चोर को सारी दुनिया चोर नजर आती है, जिस तरह कांग्रेस UPA (PMNRF) गलत इस्तेमाल किया, इसलिए कांग्रेस ने PM केयर्स फंड के इस्तेमाल को लेकर बार-बार सवाल किया
न्यूज़ डेस्क। आम तौर पर कहा जाता है कि चोर को सारी दुनिया चोर नजर आती है। ये बात कांग्रेस पर पूरी तरह से फीट बैठती है, क्योंकि मोदी सरकार द्वारा किए जाने वाले हर काम में उसे घोटाले नजर आते हैं। कांग्रेस ने PM केयर्स फंड के पैसे के इस्तेमाल को लेकर बार-बार सवाल किया। उसे आशंका थी कि जिस तरह कांग्रेस की नेतृत्व वाली UPA सरकार ने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (PMNRF) का गलत इस्तेमाल किया, उसी तरह मोदी सरकार भी PM केयर्स फंड का इस्तेमाल कर रही है। लेकिन UPA सरकार के दौरान प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से राजीव गांधी फाउंडेशन को दिए गए दान के खुलासे ने कांग्रेस के चेहरे से नकाब हटा दिया है।
लेकिन गाँधी परिवार के स्वामित्व वाले राजीव गाँधी फाउंडेशन को किए गए ‘दान’ की लंबी लिस्ट देखकर यह लगता है कि अब कांग्रेस पार्टी और गाँधी परिवार द्वारा किए गए के बड़े घालमेल से पर्दा उठ सकता है।
BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कांग्रेस पर लगाया बड़ा आरोप
PMNRF, meant to help people in distress, was donating money to Rajiv Gandhi Foundation in UPA years.
Who sat on the PMNRF board? Smt. Sonia Gandhi
Who chairs RGF? Smt. Sonia Gandhi.
Totally reprehensible, disregarding ethics, processes and not bothering about transparency. pic.twitter.com/tttDP4S6bY
— Jagat Prakash Nadda (@JPNadda) June 26, 2020
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नेशनल रिलीफ फंड (पीएमएनआरएफ) से राजीव गांधी फाउंडेशन को पैसा दान किया गया। यह पैसा उस समय दान किया गया, जब सोनिया गांधी पीएमएनआरएफ के बोर्ड में भी थीं और आरजीएफ की अध्यक्ष भी थीं। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा, ‘संकट में लोगों की मदद करने के लिए बना पीएमएनआरएफ, यूपीए के कार्यकाल में राजीव गांधी फाउंडेशन को पैसे दान कर रहा था। पीएमएनआरएफ बोर्ड में कौन बैठा? सोनिया गांधी। राजीव गांधी फाउंडेशन की अध्यक्षता कौन करता है? सोनिया गांधी। यह पूरी तरह से निंदनीय है।’
गाँधी परिवार के स्वामित्व वाले राजीव गाँधी फाउंडेशन को किए गए ‘दान’ की लंबी लिस्ट देखकर यह लगता है कि अब कॉन्ग्रेस पार्टी और गाँधी परिवार द्वारा किए गए के बड़े घालमेल से पर्दा उठ सकता है।
एक ट्वीट में, वकील और टीवी पैनलिस्ट शहजाद पूनावाला ने लिखा है कि वर्ष 1991-92 में भारत के तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने केंद्रीय बजट से सोनिया गाँधी के नेतृत्व वाले राजीव गाँधी फाउंडेशन को पाँच साल की अवधि में 100 करोड़ रुपए की राशि आवंटित करने की कोशिश की थी, और भारी हंगामे के बाद इसे रोक दिया गया था।
Big big breaking
PMNRF under Dr MMS not only gave money to Sonia run RGF but in 1991-92 Budget when Dr MMS was FM he sough to give a huge sum to RGF from he Union Budget -it was stalled when there was uproar
Share and expose @pmoindia we need enquiry @navikakumar @rshivshankar pic.twitter.com/s7ViZVBis7
— Shehzad Jai Hind (@Shehzad_Ind) June 26, 2020
RGF को दान की गई जनता की मेहनत की कमाई
Jp नड्डा ने कहा, ‘भारत के लोगों ने जरूरतमंदों की मदद करने के लिए अपनी मेहनत की कमाई को PMNRF को दान कर दिया। इस सार्वजनिक धन को परिवार चलाने की बुनियाद में इस्तेमाल करना न केवल एक संगीन धोखाधड़ी है, बल्कि भारत के लोगों के लिए एक बड़ा धोखा भी है।’
People of India donated their hard-earned money to PMNRF to help their fellow citizens in need. To divert this public money into a family run foundation is not only a brazen fraud but also a big betrayal of the people of India.
— Jagat Prakash Nadda (@JPNadda) June 26, 2020
कांग्रेस पार्टी को माफी मांगनी चाहिए – नड्डा
JP नड्डा ने एक के बाद एक कई ट्वीट किए। लिखा कि धन के लिए एक परिवार की भूख ने देश को बहुत नुकसान पहुंचाया है। इसके लिए कांग्रेस पार्टी को माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक धन को एक परिवार की तरफ से चलाए जा रहे फाउंडेशन में डालना एक गंभीर धोखेबाजी है।
One family’s hunger for wealth has cost the nation immensely. If only they have devoted their energies towards more constructive agenda.
The Congress’ Imperial Dynasty needs to apologise to the unchecked loot for self-gains!
— Jagat Prakash Nadda (@JPNadda) June 26, 2020
बीजेपी के आरोप का आधार क्या?
