#Chandrayaan3 : लॉन्च के लिए चंद्रयान-3 रॉकेट में तैनात, ISRO ने ‘लॉन्च रिहर्सल’ किया पूरा, भारत रचेगा इतिहास!, लहराएगा तिरंगा, ये है खुफिया प्लानिंग

नई दिल्ली। 14 जुलाई को भारत के तीसरे चंद्रमा मिशन के प्रक्षेपण की उल्टी गिनती सोमवार को ‘लॉन्च रिहर्सल’ के पूरा होने के साथ जल्द ही शुरू होने की उम्मीद है। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने सोमवार को कहा, “पूरी लॉन्च तैयारी और 24 घंटे तक चलने वाली प्रक्रिया का अनुकरण करने वाला ‘लॉन्च रिहर्सल’ संपन्न हो गया है। 14 जुलाई को ठीक 2.50 बजे के बाद भारत का चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान रॉकेट एलवीएम3 द्वारा प्रक्षेपित होने के बाद अपनी लंबी चंद्रमा यात्रा शुरू करेगा।”

लगभग 3.84 लाख किमी की यात्रा के बाद चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान के 23 या 24 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर उतरने की उम्मीद है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कि चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान में एक प्रणोदन मॉड्यूल (वजन 2,148 किलोग्राम), एक लैंडर (1,723.89 किलोग्राम) और एक रोवर (26 किलोग्राम) शामिल है।

चंद्रयान -2 पेलोड का वजन लगभग 3.8 टन था, ऑर्बिटर का वजन 2,379 किलोग्राम था, विक्रम लैंडर का वजन 1,444 किलोग्राम (प्रज्ञान रोवर 27 किलोग्राम सहित) था।

चंद्रयान मिशन-3 का मुख्य उद्देश्य लैंडर को चंद्रमा की धरती पर सुरक्षित उतारना है। उसके बाद रोवर प्रयोग करने के लिए बाहर निकलेगा। लैंडर से बाहर निकलने के बाद प्रोपल्शन मॉड्यूल द्वारा ले जाए गए पेलोड का जीवन तीन से छह महीने के बीच है।

दूसरी ओर, इसरो ने कहा कि लैंडर और रोवर का मिशन जीवन 1 चंद्र दिवस या 14 पृथ्वी दिवस है।इसरो ने कहा, नासा के एक निष्क्रिय लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर ऐरे को चंद्र लेजर रेंजिंग अध्ययन के लिए समायोजित किया गया है। दूसरी ओर, रोवर लैंडिंग स्थल के आसपास के क्षेत्र में मौलिक संरचना प्राप्त करने के लिए अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (एपीएक्सएस) और लेजर प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (एलआईबीएस) ले जाएगा।

इसरो के अनुसार, चंद्रमा मिशन को तीन चरणों में विभाजित किया गया है – पृथ्वी-केंद्रित चरण (प्री-लॉन्च, लॉन्च और एसेंट और पृथ्वी-बाउंड पैंतरेबाज़ी), चंद्र स्थानांतरण चरण (स्थानांतरण प्रक्षेपवक्र), और चंद्रमा केंद्रित चरण (चंद्र कक्षा) सम्मिलन चरण, चंद्रमा-बाध्य पैंतरेबाज़ी चरण, प्रणोदन मॉड्यूल और चंद्र मॉड्यूल पृथक्करण, डी-बूस्ट चरण, प्री-लैंडिंग चरण, लैंडिंग चरण, लैंडर और रोवर के लिए सामान्य चरण, प्रणोदन मॉड्यूल के लिए चंद्रमा केंद्रित सामान्य कक्षा चरण (100 किमी गोलाकार कक्षा)।

