हर घर तिरंगा : तिरंगा फहराने के नियम जारी, पालन नहीं करने पर होगी जेल
न्यूज़ डेक्स। भारत में आज़ादी का 75 मोहत्सव मनाने की तैयारी जोरों पर चल रही है। भारत ने अपनी आजादी के 75 वर्ष पूरे कर लिए हैं। भारत सरकार ने भारतीय स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ और ‘हर घर तिरंगा अभियान’ शुरू किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से ‘हर घर तिरंगा’ अभियान को सफल बनाने का आग्रह किया है। ‘हर घर तिरंगा’ अभियान 13 अगस्त से 15 अगस्त 2022 तक आयोजित किया जाएगा, जिसमें लोगों को अपने घरों पर तिरंगा फहराना है।
सरकार ने हर घर तिरंगा अभियान के तहत लोगों से अपने घरों में तिरंगा लगाने और फहराने की अपील की है। पीएम मोदी ने देशवासियों से अपील की है कि सभी लोग सोशल मीडिया अकाउंट में तिरंगे की डीपी लगाकर इस अभियान को और सशक्त बनाएं। पीएम मोदी की अपील के बाद देशभक्ति के रंग में डूबे देशवासी अपनी व्हाट्सऐप डीपी और फेसबुक प्रोफाइल फोटो पर तिरंगा लगा रहे हैं।
भारत सरकार ने तिरंगा फहराने को लेकर कुछ नियम भी तय कर रखे हैं। राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के सम्मान के लिए इन नियमों का पालन करना बेहद जरूरी है। ‘फ्लैग कोड ऑफ इंडिया 2002’ (भारतीय ध्वज संहिता) नाम के एक कानून में तिरंगे को फहराने के नियम निर्धारित किए गए हैं। इनका उल्लंघन करने वालों को जेल भी हो सकती है। भारत सरकार ने 26 जनवरी 2002 को तिरंगा फहराने व इसके इस्तेमाल को लेकर कानून बनाया था। पहले, मशीन से बने और पॉलिएस्टर से बने राष्ट्रीय ध्वज को फहराने की अनुमति नहीं थी। लेकिन दिसंबर 2021 में इसकी अनुमति दे दी गई। अब हाथ या मशीन से बना हुआ कपास/पॉलिएस्टर/ऊन/ रेशमी खादी से बना तिरंगा भी अपने घर पर फहराया जा सकता है।
इसके बाद हर घर तिरंगा अभियान के तहत सरकार ने 20 जुलाई 2022 को फिर इस कानून में संशोधन किया। सरकार ने इस बार तिरंगे को किसी भी वक्त फहराने की अनुमति दे दी। अब इसे दिन रात 24 घंटे फहराया जा सकता है। इससे पहले तिरंगे को केवल सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराने की अनुमति थी।
- एक नियम यह है कि झंडे का आकार आयताकार होना चाहिए। तिरंगा कभी भी फटा या मैला-कुचैला नहीं फहराया जाना चाहिए।
- झंडे का आकार आयताकार होना चाहिए। इसकी लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 का होना चाहिए।
- अशोक चक्र का कोई माप तय नही हैं सिर्फ इसमें 24 तिल्लियां होनी आवश्यक हैं।
- झंडे के किसी भाग को जलाने, नुकसान पहुंचाने के अलावा मौखिक या शाब्दिक तौर पर इसका अपमान करने पर तीन साल तक की जेल या जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं। झंडे पर कुछ भी बनाना या लिखना गैरकानूनी है।
- तिरंगे को किसी भी प्रकार के यूनिफॉर्म में प्रयोग में नहीं लाया जा सकता।
- किसी भी स्थिति में तिरंगा जमीन को छूना नहीं चाहिए।
- किसी अन्य झंडे को राष्ट्रीय ध्वज से ऊंचा नहीं रख या लगा सकते।
- साल 2002 से पहले राष्ट्रीय ध्वज को आम लोग सिर्फ स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर ही फहरा सकते थे लेकिन साल 2002 में इंडियन फ्लैग कोड में परिवर्तन किया गया जिसके तहत कोई भी नागरिक किसी भी दिन झंडे को फहरा सकता है।
- झंडा अगर फट जाए या फिर मैला हो जाए तो उसे एकांत में मर्यादित तरीके से नष्ट करना चाहिए।
तिरंगा समय के साथ हवा से या किसी अन्य कारण गंदा हो जाए या फट जाए तो ऐसी स्थिति में निस्तारण बहुत ही सावधानी से करना है-
निस्तारण के दो तरीके
- गाइडलाइन के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज के निस्तारण के दो तरीके हैं। एक दफन करना और दूसरा जलाना। बेहद गंदे या किसी कारण फट गए राष्ट्रीय ध्वज को दफन करने के लिए लकड़ी का ही बॉक्स लेना होगा। इसमें तिरंगे को सम्मानपूर्वक तह लगाकर रखना होगा। फिर बहुत ही साफ स्थल पर जमीन में दफन करना होगा। इसके बाद उस स्थान पर दो मिनट तक मौन खड़े रहना होगा।
- दूसरा तरीका जलाने की है। इसके लिए साफ स्थान पर लकड़ी रखकर उसमें आग लगानी होगी। अग्नि के मध्य में इसे सम्मानपूर्वक तह लगाकर डालना होगा। किनारे से नहीं। नियम इसलिए बनाए गए हैं क्योंकि राष्ट्रीय ध्वज हमारा गर्व है।
- तिरंगे में मौजूद केसरिया रंग साहस और बलिदान का प्रतीक माना जाता है, सफेद रंग शांति और सच्चाई का प्रतीक है, जबकि हरा रंग संपन्नता का प्रतीक होता है। अशोक चक्र धर्मचक्र का प्रतीक है। तिरंगे को पिंगली वेंकैया ने डिजाइन किया था।