बीजेपी अध्यक्ष नड्डा ने 2005-2006 और 2007-2008 में राजीव गांधी फाउंडेशन को दान देने वालों की लिस्ट शेयर की हैं, इनमें प्रधानमंत्री नेशनल रिलीफ फंड का भी नाम है।
2006-2007 FC6 return of Rajiv Gandhi Foundation, #FCRA-NGO, DL/231650615 shows 90 lakh 'donation' from Embassy of The Peoples Republic of China in India.
MoU can do wonders! From an all paid trip for the Gandhi family for opening ceremony of Olympics to donations!#ChineseGandhis pic.twitter.com/X5PxCtR0K2
— BJP (@BJP4India) June 25, 2020
राजीव गांधी फाउंडेशन क्या है?
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए 21 जून 1991 को सोनिया गांधी ने इसकी शुरुआत की थी। फाउंडेशन 2010 से एजुकेशन को बढ़ावा देने पर ज्यादा फोकस कर रही है। इसका कामकाज डोनेशन से मिलने वाली रकम से चलता है। सोनिया इसकी चेयरपर्सन हैं। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अलावा राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और पी. चिदंबरम ट्रस्टी हैं।
QUEEN VICTORIA WAS BRIBED BY CHINA
— Sambit Patra (@sambitswaraj) June 25, 2020
कांग्रेस ने चीन से भी ली रिश्वत
इससे पहले केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आरोप लगाया था कि राजीव गांधी फाउंडेशन को चीन ने पैसे दिए। उन्होंने पूछा था कि कांग्रेस ये बताए की ये प्रेम कैसे बढ़ गया। इनके कार्यकाल में चीन हमारी जमीन पर कब्जा कर लिया। कांग्रेस स्पष्ट करे कि इस डोनेशन के लिए क्या सरकार से मंजूरी ली गई थी? गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ झड़प के बीच इस खुलासा से सनसनी फैल गई है कि राजीव गांधी फाउंडेशन को दान के नाम पर चीन से काफी ज्यादा वित्तीय मदद मिली थी। कांग्रेस और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के बीच एमओयू के बाद अब यह खबर भी सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगी।
Sharing the video link of today’s Press Conference based on the massive expose by @BJP4India National President Sh @JPNadda Ji on #PMNRF का पैसा #राजीवगांधीफाउंडेशन में भेजा गया।श्री जेपी नड्डा जी के खु… https://t.co/LOk6IBWGoE via @YouTube
— Sambit Patra (@sambitswaraj) June 26, 2020
टाइम्स नाउ न्यूज चैनल के अनुसार यह वित्तीय मदद 300000 अमेरिकी डॉलर (उस समय के हिसाब से करीब 15 करोड़ रुपए) के करीब है।
टाइम्स नाउ के अनुसार भारत स्थित चीनी दूतावास राजीव गांधी फाउंडेशन को फंडिंग करता रहा है। खबर के अनुसार चीन की सरकार वर्ष 2005, 2006, 2007 और 2008 में राजीव गांधी फाउंडेशन में डोनेशन करती है और इसके बाद वर्ष 2010 में एक अध्ययन जारी कर बताया जाता है कि भारत और चीन के बीच व्यापार समझौतों को बढ़ावे की जरूरत है।
राजीव गांधी फाउंडेशन की वार्षिक रिपोर्ट 2005-06 में भी कहा गया है कि राजीव गांधी फाउंडेशन को पीपुल रिपब्लिक ऑफ चाइना के दूतावास से फंडिंग हुई है।
चीनी दूतावास के अनुसार, भारत में तत्कालीन चीनी राजदूत सुन युक्सी ने 10 लाख रुपए दान दिए थे। इस फंडिंग का नतीजा ये रहा कि राजीव गांधी फाउंडेशन ने भारत और चीन के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के बारे में कई स्टडी की और इसे जरूरी बताया।
कांग्रेस के थिंक-टैंक ने की FTA की पैरवी, व्यापार घाटा 33 गुणा बढ़ा
कांग्रेस के आलोचक अब RGF के लिए दान और एफटीए के संबंधों की बात कहते हुए उसे घेर रहे हैं। इसके आलोचकों का कहना है कि कांग्रेस पार्टी के थिंक-टैंक ने चीन के साथ एफटीए की पैरवी की, जिसके बाद 2003-04 और 2013-14 के बीच व्यापार घाटा 33 गुणा बढ़ गया। इसके अलावा 2008 में कांग्रेस और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के बीच हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन (एमओयू) का RGF के साथ संबंध बताते हुए कांग्रेस पर सवाल उठाए जा रहे हैं। कांग्रेस के विरोधी मांग कर रहे हैं कि यह समय है कि कांग्रेस पार्टी सीसीपी के साथ हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन पर सफाई पेश करे। चीन से साथ सीमा विवाद के समय कांग्रेस के नरम रवैये को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि कहीं इसका कारण यहीं तो नहीं है।
Quid Pro Quo: Rajiv Gandhi Foundation received large donations from China in lieu of the Rahul Gandhi-China MoU & promotion of India-China FTA?
At the cost of Indian people, Congress abjectly ‘Surrendered’ India’s national interest. #ChineseGandhis https://t.co/h92t2vAzAR
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) June 25, 2020
राहुल गांधी की कांग्रेस पार्टी का चीनी कन्युनिस्ट पार्टी के साथ एमओयू, डोकलाम विवाद के समय राहुल का चोरी-छिपे चीनी दूतावास के अधिकारियों से मिलना, चीनी झड़प के दौरान सरकार-सेना पर सवाल उठाना, सरकार की जगह पार्टी से परिवार के लोगों का चीन जाना, कैलास मानसरोवर की यात्रा के दौरान चीनी अधिकारियों से गुपचुप मुलाकात करना यह सब कांग्रेस पार्टी के साथ गांधी परिवार को संदेह के घेरे में खड़ा करता है।