पहले चरण के दौरान भारत का भारी लिफ्ट रॉकेट 43.5 मीटर ऊंचा और 642 टन एलवीएम3 वजनी, चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान को ले जाएगा। रॉकेट के पास लगातार छह सफल मिशनों का त्रुटिहीन रिकॉर्ड है।यह एलवीएम3 की चौथी परिचालन उड़ान है, और इसका उद्देश्य चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान को जियो ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) में लॉन्च करना है।14 जुलाई को दोपहर 2.35 बजे तीन चरणों वाला एलवीएम3 रॉकेट आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा रॉकेट पोर्ट के दूसरे लॉन्च पैड से लॉन्च होगा, जबकि पहले रॉकेट का पहला चरण ठोस ईंधन द्वारा संचालित होता है, दूसरा चरण तरल ईंधन द्वारा संचालित होता है, और तीसरे और अंतिम चरण में तरल हाइड्रोजन और तरल ऑक्सीजन द्वारा संचालित क्रायोजेनिक इंजन होता है।

तीनों चरणों को मिलाकर विस्फोट के समय 642 टन के रॉकेट का कुल प्रणोदक द्रव्यमान 553.4 टन होगा। अपनी उड़ान में केवल 16 मिनट से अधिक समय बाद रॉकेट लगभग 179 किमी की ऊंचाई पर चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान को बाहर निकाल देगा।इसरो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि यह मिशन 2019 में असफल चंद्रयान -2 मिशन का अनुवर्ती है, क्‍योंकि विक्रम नामक लैंडर चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। चंद्रयान-2 मिशन के दौरान चंद्रमा पर दुर्घटनाग्रस्त हुए लैंडर की तुलना में इस बार लैंडर में किए गए बदलावों के संबंध में लैंडर में पांच के बजाय चार मोटर हैं।अंतरिक्ष एजेंसी ने सॉफ्टवेयर में कुछ बदलाव भी किए हैं।दिलचस्प बात यह है कि इसरो इस बार लैंडर और रोवर के नामकरण पर चुप है। चंद्रयान-2 मिशन के दौरान लैंडर का नाम विक्रम और रोवर का नाम प्रज्ञान रखा गया था।

चंद्रमा पर उतरेगा रोवर, रचेगा इतिहास

चंद्रयान-3 के साथ इसरो और भारत इतिहास के मुहाने पर खड़े हैं। 14 जुलाई को अपने सफर का आगाज करने वाला चंद्रयान-3 जल्द ही चंद्रमा की सतह को चूमेगा। अगर इस बार लैंडिंग सफल रहती है तो ISRO इतिहास रच देगा। इस मिशन को सफल बनाने के लिए इसरो के वैज्ञानिकों की टीम कड़ी मेहनत कर रही है।

एलीट क्लब में होगा भारत

चंद्रयान-2 अपने आखिरी चरण में विफल रहा, लेकिन चंद्रयान-3 जैसे ही चंद्रमा की सतह को चूमेगा, वैसे ही भारत एक एलीट क्बल में शामिल हो जाएगा। यह एलीट क्लब चंद्रमा पर सफल लैंडिंग करवाने वाले देशों का है। इससे पहले अमेरिका अपने अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर उतार चुका है। रूस और चीन भी चंद्रमा पर सफलतापूर्वक अपने रोवर उतार चुके हैं। चंद्रयान-3 की सफलता के साथ भारत इन देशों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा।

चंद्रयान-3 की लागत

चंद्रयान-3 मिशन की पूरी लागत कितनी है? इसको लेकर कई प्रश्न पूछे जा रहे हैं। चंद्रयान-3 को तैयार करने में करीब 615 करोड़ रुपये लगे हैं। आपको बता दें कि एसएस राजामौली की फिल्म RRR को बनाने में ही 600 करोड़ रुपये खर्च हो गए थे। इस लिहाज से देखें तो इसरो ने बहुत ही सीमित बजट में देश को गौरवांवित करने वाला यह चंद्रयान-3 बनाया है। हालांकि, चंद्रयान-3 का खर्च सिर्फ 615 करोड़ ही नहीं है, इस पर करीब 1 हजार करोड़ रुपये खर्च हो सकते हैं, लेकिन इसमें कई दूसरे खर्च भी शामिल होंगे।

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