खत्म हुआ किसान आंदोलन, उखड़ने लगे टेंट, 14 महीने बाद 11 दिसंबर से शुरू होगी घर वापसी, किसानों ने पीएम मोदी को दिया धन्यवाद
नई दिल्ली। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन अब खत्म हो चुका है। गुरुवार (09 दिसंबर, 2021) को दिल्ली की सीमाओं पर बीते 14 महीनों से डटे किसानों ने आंदोलन की समाप्ति की घोषणा कर दी। इसके बाद किसान अपने टेंट और तंबू उखाड़ने लगे और सामान समेटते हुए दिखाई दिए। किसान नेताओं के मुताबिक 11 दिसंबर से सिंघु बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर समेत तमाम जगहों से किसान घर वापसी शुरू कर देंगे। इसके बाद 13 दिसंबर को किसान अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में अरदास करेंगे और अपने घरों को पहुंच जाएंगे।
सरकार की ओर से मिले नए प्रस्ताव पर किसान संगठनों में सैद्धांतिक सहमति पहले बन गई थी, लेकिन करीब 40 किसान संगठनों की संस्था संयुक्त किसान मोर्चा ने गुरुवार को लंबी चर्चा के बाद तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ एक साल से अधिक समय से चल रहे किसान आंदोलन को स्थगित करने का फैसला किया। इस मीटिंग में किसान संगठनों के 200 से ज्यादा प्रतिनिधि मौजूद थे। सिंघु बॉर्डर का माहौल भी किसानों की वापसी का संकेत दे रहा है। यहां लोग टेंट हटाने लगे हैं और लंगर आदि का सामान गाड़ियों में रखा जाने लगा है।
कानून वापसी के लिए किसानों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद दिया। संयुक्त किसान मोर्चा के कक्काजी ने कहा कि जिनको इस दौरान तकलीफ हुई उनसे मांफी मांगते हैं और साथ देने के लिए सभी का धन्यवाद देते हैं। उन्होंने कहा कि आज भी किसानों के कई सवाल बाकि हैं। किसान मोर्चा ने कहा कि यह किसानों की बड़ी जीत है। हर महीने एसकेएम की समीक्षा बैठक होगी। किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि 11 दिसंबर से देशभर में जहां भी किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं वो अपने घर लौटेंगे।
आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) को केंद्र सरकार द्वारा हस्ताक्षरित चिट्ठी मिलने के बाद आंदोलन खत्म करने की घोषणा हुई, जिसमें किसानों के खिलाफ मामलों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर एक समिति बनाने सहित उनकी लंबित मांगों पर विचार करने के लिए सहमति व्यक्त की गई। प्रदूषण कानून को लेकर किसानों को सेक्शन 15 से आपत्ति थी, जिसमें किसानों को कैद नहीं, जुर्माने का प्रावधान है। इसे केंद्र सरकार हटाएगी। केंद्र सरकार ने इस बार सीधे संयुक्त किसान मोर्चा की 5 मेंबर्स हाईपावर कमेटी से मीटिंग की। हाईपावर कमेटी के मेंबर बलबीर राजेवाल, गुरनाम चढ़ूनी, अशोक धावले, युद्धवीर सिंह और शिवकुमार कक्का नई दिल्ली स्थित ऑल इंडिया किसान सभा के ऑफिस पहुंचे, जहां वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए केंद्रीय गृह मंत्रालय के अफसर भी जुड़े।
Protesting farmers receive a letter from Govt of India, with promises of forming a committee on MSP and withdrawing cases against them immediately
"As far as the matter of compensation is concerned, UP and Haryana have given in-principle consent," it reads pic.twitter.com/CpIEJGFY4p
— ANI (@ANI) December 9, 2021
गौरतलब है कि किसान आंदोलन की चिंगारी पंजाब से ही सुलगी थी। 5 जून 2020 को केंद्र ने कृषि सुधार बिल संसद में रखे थे। इसके बाद 17 सितंबर को इन्हें पारित कर दिया गया। इसके बाद पंजाब में सबसे पहले इसका विरोध शुरू हुआ। 24 सितंबर को पंजाब से आंदोलन की शुरुआत हुई। इसके 3 दिन बाद राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ यह कानून बन गए। फिर 25 नवंबर को किसानों ने दिल्ली कूच कर दिया। हरियाणा ने बॉर्डर सील कर दिए। जहां किसानों पर लाठीचार्ज हुआ। पानी की बौछारें छोड़ी गईं। किसान बैरिकेड तोड़कर हरियाणा में घुस गए। अगले दिन हरियाणा सरकार को भी पीछे हटना पड़ा। किसानों ने दिल्ली के सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन शुरू कर दिया। इसके बाद केंद्र सरकार के साथ 11 दौर की वार्ता हुई, लेकिन किसान कानून वापस लेने की शर्त पर अड़ गए।