कांग्रेस-शिवसेना-NCP से खतरे में प्रेस फ्रीडम, पत्रकारों के लिए एकजुट होने का समय

न्यूज़ डेस्क। इंडिरा गांधी की कांग्रेसी सरकार ने 25 जून, 1975 को भारतीय लोकतंत्र और प्रेस की आजादी को लेकर एक काला अध्याय जोड़ा था, लेकिन 4 नवंबर, 2020 को महाराष्ट्र की कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना सरकार उससे भी आगे निकल गई है। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार ने रिपब्लिक TV के एडिटर-इन चीफ अर्नब गोस्वामी को गिरफ्तार कर पत्रकार बिरादरी में खौफ पैदा करने की कोशिश की। महाराष्ट्र सरकार ने पत्रकारों को ये संदेश देने की कोशिश की है कि खिलाफ जाने पर हर हाल में भुगतना पड़ेगा। किसी समाचार चैनल के प्रमुख को बिना किसी पूर्व नोटिस के सुबह-सुबह एक आतंकवादी की तरह गिरफ्तार कर घसीटकर ले जाया जाना कांग्रेसी फासिज्म का उदाहरण है। अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी पर प्रेस बिरादरी के लोग आहत हैं और इसका विरोध कर रहे हैं।

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