एक बार फिर संकटमोचक बने प्रधानमंत्री मोदी : पहाड़ी पर झोपड़ी में ऑनलाइन पढ़ाई करने वाली स्वप्नाली को घर में मिला हाई स्पीड इंटरनेट
न्यूज़ डेस्क। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश के सवा सौ करोड़ लोगों की उम्मीद और भरोसे का प्रतीक बने हुए हैं। लोगों के भरोसे को बनाए रखने के लिए प्रधानमंत्री मोदी दिन-रात लगातार काम करते रहते हैं। कितना भी कठिन काम हो, कोई भी मसला हो, संज्ञान में आते ही प्रधानमंत्री मोदी तुरंत मदद के लिए हाथ बढ़ा देते हैं। अब प्रधानमंत्री मोदी महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले की एक बेटी के लिए संकटमोचक बनकर सामने आए हैं।
कणकवली तहसील के दारिस्ते गांव की स्वप्नाली सुतार मुंबई में वेटनरी कॉलेज से पढ़ाई कर रही हैं। स्वप्नाली को कोरोना संकट काल में लॉकडाउन के कारण वापस गांव आना पड़ा। गांव में ऑनलाइन पढ़ाई के लिए इंटरनेट की जरूरत थी। गांव में इंटरनेट ना होने के कारण स्वप्नाली सुतार को ऑनलाइ पढ़ाई के लिए घर से करीब दो किलोमीटर दूर वीरान पहाड़ी पर जाना पड़ा, क्योंकि काफी देखने के बाद उसके भाई को पहाड़ी पर मोबाइल सिग्नल मिला था। स्वप्नाली इसी पहाड़ी पर झोपड़ी बनाकर पढ़ाई करने लगी। सोशल मीडिया पर स्वप्नाली के पढ़ाई के प्रति लगन और ललक की खबर देख प्रधानमंत्री मोदी ने PMO से मदद करने को कहा। प्रधानमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप के बाद तुरंत भारत नेट योजना के तहत स्वप्नाली के दारिस्ते गांव में हाई स्पीड इंटरनेट शुरू कर दिया गया। अब घर में ही इंटरनेट मिलने से वह काफी खुश है। प्रधानमंत्री मोदी के कारण स्वप्नाली का घर पर ही का ऑनलाइन पढ़ाई का सपना सच हो गया है।
प्रधानमंत्री मोदी इसके पहले भी मानवता की मिसाल पेश करते रहे हैं। आइए डालते हैं उनमें से कुछ पर नजर–
सुनी बेबस पिता की पुकार, बेटी के इलाज के लिए दिए 30 लाख
हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी आगरा की एक बेटी के लिए संकटमोचक बनकर सामने आए। आगरा के दौहरई, कुबेरपुर के रहने वाले सुमेर सिंह की बेटी ललिता दो साल से एक गंभीर बीमारी अप्लास्टिक एनीमिया से बीमार है। इस बीमारी में शरीर में नए ब्लड सेल बनना बंद हो जाते हैं, साथ ही बोन मेरो नष्ट होना शुरू हो जाता है। मिडिया रिपोट के अनुसार बेटी के इलाज के लिए सुमेर सिंह ने अपनी जमीन बेच दी। घर गिरवी रख दिया। इलाज में सात लाख रुपये खर्च हो गए, लेकिन ललिता ठीक नहीं हो पाई। आखिर में ललिता को जयपुर स्थित सवाई मान सिंह अस्पताल में दिखाया गया। जहां के डॉक्टरों ने सिर्फ ऑपरेशन के लिए दस लाख रुपये का खर्च बताया, लेकिन अब परिवार के पास रुपए नहीं थे। थक- हारकर इस पिता ने प्रधानमंत्री मोदी से मदद की गुहार लगाई। प्रधानमंत्री मोदी ने इनकी गुहार सुन ली और ललिता के इलाज के लिए तीस लाख रुपये देने को मंजूरी दे दी।
PMO के पैगाम से मिला केरल के दिव्यांग मोहम्मद असीम को समाधान
हाल ही में प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) से केरल के मोहम्मद असीम को एक बड़ी राहत मिली है। PMO ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को निर्देश दिया कि वह राज्य के शिक्षा विभाग से परामर्श करके कोझिकोड जिले के ओमसेरी पंचायत के स्कूल को हाई स्कूल में अपग्रेड करने के लिए कदम उठाए।
