किसान आंदोलन : मोदी सरकार को धमकी के बाद ‘किसान’ संगठनों ने दायर की SC में याचिका, नहीं मिली जंतर-मंतर पर प्रदर्शन की अनुमति

न्यूज़ डेस्क। केंद्र सरकार के कृषि सुधार क़ानूनों को लेकर किसानों का विरोध प्रदर्शन 16वें दिन भी जारी है। वहीं किसानों और सरकार के बीच यह टकराव अब देश की सबसे बड़ी अदालत तक पहुँच गया है। भारतीय किसान यूनियन ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका के ज़रिए कृषि सुधार क़ानूनों को चुनौती दी है।

कल (दिसंबर 10, 2020) ही मोदी को सरकार को कानून वापस लेने या गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी भी किसान नेताओं की तरफ से दी गई थी। आंदोलन करने वाले तथाकथित किसान नेताओं का स्पष्ट रूप से कहना है कि क़ानून वापस लिए जाएँ जबकि सरकार ने इसमें संशोधन का प्रस्ताव पेश किया है।

भारतीय किसान यूनियन की याचिका में माँग की गई है कि कृषि सुधार क़ानूनों से संबंधित पूर्व याचिकाओं पर सुनवाई हो। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि क़ानून कृषि क्षेत्र को निजीकरण की तरफ लेकर जाएँगे। इन क़ानूनों को लेकर आने से पहले सरकार ने विमर्श नहीं किया था। क़ानून प्रभावी होने के बाद सरकार ने इस पर चर्चा का मौक़ा दिया है लेकिन कृषि क़ानूनों को लेकर अब तक जितनी भी बैठक हुई है उनका कोई नतीजा निकल कर नहीं आया है।

इसके अलावा यह ख़बर भी सामने आई है कि किसानों के प्रदर्शन स्थल सिंघु बॉर्डर पर मौजूद दिल्ली पुलिस के 2 अधिकारी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ यह जानकारी पुलिस विभाग द्वारा दी गई है। ज्ञात हो कि एक DCP और एक एडिशनल डीसीपी का सैम्पल भी कोरोना जाँच के लिए लिया गया है। स्थानीय जिला प्रशासन ने किसानों के प्रदर्शन स्थल पर किसानों के लिए कोरोना जाँच शिविर लगाया था। किसानों ने जाँच कराने से साफ़ मना कर दिया था, उनका कहना था पॉजिटिव आने पर सरकार उन्हें क्वारंटाइन कर देगी।

दिल्ली पुलिस ने किसानों को जंतर मंतर पर प्रदर्शन करने की परमीशन देने से साफ़ मना कर दिया है। विरोध प्रदर्शन को देखते हुए जंतर मंतर पर कड़ी सुरक्षा की व्यवस्था की गई है। नतीजतन कोई भी व्यक्ति या संगठन वहाँ पर विरोध प्रदर्शन के लिए नहीं पहुँच पा रहा है।

गौरतलब है कि गुरूवार को तमाम संगठन किसानों के पक्ष में विरोध प्रदर्शन करने पहुँचे थे लेकिन दिल्ली पुलिस और RAF के जवानों ने उन्हें भीतर दाखिल नहीं होने दिया था। बीते दिन किसानों ने प्रेस वार्ता के दौरान कहा था कि जब तक सरकार क़ानून वापस नहीं लेती है तब तक उनका प्रदर्शन ख़त्म नहीं होगा। वही कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने किसानों से आंदोलन ख़त्म करने और क़ानून में संशोधन का प्रस्ताव रखा था।

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