JNU हिंसा पर बोले उप राष्ट्रपति, घृणा की राजनीति की शरणस्थली न बनें विश्वविद्यालय परिसर
बेंगलुरू। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में हुए हमले की पृष्ठभूमि में उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने मंगलवार को कहा कि शैक्षिणक संस्थानों को सफल बनने की राह में घृणा एवं हिंसा की राजनीति की शरणस्थली नहीं बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों और अकादमिक प्रयासों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए, न कि गुटबाजी और विभाजनकारी प्रवृत्तियों को।
ರಾಷ್ಟ್ರೀಯ ಮೌಲ್ಯಮಾಪನ ಮತ್ತು ಪ್ರಮಾಣೀಕರಣ ಮಂಡಳಿ (ನ್ಯಾಕ್/ ಎನ್ ಎ ಎ ಸಿ) 25 ನೇ ವರ್ಷ ಆಚರಿಸುತ್ತಿರುವ ಈ ಮಹತ್ವದ ಸಂತೋಷದ ಸಂದರ್ಭದಲ್ಲಿ ನಿಮ್ಮೆಲ್ಲರ ಜೊತೆಗಿರುವುದು ನನಗೆ ಹರ್ಷ ತಂದಿದೆ. pic.twitter.com/QF1GSErjkX
— Vice President of India (@VPSecretariat) January 7, 2020
राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद के रजत जयंती समारोह में अपने संबोधन में नायडू ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि हमारे यहां के विश्वविद्यालयों में हर तरह के मत एवं विचारों के लिए स्थान है। उन्होंने रविवार रात JNU में हुए हमले की पृष्ठभूमि में यह टिप्पणी की। नायडू ने कहा, ‘‘बच्चे शैक्षिणक संस्थानों से प्रबुद्ध नागरिक बनकर निकलें जो लोकतंत्र की रक्षा करने और संविधान में प्रदत्त बुनियादी मूल्यों को संरक्षित करने में गहन रुचि रखते हों।’’ उन्होंने कहा कि आज के दौर में भारत अनुसंधान एवं विकास पर जीडीपी का एक फीसदी से भी कम खर्च कर रहा है, यह बदलना चाहिए।
श्री नायडू ने कहा कि अनुसंधान, खासकर विज्ञान और प्रोद्यौगिकी अनुसंधान के क्षेत्र में, संसाधनों की आवश्यकता और समय की खपत होती है। इसमें जोखिम भी होता है। एक समाज के तौर पर हमें इस जोखिम को उठाने के लिए तैयार रहना चाहिए। उनके इस संबोधन की प्रति मीडिया को जारी की गई। उन्होंने कहा कि यह गंभीर चिंता का विषय है कि भारत के विश्वविद्यालय अनुसंधान और शिक्षण दोनों ही मामलों में निचले पायदान पर हैं।