सिर्फ एक साल में मिले ₹15 करोड़… चीन और कांग्रेस के बीच गोपनीय समझौता, क्या चीन का साथ देना ही है कांग्रेस की मज़बूरी?

न्यूज़ डेस्क। पूर्वी लद्दाख क्षेत्र स्थित गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों और चीन की सेना के बीच जारी गतिरोध के बीच चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) द्वारा कांग्रेस के साथ गुपचुप तरीके से साइन किए गए MOU और फिर राजीव गाँधी फाउंडेशन की चर्चा में खुलासा हुआ है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने समय-समय पर राजीव गाँधी फाउंडेशन में बहुत बड़ी मात्र में ‘वित्तीय सहायता’ दी थी।

टाइम्स नाउ न्यूज़ चैनल की एक रिपोर्ट के अनुसार, दोनों देशों के बीच फ्री ट्रेड के नाम पर किए गए चीन की सरकार और गाँधी परिवार के बीच अन्य गोपनीय समझौतों के साथ ही यह वित्तीय मदद करीब 300000 अमेरिकी डॉलर (उस समय के एक्सचेंज रेट के हिसाब से करीब 15 करोड़ रुपए) के आस-पास है।

टाइम्स नाउ के अनुसार भारत स्थित चीनी दूतावास राजीव गांधी फाउंडेशन को फंडिंग करता रहा है। खबर के अनुसार चीन की सरकार वर्ष 2005, 2006, 2007 और 2008 में राजीव गांधी फाउंडेशन में डोनेशन करती है और इसके बाद वर्ष 2010 में एक अध्ययन जारी कर बताया जाता है कि भारत और चीन के बीच व्यापार समझौतों को बढ़ावे की जरूरत है।

राजीव गाँधी फाउंडेशन
ध्यान देने की बात यह है कि यह कोई और नहीं बल्कि कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष स्वयं सोनिया गाँधी ही इस राजीव गाँधी फाउंडेशन की प्रमुख हैं। सोनिया गाँधी के साथ-साथ राहुल गाँधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पी चिदंबरम और प्रियंका गाँधी भी फाउंडेशन के ट्रस्टी हैं।

राजीव गाँधी फाउंडेशन, जो 1991 में स्थापित किया गया था, साक्षरता, स्वास्थ्य, विकलांगता, वंचितों के सशक्तीकरण, आजीविका और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन सहित कई मुद्दों पर काम करने का दावा करता है।

यह सब डोकलाम विवाद के दौरान घटित हो रहा था। यानी एक ओर जहाँ सीमा पर भारतीय सेना और चीन की सेना आमने-सामने थीं, तब राहुल गाँधी चीन की सरकार के साथ लंच करते हुए सीक्रेट समझौतों पर हस्ताक्षर कर रहे थे।

इसमें राहुल गाँधी को आमंत्रित किया गया था, उनके साथ गुपचुप लंच आयोजित किए गए। जबकि आज के समय पर वो गलवान घाटी में चल रहे घटनाक्रम पर यह साबित करने का प्रयास कर रहे हैं कि चीन ने भारत की जमीन हड़प ली है और केंद्र सरकार ने यह जमीन चीन को दे दी है।

2008 में साइन किया गया यह MOU बेहद गोपनीय तरीके से साइन किया गया था, जिसके बारे में किसी को शायद ही भनक लग पाई हो यहाँ तक कि कांग्रेस कार्यकारिणी कमिटी तक को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। ऐसे में एक सवाल यह भी उठता है कि यदि यह डोनेशन और समझौते दोनों देशों के बीच फ्री ट्रेड अग्रीमेंट के लिए थे तो फिर इन्हें सार्वजानिक करने में कांग्रेस को क्या समस्या थी?

कांग्रेस चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करती है। डोकलाम मुद्दे के दौरान, राहुल गाँधी गुपचुप तरीके से चीनी दूतावास जाते हैं। नाजुक स्थितियों के दौरान, राहुल गाँधी राष्ट्र को विभाजित करने और सशस्त्र बलों का मनोबल गिराने की कोशिश करते हैं। इन सबके बीच गाँधी परिवार और चीन की सरकार के बीच साइन किए गए MOU की भूमिका को देखा जाना चाहिए है।

राजीव गाँधी फाउंडेशन में चीन की सरकार की वित्तीय मदद, गाँधी परिवार के साथ रेगुलर मीटिंग, इंडिया-चीन स्टडी आदि घटनाक्रमों का अर्थ यह लगाया जा सकता है कि चीन की सरकार गुपचुप तरीके से राजीव गाँधी फाउंडेशन में वित्तीय मदद के नाम पर गाँधी परिवार के खतों में पैसे भेज रही थी? चीन की सरकार और गाँधी परिवार के बीच गुपचुप तरीकों से किए गए यह समझौते कई प्रकार के सवाल खड़े करते हैं।

वर्ष 2008 में साइन किए गए इस MOU पर राहुल गाँधी और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी में अंतरराष्ट्रीय मामलों के मंत्री वांग जिया रुई ने हस्ताक्षर किए थे। इस मौके पर सोनिया गाँधी और चीन के तत्कालीन उपराष्ट्रपति शी जिनपिंग भी उपस्थित थे।

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