मीडिया रिपोर्ट्स की खबर के अनुसार बिना हाथों के पैदा हुआ दिव्यांग मोहम्मद असीम पिछले दो वर्षों से अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए लोगों से मदद के लिए संपर्क कर रहा था। असीम में मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन सहित कई नेताओं को अपने पैरों से पत्र लिखे थे। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से भी मुलाकात की। सभी ने मदद करने का वादा किया, लेकिन कुछ नहीं हुआ। सारी कोशिशें नाकाम रहने पर दिव्यांग असीम ने अपने घर से राज्य सचिवालय तक विरोध मार्च शुरू किया। प्रधानमंत्री मोदी को जब इस बारे में पता चला तो उन्होंने तत्काल पीएमओ से इस पर मदद के लिए कहा। असीम के परिवार वाले इससे काफी खुश हैं।
एक पत्र ने बदल दी रिक्शा चालक की जिंदगी
बिहार के खगड़िया जिले के गोगरी जमालपुर के एक गरीब रिक्शा चालक शंभू पासवान की पत्नी का इलाज भी प्रधानमंत्री मोदी की पहल से संभव हो सका। एक बार पत्नी के बीमार पड़ने पर शंभू पासवान ने इलाज के लिए उसे गोगरी रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन अस्पताल में लिखी गई दवा नहीं मिली। ऐसे में शंभू के मन में प्रधानमंत्री मोदी का चेहरा कौंधा, एक उम्मीद जगी और उन्हें पत्र लिख दिया। फिर क्या था, प्रधानमंत्री मोदी ने मामले का संज्ञान लिया और अस्पताल की ओर से दवा उपलब्ध कराई गई। साथ ही इलाज की पूरी व्यवस्था भी की गई। मिडिया रिपोट के अनुसार इसके बाद से शंभू पासवान ने प्रधानमंत्री मोदी को कई समस्याओं को लेकर भी पत्र लिखे और हर बार प्रधानमंत्री मोदी का पत्र मिला। शंभू को अब तक ऐसे चार पत्र मिले हैं। वह प्रधानमंत्री मोदी के पत्र को लेकर एक बार फिर चर्चा में हैं। नववर्ष शुभकामना संदेश पर प्रधानमंत्री मोदी की ओर से दिया गया जवाब उनके घर के पते पर आया है। शंभू इस पत्र को मुहल्ले में हर किसी को दिखा रहे हैं। प्रधानमंत्री के पत्रों ने शंभू को इलाके में चर्चा का विषय बना दिया है।
तीसरी क्लास की खुशी को मिला प्रधानमंत्री का जवाब
हरियाणा में फतेहाबाद जिले के रत्ताटिब्बा गांव की तेजासिंह ढाणी की रहने वाली तीसरी कक्षा की ‘खुशी’ ने अपने गांव की कच्ची सड़क को पक्का करने के लिए देश के प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखी। खुशी ने 17 जनवरी को अपनी कॉपी के पन्ने पर पत्र लिखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास भेज दिया और जब 15 फरवरी को जब खुशी के पत्र का जवाब आया, तो गांव में खुशियां छा गई। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 300 की आबादी वाले तेजासिंह ढाणी में आजादी के इतने साल बाद भी कच्ची सड़कें हैं। यहां के बच्चों को स्कूल जाने के लिए तीन किलोमीटर तक पैदल जाना पड़ता है। खुशी की चिट्ठी के बाद पीएमओ ने PWD-B&R विभाग को सड़क बनाने का आदेश दिया है। PMO के आदेश के बाद अब गांव के लोगों में पक्की सड़कें बनने की उम्मीद जगी है। खुशी की इस उपलब्धि पर उसके दादा छोटू राम भी काफी खुश हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपनी इस बेटी पर गर्व है और हमें लगता है कि हमने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे को भी सार्थक किया है।
