महाराष्ट्र में सरकार पर सस्पेंस बरकरार, राज्यपाल से मिले आदित्य ठाकरे, शिवसेना ने पेश किया दावा मांगा और वक्त, राज्यपाल ने किया इनकार

मुंबई। महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर अभी भी संशय की स्थिति बानी हुई है। कांग्रेस शिवसेना को समर्थन देने को लेकर असमंजस में है। इस बीच आदित्य ठाकरे ने कहा कि हमने राज्यपाल को बताया कि हम सरकार बनाने के लिए तैयार हैं। हमने उनसे कम से कम 2 दिन का समय मांगा, लेकिन हमें समय नहीं दिया गया। हालांकि उन्होंने कहा कि सरकार बनाने के लिए उनके दावे को अस्वीकार नहीं किया गया है। हम राज्य में सरकार बनाने के प्रयासों में लगे रहेंगे।

उन्होंने कहा कि दोनों पार्टियां (कांग्रेस-NCP) हमसे बोल रही हैं, विधायक हमसे बोल रहे हैं। जैसा कि बातचीत चल रही है, दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में यहां आना हमारा अधिकार था। हमने सरकार बनाने के लिए अपनी इच्छा व्यक्त की है, हमने अपनी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए 48 घंटे के विस्तार के लिए कहा है।

इससे पहले सोनिया गांधी को फोन करके उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए शिवसेना का समर्थन किये जाने का अनुरोध किया। इस बीच, आदित्य ठाकरे और एकनाथ शिंदे राज्यपाल से मुलाकात की है।

महाराष्ट्र में 288 सदस्यीय सदन में भाजपा के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी शिवसेना के पास राज्य में सरकार बनाने की दावेदारी करने के लिए सोमवार को शाम साढ़े सात बजे तक का समय है। सरकार बनाने की कवायद के तहत शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने राकांपा प्रमुख शरद पवार के साथ आज मुंबई के एक होटल में मुलाकात की। उधर, केंद्रीय मंत्रिमंडल में शिवसेना के एक मात्र मंत्री अरविंद सावंत ने आज सुबह अपना इस्तीफा दे दिया।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पवार के साथ बैठक में शिवसेना अध्यक्ष के साथ उनके बेटे आदित्य भी मौजूद थे। नई दिल्ली और मुंबई में एक के बाद एक हो रही बैठकों के बीच, सावंत ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से पार्टी के अलग होने के संकेत दिए और भाजपा पर सीटों एवं सत्ता के बराबर बंटवारे के वादे से पीछे हटने का आरोप लगाया तथा कहा कि इसी वजह से उद्धव ठाकरे नीत पार्टी को संबंध तोड़ने पड़े। उनका इस्तीफा राकांपा प्रमुख शरद पवार के इस कथन के बाद आया कि उनकी पार्टी का समर्थन हासिल करने से पहले शिवसेना को पहले राजग के साथ अपने संबंध तोड़ने होंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा विधानसभा चुनावों से पहले दोनों सहयोगी पार्टियों के नेताओं के बीच हुए समझौते को मानने से इनकार कर “झूठ” का सहारा ले रही है।

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