CAA के खिलाफ केरल के बाद UPA के बनाए NIA ACT के खिलाफ छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार पहुंची सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून (CAA ) के खिलाफ केरल सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के बाद अब एक और राज्य सरकार ने कानून की संवैधानिकता को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है। कांग्रेस की छत्तीसगढ़ सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर अपनी ही पार्टी के नेतृत्व वाली UPA सरकार द्वारा बनाए गए राष्ट्रीय जांच एजेंसी कानून, 2008 यानी NIA एक्ट को असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध किया है।
छत्तीसगढ़ सरकार राष्ट्रीय जांच एजेंसी कानून, 2008 को चुनौती देने वाली पहली राज्य सरकार है। छत्तीसगढ़ सरकार ने केरल सरकार द्वारा संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत नागरिकता संशोधन कानून को चुनौती दिए जाने के एक दिन बाद यह याचिका दायर की है। छत्तीसगढ़ सरकार ने अनुच्छेद 131 के तहत यह वाद दायर किया है। अनुच्छेद 131 के अंतर्गत केंद्र के साथ विवाद के मामले में राज्य सीधे उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर सकता है।
एनआईए कानून संविधान के तहत राज्य को दिए गए अधिकारों का हनन करता है। इसीलिए हमने इसे चुनौती देने का निर्णय लिया। https://t.co/h1l474xtzh
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) January 15, 2020
राज्य सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी कानून संविधान के अनुरूप नहीं है और यह संसद के विधायी अधिकार क्षेत्र से बाहर है क्योंकि यह कानून राज्य पुलिस द्वारा की जाने वाली जांच के लिए केंद्र एक जांच एजेंसी के सृजन का अधिकार देता है, जबकि यह संविधान की सातवीं अनुसूची के अंतर्गत राज्य का विषय है। ज्ञात हो कि इस कानून को कांग्रेस नीत UPA सरकार लेकर आई थी।
अधिवक्ता सुमेर सोढी के माध्यम से दायर इस वाद में कहा गया है कि मौजूदा स्वरूप में एनआईए कानून न सिर्फ पुलिस के माध्यम से जांच कराने का (राज्य) अधिकार छीनता है बल्कि यह केंद्र को ‘निरंकुश, स्वंय निर्णय लेने का मनमाना अधिकार’ देता है। याचिका में कहा गया है कि इन अधिकारों के इस्तेमाल के बारे में कोई नियम नहीं है, जिसकी वजह से केन्द्र को किसी भी समय कोई कारण बताए बगैर ही इसके अधिकारों के इस्तेमाल की छूट प्रदान करता है।
राज्य सरकार का कहना है कि NIA कानून के प्रावधानों में तालमेल के लिए अथवा केन्द्र द्वारा राज्य सरकार से किसी भी प्रकार की सहमति लेने के बारे में कोई व्यवस्था नहीं है जो निश्चित ही संविधान में प्रदत्त राज्य की सार्वभौमिकता के विचार के खिलाफ है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी कानून, 2008 देश की सार्वभौमिकता, सुरक्षा और अखंडता, दूसरे देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों को प्रभावित करने वाले अपराधों और अंतरराष्ट्रीय संधियों, समझौतों, संयुक्त राष्ट्र और उसकी एजेन्सियों के प्रस्तावों को लागू करने के लिए बने कानूनों के दायरे में आने वाले अपराधों की जांच और कानूनी कार्यवाही के लिए बनाया गया था।