बुलंदशहर की छात्रा दीक्षा के पत्र का जवाब- बुलंदशहर की 11वीं कक्षा की छात्रा दीक्षा ने 10वीं में 81.16 प्रतिशत अंक हासिल कर अपने स्कूल में दूसरा स्थान प्राप्त करने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘मन की बात’ को दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि परीक्षा को उत्सव की तरह मनाएं। PM मोदी की बातों को मानकर तनाव दूर करने के लिए दीक्षा ने संगीत का सहारा लिया। उनकी बातों को अमल में लाकर वह परीक्षा के मानसिक तनाव से उबर सकीं और 10वीं बोर्ड की परीक्षा में सफलता प्राप्त की। दीक्षा ने परीक्षा पास करने के बाद पीएम मोदी को एक पत्र लिखा, जिसके जवाब में प्रधानमंत्री ने उन्हें बधाई देते हुए ‘मन की बात’ सुनने के लिए धन्यवाद दिया। IPS अधिकारी बनने की चाह रखने वाली दीक्षा इससे पहले भी 6 बार प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिख चुकी हैं। हर बार उन्हें प्रधानमंत्री की तरफ से जवाब जरूर मिला है।
दिल्ली के सुरेन्द्र कुमार के पत्र का जवाब- पूर्वी दिल्ली के गीता कॉलोनी थाना के झील खुरंजा में रहने वाले सुरेंद्र कुमार ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में बेटी के ब्याह के लिए संजोकर रखी संपत्ति चोरी होने की पीड़ा बयां की। भारतीय डाक सेवा से रिटायर डाकिया सुरेंद्र कुमार ने पत्र में लिखा कि उन्होंने बेटी की शादी के लिए जिंदगीभर की कमाई से बचाकर कुछ गहने खरीदे थे। 23 अगस्त 2016 को पत्नी की असमय मौत हो गई, इसलिए बेटी का हाथ पीला नहीं कर सके। वह पत्नी की मौत के सदमे से उबर भी नहीं पाए थे कि 9 अगस्त 2017 को चोरों ने पूरा घर साफ कर दिया। वह थाने के चक्कर लगाते रहे, लेकिन पुलिस ने मामला तक दर्ज नहीं किया। अब प्रधानमंत्री को पत्र लिखने के बाद FIR दर्ज की गई, उसकी समस्या का समाधान किया गया।
पटियाला की बच्ची सनौर के पत्र का जवाब– पंजाब में पटियाला के सनौर की रहने वाली हश्मिता अपने परिवार के साथ नई दिल्ली में महात्मा गांधी की समाधि पर गई थी। समाधि से पहले जूते रखने के लिए काउंटर बने हुए हैं। यहां जूते रखने के लिए एक रुपये का शुल्क लिया जाता है। यहां हश्मिता ने देखा कि काउंटर पर तैनात कर्मचारी विदेशी पर्यटकों से एक सौ रुपये तक वसूल रहे हैं। 13 साल की हश्मिता को यह बात अच्छी नहीं लगी। इस बारे में उसने अपने माता-पिता से भी बात की। हश्मिता को लगा कि इससे विदेशियों के सामने देश की छवि खराब होगी। घर लौटने के बाद हश्मिता ने इस बारे में प्रधानमंत्री को एक चिट्ठी लिखकर शिकायत की। उसके पास PM मोदी का पूरा पता नहीं था, इसीलिए चिट्ठी पर सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, नई दिल्ली लिखा। इतना भर लिखने पर भी पत्र प्रधानमंत्री कार्यालय पहुंच गया और इसपर तुरंत कार्रवाई की गई। हश्मिता की शिकायत के बाद राजघाट पर तैनात सभी स्टाफ को बदल दिया गया। इसके साथ ही CCTV कैमरे भी लगा दिए गए।
अनाथ बच्चों के पत्र का जवाब- नोटबंदी के दौरान पुराने नोट बदलने की समयसीमा खत्म होने के बाद कोटा के दो अनाथ बच्चों सूरज और सलोनी बंजारा को अपने घर से 96,500 रुपये के पुराने नोट मिले थे। मीडिया रिपोर्ट्स की खबर के मुताबिक समय सीमा खत्म हो जाने के कारण रिजर्व बैंक ने इन नोटों को बदलने से इनकार कर दिया। इसके बाद अनाथ आश्रम मधु स्मृति संस्थान के संचालकों ने PMO को पत्र लिखकर इन बच्चों की परेशानी बताई। इन बच्चों की खुशियों का तब कोई ठिकाना ना रहा जब PMO की ओर से एक चिट्ठी मधु स्मृति संस्थान पहुंची। इस चिट्ठी में PM मोदी ने बच्चों को तोहफे के रूप में प्रधानमंत्री विवेकाधीन कोष से 50 हजार की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की । इसके साथ ही PM सुरक्षा बीमा योजना और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के तहत दोनों बच्चों का बीमा भी किया गया। सूरज और सलोनी की मां पूजा बंजारा दिहाड़ी मजदूर थी। साल 2013 में उसकी हत्या के बाद अनाथ हुए सूरज और सलोनी कोटा में मधु स्मृति संस्थान में रह रहे हैं। जहां काउंसलिंग के दौरान दोनों ने अपने पुश्तैनी घर की जानकारी दी। बाल कल्याण समिति के निर्देश पर पुलिस की तलाशी में बच्चों के पुश्तैनी घर से 96 हजार 500 रुपए मिले थे।
