गांव पहुंचते ही राष्ट्रपति कोविंद हुए भावुक, माथे पर लगाई मिट्टी, बोले- कभी नहीं सोचा था प्रेसीडेंट बनूंगा
न्यूज़ डेस्क। देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तीन दिवसीय दौरे पर उत्तर प्रदेश पहुंचे हैं। तय कार्यक्रम के अनुसार महामहिम रविवार सुबह सबसे पहले अपने गांव परौंख पहुंचे। यहां उन्होंने पथरी देवी मंदिर में दर्शन किए और फिर गांव वालों का अभिनंदन करते हुए सभी को धन्यवाद दिया। इसके बाद राष्ट्रपति ने अपनी मातृभूमि को झुककर नमन किया और उसकी मिट्टी को माथे पर लगाया। राष्ट्रपति के साथ यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी मौजूद रहीं।
In a rare emotional gesture, after landing at the helipad near his village, Paraunkh of Kanpur Dehat district of Uttar Pradesh, President Ram Nath Kovind bowed and touched the soil to pay obeisance to the land of his birth. pic.twitter.com/zx6OhUchSu
— President of India (@rashtrapatibhvn) June 27, 2021
राष्ट्रपति हैलीपैड से अपने गांव के पास उतरे। यहां उतरते ही उन्होंने अपनी मातृभूमि की मिट्टी को माथे लगाया और नमन किया। ज्ञात हो कि राष्ट्रपति बनने के लगभग 4 साल बाद रामनाथ कोविंद रविवार को पहली बार अपने पैतृक गांव परौंख पहुंचे। गांव पहुंचकर उन्होंने पत्नी सविता के साथ पथरी देवी मंदिर के दर्शन किए। लगभग 15 मिनट तक विधि-विधान से पुजारी कृष्ण कुमार बाजपेई ने पूजा संपन्न कराई। इस मौके पर महामहिम अपने साथ फल-मिष्ठान लेकर आए।
कानपुर देहात के अभिनंदन समारोह में राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, ‘मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरे जैसे गांव के एक साधारण लड़के को देश के सर्वोच्च पद की जिम्मेदारी निभाने का सौभाग्य मिलेगा। लेकिन हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था ने इसे संभव बना दिया है। आज इस अवसर पर मैं देश के स्वतंत्रता सेनानियों को उनके बलिदान और संविधान का मसौदा बनाने वाली समिति को उनके योगदान के लिए नमन करता हूं। मैं आज जहां तक पहुंचा हूं, इसका श्रेय इस गांव की मिट्टी और आप सभी के प्यार और आशीर्वाद को को जाता है।’
आज इस अवसर पर देश के स्वतन्त्रता सेनानियों व संविधान-निर्माताओं के अमूल्य बलिदान व योगदान के लिए मैं उन्हें नमन करता हूं। सचमुच में, आज मैं जहां तक पहुंचा हूं उसका श्रेय इस गांव की मिट्टी और इस क्षेत्र तथा आप सब लोगों के स्नेह व आशीर्वाद को जाता है।
— President of India (@rashtrapatibhvn) June 27, 2021
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अपने गांव पहुंचकर भावुक हो गए। बचपन को याद करते हुए उन्होंने कहा कि गांव की इस मिट्टी और यहां के लोगों के आशीर्वाद से वह राष्ट्रपति भवन तक पहुंचे हैं। अभिनंदन समारोह स्थल पर संबोधन की शुरुआत में उन्होंने कहा कि मेरे गांव आने से जितनी खुशी आप सभी को है उससे ज्यादा मुझे है। मातृभूमि में आने की उनको बहुत लालसा थी। उन्होंने खुद बताया कि हेलीकॉप्टर से नीचे उतरा तो मातृभूमि के चरण स्पर्श किए। राष्ट्रपति ने प्रार्थना की कि इस बार गांव आने में जितना विलंब हुआ आगे नहीं हो, फिर जल्दी गांव आने का मौका मिले।
जहां आप हैं वहीं मैं भी हूं, आप नागरिक और मैं सिर्फ राष्ट्रपति होने के नाते प्रथम नागरिक कहलाता हूं। उन्होंने कहा कि पहले गांव से निकालकर कहीं ऊपर पहुंचना मुश्किल था, अब लोकतांत्रिक व्यवस्था में ऐसा नहीं रहा। उन्होंने कहा कि प्रदेश ने नौ प्रधानमंत्री दिए और अब राष्ट्रपति भी दिया, इससे आगे का रास्ता खुल गया है। आज जहां तक पहुंचा गांव की मिट्टी के आशीर्वाद से पहुंचा। उन्होंने कहा कि प्रेसीडेंशियल ट्रेन से आया तो फ्रेट कॉरिडोर दिखा यह विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, जल्द इसके परिणाम दिखेंगे।
