑफ कॉमन्स (निचला सदन) : 650 सीट, बहुमत के लिए 326 सीटों की जरूरत
———
वर्ष 2016 में जनमत संग्रह के द्वारा 52 फीसदी मतदाताओं ने यूरोपीय यूनियन (ईयू) से बाहर निकलना तय किया, पर इस पर अमल नहीं हो सका। इस मुद्दे पर डेविड कैमरन, थेरेसा मे और जॉनसन को पीएम पद छोड़ना पड़ा। विश्लेषकों का कहना है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद यह ब्रिटेन का सबसे अहम चुनाव है। 20वीं सदी में यूरोप से ब्रिटेन अलग रहा। युद्ध के बाद आई शांति ने ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को मजबूती दी और इसके समृद्धि आई। इस चुनाव परिणाम से तय होगा कि ब्रिटेन का रिश्ता यूरोप के साथ रहेगा या टूटेगा।