कैंसर मरीज के पत्र का जवाब– हिमाचल प्रदेश के अवतार सिंह को मुंह का कैंसर है। कैंसर के कारण 38 साल के अवतार की पिछले वर्ष नौकरी भी चली गई थी। इलाज के लिए डॉक्टर ने उससे तीन लाख रुपये की व्यवस्था करने को कहा था। तीन लाख रुपये के नाम पर उसे लग रहा था वह अब और नहीं जी पाएगा। इस बारे में हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा के एक बीजेपी नेता ने स्थानीय सांसद शांता कुमार से बात की। शांता कुमार ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर पूरे मामले की जानकारी दी। 31 मार्च को लिखे इस पत्र में उन्होंने प्रधानमंत्री से आर्थिक मदद का अनुरोध किया। प्रधानमंत्री ने उनके इस अनुरोध को स्वीकार कर तीन लाख रुपये की आर्थिक मदद को मंजूरी दे दी।
मां के मोबाइल से मिले संदेश का जवाब– ऋषिकेश के सर्वहारानगर काले की ढाल की निवासी संतोष रस्तोगी अपने 20 साल के बेटे विशाल के इलाज के लिए कई जगह गुहार लगा चुकी थी। एमएलए, एमपी सहित मुख्यमंत्री के दरबार में भी हाजिरी लगा चुकी थी, लेकिन कुछ नहीं हुआ। हर जगह से निराशा ही हाथ लगी। थक-हारकर संतोष रस्तोगी ने अपने एक रिश्तेदार के मोबाइल फोन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी फरियाद भेजी। प्रधानमंत्री कार्यालय ने इसपर तुरंत संज्ञान लेते हुए कार्रवाई के निर्देश दिए। प्रधानमंत्री कार्यालय ने ऋषिकेश के एसडीएम को फोन करके महिला संतोष रस्तोगी का पता लगाने और मदद करने को कहा गया। पीएमओ ने एसडीएम को तुरंत महिला के बेटे के इलाज की व्यवस्था कराने को कहा।संतोष ठेला लगाकर अपने परिवार का पालन-पोषण करती है।
रामशंकर के पत्र का जवाब- दिल्ली से सटे गुरुग्राम में रहने वाले बिहार के रामशंकर यादव को दिल्ली से बिहार के मधुबनी जाना था। रेल टिकट के लिए गुरुग्राम से दिल्ली जाते वक्त मेट्रो रेल में रामशंकर ठगी के शिकार बन गए। दिल्ली मेट्रो में बातचीत के दौरान तीन लोगों ने कन्फर्म रेल टिकट दिलाने के नाम पर उससे 2,200 रुपये छीन लिए और डेबिट कार्ड से 6,000 रुपये निकाल लिए गए। इसके साथ ही रामशंकर से बैग भी छीन लिया गया जिसमें उसके ओरिजल सर्टिफिकेट थे। 21 साल के रामशंकर यादव धोखाधड़ी के इस मामले में केस दर्ज करना चाहते थे। गुरुग्राम के एक और दिल्ली के तीन पुलिस स्टेशन से उसे लौटा दिया गया। थक हारकर उसने पीएमओ को पत्र लिखा। जिसके बाद गुरुग्राम मेट्रो पुलिस स्टेशन से रामशंकर के पास फोन आया कि आप आकर शिकायत दर्ज करा दीजिए। पीएमओ के दखल के बाद गुरुग्राम मेट्रो पुलिस स्टेशन ने धारा 406 और 420 के तहत मामला दर्ज कर किया, और उसकी समस्या का समाधान किया।
सारा के पत्र का जवाब– कर्नाटक की बी.बी.सारा, जो अपनी एमबीए की पढ़ाई को आगे जारी रखना चाहती थी, लेकिन आर्थिक हालात ठीक नहीं होने की वजह से वो ऐसा नहीं कर पा रही थी। कर्नाटक के मंड्या की शुगर टाउन की रहने वाली सारा ने बैंक से एजुकेशन लोन के लिए एप्लाई कर दिया। सारा को अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए ये लोन बहुत जरूरी था, लेकिन बैंक देर पर देर किये जा रहा था और सारा को पढ़ाई छूटने का खतरा सता रहा था। थक हारकर सारा ने अपने पिता अब्दुल इल्यास के साथ मिलकर प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर अपनी परेशानी से अवगत कराया। प्रधानमंत्री कार्यालय से तुरंत पत्र का जवाब आया कि 10 दिन के अंदर आपको लोन मिल जाएगा, और वैसा ही हुआ 10 दिन से पहले ही बैंक वालों ने सारा को लोन दे दिया।