मैं कहीं भी रहूं, मेरे गांव की मिट्टी की खुशबू और मेरे गांव के निवासियों की यादें सदैव मेरे हृदय में विद्यमान रहती हैं। मेरे लिए परौंख केवल एक गांव नहीं है, यह मेरी मातृभूमि है, जहां से मुझे, आगे बढ़कर, देश-सेवा की सदैव प्रेरणा मिलती रही।
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बचपन याद किया
बपपन याद करते हुए कहा कि अब तो गांव में बहुत अच्छे और पक्के मकान बन गए हैं, बाजार अच्छा हो गया है। गांव के लोगों का प्रेम देख मुख्य मंत्री ने कहा मैंने पहली बार ऐसा देखा है। राष्ट्रपति ने बचपन के साथियों की याद कर कहा कि जसवंत, विजयपाल, हरिराम, चंद्रभान के साथ पढ़ाई लिखाई की शुरुआत की। उनका मेरे जीवन में विशेष स्थान है। उन्होंने बताया कि उनके अंदर राजनीतिक चेतना बजरंग सिंह ने भरी। राम मनोहर लोहिया को गांव में लाने का श्रेय उन्हें जाता है।
राष्ट्रपति कोविन्द ने कानपुर की अपनी रेल यात्रा के दौरान कानपुर देहात के झींझक और रूरा रेलवे स्टेशनों पर जनता का अभिवादन स्वीकार किया तथा अपने स्कूल और समाज सेवा के शुरुआती दिनों के पुराने परिचितों के साथ मुलाकात की। pic.twitter.com/5adPWYymsA
— President of India (@rashtrapatibhvn) June 25, 2021
उन्होंने सहयोगियों का नाम लेकर कहा कि जगदीश सिंह, कैलाशनाथ बाजपाई, मोती शुक्ला, भोले सिंह ने हमेशा उनको गांव से जोड़कर रखा। राष्ट्रपति ने बताया कि अपने जीवन के 15 साल गांव में बिताए। इतने गहरे और लंबे समय जुड़ाव के कारण स्मृति शेष थीं, बताया कि उस समय जूनियर हाई स्कूल होता तो कई लोगों को मौका मिलता।
गांव के हवा, पानी, मिट्टी में संजीवनी
उन्होंने कहा कि जन्मभूमि का गौरव स्वर्ग से ज्यादा होता है। राष्ट्रपति भवन में भी गांव की याद आती है। वह भवन केवल राष्ट्रपति का नहीं देश के हर वासी को वहां आने का अधिकार है। उन्होंने गांव वालों से कहा कि दिल्ली आएं तो में यह कोशिश करूंगा की आप सब उसे देखें। उन्होंने अगले वर्ष के फिर आने का वायदा किया।
आज इस अवसर पर देश के स्वतन्त्रता सेनानियों व संविधान-निर्माताओं के अमूल्य बलिदान व योगदान के लिए मैं उन्हें नमन करता हूं। सचमुच में, आज मैं जहां तक पहुंचा हूं उसका श्रेय इस गांव की मिट्टी और इस क्षेत्र तथा आप सब लोगों के स्नेह व आशीर्वाद को जाता है।
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मिट्टी की खुशबू हमेशा साथ
राष्ट्रपति ने कहा कि गांव में माता-पिता और गुरु का सम्मान देखा जा सकता है। माता-पिता को आज सम्मान दिया गया, देखकर खुशी हुई कि गांव में बड़ों का सम्मान आज भी वैसा है। उन्होंने बताया कि 2019 में गांव का कार्यक्रम तय था लेकिन नहीं आ पाया। 2020 में कोरोना महामारी के कारण गांव नहीं आ पाए लेकिन लोगो लेकिन मोबाइल वीडियो कॉल से संपर्क बना रहा।
उन्होंने कहा कि मैं कहीं भी रहूं गांव की मिट्टी की खुशबू और लोगों का प्यार मेरे साथ रहता है। हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट फिर राज्यसभा से राज्यभवन और फिर राष्ट्रपति भवन, कहीं रहें गांव की याद ताजा रहती है। उन्होंने कहा गांव आने के लिए मुख्यमंत्री से बात हुई, उन्होंने हौसला बढ़ाया और मैं आज आपके सामने हूं।
भारतीय संस्कृति में ‘मातृ देवो भव’, ‘पितृ देवो भव’, ‘आचार्य देवो भव’ की शिक्षा दी जाती है। हमारे घर में भी यही सीख दी जाती थी। माता-पिता और गुरु तथा बड़ों का सम्मान करना हमारी ग्रामीण संस्कृति में अधिक स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ता है।
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पथरी देवी मंदिर में पूजन, भोले के दर्शन
उन्होंने बताया कि पथरी देवी मंदिर गए, अंबेडकर स्मारक पर पुष्प अर्पित किए। उन्होंने संगमरमर की प्रतिमा लगाने को कहा। बताया कि पुश्तैनी निवास जाने का सौभाग्य मिला, इसे ग्राम पंचायत को देने के निर्णय से संतोष हुआ। मिलान केंद्र में महिलाओं के कार्यक्रम आयोजित हो सकेंगे। उन्होंने कहा कि इंटर कॉलेज जाने का सौभाग्य मिला यहां मंदिर में शंकर जी के दर्शन किए।