‘नगरोटा साजिश’ एनकाउंटर के बाद भारत की पाक को खरी-खरी, राजनयिक को बुलाकर लगायी फटकार
न्यूज़ डेस्क। भारत ने शनिवार को नई दिल्ली में पाकिस्तान के वरिष्ठतम राजनयिक आफताब हसन खान को तलब किया और आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JM) द्वारा हाल ही में जम्मू-कश्मीर को लेकर रची गई साजिश के खिलाफ एक मजबूत विरोध दर्ज कराया। भारत ने साफ कर दिया कि पाकिस्तान की जमीन से उसके खिलाफ आतंकी साजिशों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और अगर ऐसी कोशिश आगे होती है तो भारत जवाबी कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान उच्चायोग से मांग की कि पाकिस्तान अपने क्षेत्र से सक्रिय आतंकवादियों और आतंकी समूहों का समर्थन करने की नीति से दूर रहे और हमले के लिए आतंकी संगठनों द्वारा संचालित बुनियादी ढांचे को ध्वस्त कर दे। भारत ने अपनी पुरानी मांग दोहराते हुए कहा कि पाकिस्तान अपनी धरती को भारत के खिलाफ किसी तरह के आतंकवाद फैलाने के लिए इस्तेमाल न होने देने के अपने वादे और अंतरराष्ट्रीय समझौतों का पालन करे।
विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि आतंकी जैश-ए-मोहम्मद के सदस्य थे जो कि संयुक्त राष्ट्र समेत कई देशों में प्रतिबंधित आतंकी संगठन है। आफताब खान को बताया गया कि भारत सरकार आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा की सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक उपाय करने के लिए दृढ़ और संकल्पबद्ध है।
शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सुरक्षा बलों की तारीफ करते हुए कहा कि जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा बलों ने चार आतंकवादियों को मार गिराया। इस कार्रवाई में बड़े पैमाने पर हथियारों और विस्फोटकों को जब्त करके आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद की बड़ी विनाशकारी योजना को नाकाम कर दिया।
गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के नगरोटा में बन टोल प्लाजा पर चेकिंग के दौरान सुरक्षाबलों ने चार आतंकियों को N-44 पर ढेर कर दिया। इस दौरान सेना ने भारी मात्रा में हथियार, गोला-बारूद और विस्फोटकों को जब्त किया जिससे पता चलता है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में शांति भंग करने और अस्थिरता पैदा करने की कोई बड़ी योजना बनाई जा रही थी। सरकार के अनुसार, आतंकी जिला विकास परिषद के चुनावों में खलल डालना चाहते थे।
आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JM) पहले भी भारत में हुए कई हमलों का हिस्सा रहा है, जिसमें फरवरी 2019 में हुआ पुलवामा का आत्मघाती हमला भी शामिल है, इस हमले में भारत के अपने 40 सैनिक शहीद हो गए थे और दोनों पक्षों के बीच गतिरोध पैदा हो गया था। भारत ने इस हमले के बाद अपनी जवाबी कार्रवाई में बालाकोट में स्थित जैश-ए-मोहम्मद (JM) के ठिकानों पर हवाई हमला किया था।