ट्वीटर पर मिले आठ साल की बच्ची के संदेश का जवाब- असम की आठ साल की बच्ची की हालत काफी गंभीर थी। वह लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर थी और उसे इलाज के लिए जल्द से जल्द दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में शिफ्ट करना था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस समय वाराणसी में थे। बच्ची के परिजन ने मदद के लिए दिल्ली पुलिस और प्रधानमंत्री को ट्वीट किया। ट्वीटर पर इस बारे में जानकारी मिलने पर उन्होंने तुरंत प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) से ट्रैफिक फ्री पैसेज देने का आदेश दिया। इसके बाद PMO ने दिल्ली पुलिस के साथ मिलकर बच्ची के एंबुलेंस के लिए फ्री पैसेज तैयार कर लिया। जिससे बच्ची समय से पहले अस्पताल पहुंच सकी। 13 किलोमीटर का रास्ता सिर्फ 14 मिनट में तय कर बच्ची को अस्पताल में भर्ती करा लिया गया। बताया जा रहा है कि बच्ची को जिस वेंटिलेटर के साथ दिल्ली लाया गया था, अस्पताल पहुंचते वक्त उस बैटरी की क्षमता सिर्फ सात मिनट बची थी। साफ है थोड़ा समय और लगता तो बच्ची की जान को खतरा हो सकता था।
पार्थ के पिता के पत्र का जवाब- डीजेनरेटिव ब्रेन नामक बीमारी से पीड़ित 12 साल के पार्थ के पिता अपने बच्चे की इलाज में अपनी पूरी जमा-पूंजी खर्च चुके थे, लेकिन फिर भी पार्थ को सही इलाज नहीं मिल पा रहा था। ऐसे में हर जगह हार मान चुके पार्थ के पिता को एक ही उपाय नजर आया और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा। PM मोदी ने पत्र पढ़कर तुरंत स्वास्थ्य मंत्री को पार्थ के इलाज की उचित व्यवस्था कराने को कहा।
तैयबा के पत्र का जवाब– आगरा की तैयबा का परिवार तो निराश हो चला था। महज 12 साल की उम्र में तैयबा के दिल का एक वॉल्व खराब हो गया। इलाज बेहद खर्चीला था। ऐसे में तैयबा ने PM को चिट्ठी लिखी और नतीजा दुनिया के सामने है। तैयबा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखी चिट्ठी में कहा कि वह जन्म से ही दिल की बीमारी से पीड़ित है और उसके मजदूर पिता के पास 15 से 20 लाख रुपये नहीं कि इलाज करा सकें। तैयबा की खुशी का ठिकाना नहीं रहा जब उन्हें पीएमओ से जवाबी चिट्ठी मिली। उसी खत में दिल्ली सरकार को निर्देश भी दिया गया था कि खर्च की परवाह किए बिना तैयबा का उचित इलाज करवाया जाए। दिल्ली सरकार ने भी इस पत्र पर कार्रवाई करते हुए गुरु तेग बहादुर अस्पताल को तैयबा के इलाज का निर्देश दिया और इलाज शुरू हो गया।
रोहित की मात्र खबर पर जवाब– ऐसे समय में जब 14 साल के रोहित के परिवार को मदद की सख्त जरूरत थी, प्रधानमंत्री ने महज एक खबर का संज्ञान लेकर उन्हें ये मदद पहुंचाई। मिडिया रिपोट अखबार में खबर आने पर प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने एम्स में रोहित का इलाज कर रहे डॉक्टर से बात की। जिसके तुरंत बाद 13 फरवरी को रोहित के इलाज और पोर्टेबल वेंटिलेटर खरीदने के लिए प्रधानमंत्री राहत कोष से दो लाख रुपए जारी कर दिए गए। प्रधानमंत्री से मदद पाकर रोहित का परिवार बेहद खुश है।
डोरिस फ्रांसिस की मदद की– दिल्ली से सटे गाजियाबाद जिले की डोरिस फ्रांसिस को प्रधानमंत्री कार्यालय से तीन लाख रुपये की मदद मिली। सामाजिक कार्यकर्ता डोरिस लंबे समय से नेशनल हाइवे 24 पर ट्रैफिक संभालती हैं। वह जहां ट्रैफिक संभालती हैं, वहीं उनकी 17 साल की बेटी का सड़क हादसे में निधन हो गया था। वह इन दिनों कैंसर से जूझ रहीं हैं।
