खालिस्तान पर अकाल तख्त का सनसनीखेज बयान, कहा- यदि भारत सरकार हमें पेशकश देती है, तो हम इसे स्वीकार करेंगे।’’
अमृतसर। ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ के 36 साल पूरे होने के मौके पर यहां शनिवार को स्वर्ण मंदिर परिसर में कुछ सिख कट्टरपंथियों के खालिस्तान समर्थक नारे लगाये जाने के बीच प्रभावशाली अकाल तख्त ने कहा कि यदि सरकार की ओर से प्रस्ताव आता है, तो सिख समुदाय एक अलग राज्य के विचार के खिलाफ नहीं है। शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) प्रमुख एवं पूर्व सांसद सिमरनजीत सिंह मान के बेटे ईमान सिंह मान के नेतृत्व में करीब 100 कार्यकर्ताओं ने अकाल तख्त में नारे लगाये। सिख कट्टरपंथी संगठन दमदमी टकसाल के सदस्यों ने अकाल तख्त जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह और शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) के अधिकारियों के साथ उन लोगों के परिवारों को सम्मानित किया, जो 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान मारे गये थे।
ऑपरेशन ब्लू स्टार, स्वर्ण मंदिर में छिपे भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों को बाहर निकालने के लिये चलाया गया था। ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि सिख समुदाय हमेशा ऑपरेशन ब्लू स्टार के घावों को याद रखेगा। इसके बाद मीडिया से बातचीत में जब उनसे पूछा गया कि क्या खालिस्तान के लिए मांग न्यायोचित है तो जत्थेदार ने कहा, ‘‘यदि हमें यह मिलता है तो हमें और क्या चाहिए? यदि भारत सरकार हमें पेशकश देती है, तो हम इसे स्वीकार करेंगे।’’ सिंह ने कहा, ‘‘दुनिया का कौन सा सिख इसे नहीं चाहता?’’ शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक समिति के अध्यक्ष गोबिंद सिंह लोंगोवाल ने भी जत्थेदार के विचारों का समर्थन किया और कहा कि यदि खालिस्तान समुदाय को दिया जाता है, तो यह सिखों को स्वीकार्य होगा।
अकाल तख्त के ‘समानांतर’ जत्थेदार ध्यान सिंह मंड ने मान नीत समूह के साथ परिसर में प्रवेश किया और भीड़ को संबोधित किया। परिवारों के सम्मान में मुख्य कार्यक्रम अकाल तख्त द्वारा आयोजित किया गया। पुलिस ने स्वर्ण मंदिर के सभी प्रवेश द्वारों पर अवरोधक लगाये हुए थे। कोरोना वायरस महामारी को लेकर धार्मिक स्थलों में प्रवेश पर लगी पाबंदियों के कारण स्वर्ण मंदिर में 1,000 से अधिक लोग एकत्र नहीं हो सकते हैं। हालांकि, हर साल इस दिन यहां सामान्य रूप से एक लाख से अधिक लोग मत्था टेकने आते हैं। इससे पहले, दिन मे पुलिसकर्मियों और मान के नेतृत्व वाले समूह के बीच मामूली झड़प हुई क्योंकि उन्हें शुरूआत में मंदिर में प्रवेश करने से मना कर दिया गया। मान को झड़प में पैर में चोट लग गई। बाद में, वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद समूह को प्रवेश की इजाजत दे दी गई।