वाराणसी की कैंसर पीड़िता के पत्र का जवाब– प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एक महिला ने अपनी बेटी का इलाज कराने की गुहार लगाई। इस महिला की बेटी की दोनों किडनियां भी खराब हैं। प्रधानमंत्री ने पीड़िता को वाराणसी के रविंद्रपुरी स्थित दफ्तर में मुलाकात की। यह दफ्तर उनके संसदीय क्षेत्र के लोगों की समस्याएं इकट्ठा करने के लिए ही बनाया गया था। पीएम मोदी से मिलकर आईं कल्याणी मिश्रा ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री से अपनी बेटी का इलाज कराने की गुहार लगाई। प्रधानमंत्री ने तुरंत ही प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के अधिकारियों का नंबर लगाया और उन्हें कहा कि मुझे पहली प्राथमिकता देते हुए मेरी सहायता की जाए।
छह साल की वैशाली के पत्र का जवाब– मोदी सरकार की तत्परता का अनुभव पुणे की सात साल की वैशाली यादव नाम की छोटी बच्ची ने लिया। वह पुणे में हडपसर के पास भेकराई नगर में रहती है। पहली कक्षा में पढ़ने वाली वैशाली के दिल में छेद होने की वजह से वो हमेशा बीमार रहती थी। डॉक्टरों ने सर्जरी अनिवार्य बताई थी। बच्ची के चाचा मजदूरी करते हैं। बहादुर बेटी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखकर अपने मन की बात बताई। खत मिलने पर पीएमओ ऑफिस से पुणे के कलेक्टर को वैशाली की मदद करने कहा गया और पुणे के रुबी हॉल क्लीनिक में वैशाली की ओपन हार्ट सर्जरी भी पूरी हो गई। वो अपने घर पर सुरक्षित है। वैशाली के घरवालों के लिए यही अच्छे दिन है।
ट्वीट के संदेश का दिया जवाब- कर्नाटक में कोप्पल गांव के एक किसान विजय कुमार यातनल्ली ने एक ट्वीट कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद मांगी और उनकी समस्या सुलझ गई। किसान विजय के खेत में खड़ा बिजली का खंभा बारिश के कारण झुक गया था। खंभा झुक जाने के कारण विजय को खेत में हल चलाने में और पटवन में काफी परेशानी होती थी। विजय ने इस बारे में गुलबर्ग इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कंपनी (GESCOM) से कई बार शिकायत की, लेकिन परेशानी का कोई हल नहीं निकाला गया। परेशान होकर विजय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ट्वीट कर दिया। प्रधानमंत्री को ट्वीट किए जाने के बाद 24 घंटे के भीतर बिजली खंभे को खेत से हटा दिया गया।
गांव के शिकायती पत्र का जवाब दिया– PMO की पहल पर ही उत्तर प्रदेश के एटा के भिड़इया गांव में 11 साल बाद नए सिरे से विद्युतीकरण का काम शुरू करवाया गया। एक छात्रा ने पीएमओ की वेबसाइट पर शिकायत कर ये जानकारी दी थी कि 2005 में आंधी में तार टूटने के बाद प्रशासन और शासन में से कोई भी गांव में बिजली बहाली की सुध नहीं ले रहा। PMO के संज्ञान लेते ही विद्युत विभाग के अफसरों की नींद खुली और 15 दिन के अंदर बजट आवंटित होने के साथ गांव में दोबारा बिजली बहाल करवाई गई।
वाराणसी के जितेंद्र साहू के पत्र का जवाब – वाराणसी में सारनाथ के सारंग तालाब निवासी जितेंद्र साहू को बेटी की शादी के लिए PMO की पहल पर पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग से 50 हजार रुपये का चेक दिलवाया गया। बेटी की शादी के निमंत्रण कार्ड के साथ जितेंद्र ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आर्थिक मदद के लिए एक पत्र लिखा था, जिसके बाद पीएमओ ने जिलाधिकारी को खत लिखकर मदद मुहैया कराने का निर्देश दिया था।