प्रधानमंत्री मोदी पर लिखी एक नई किताब ‘नरेन्द्र मोदी-हारबिंजर ऑफ प्रॉस्पैरिटी एंड अपोस्टल ऑफ वर्ल्ड पीस’ का विमोचन

न्यूज़ डेस्क। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जीवन पर लिखी एक नई किताब ‘नरेन्द्र मोदी-हारबिंजर ऑफ प्रॉस्पैरिटी एंड अपोस्टल ऑफ वर्ल्ड पीस’ का विमोचन हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी पर लिखी इस बायोग्राफी के लेखक हैं लंदन स्थित अंतरराष्ट्रीय कॉउंसिल ऑफ जूरिस्ट के अध्यक्ष डॉ आदीश सी अग्रवाल और अमेरिकी लेखिका एलिजाबेथ होरान।किताब में प्रधानमंत्री मोदी के बचपन की दुर्लभ तस्वीरों से लेकर ऐसी घटनाओं तक का जिक्र है, जिनके बारे में ज्यादातर लोग नहीं जानते हैं। पुस्तक में चाय बेचने वाले लड़के से लेकर दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने तक की नरेन्द्र मोदी की जीवन यात्रा का वर्णन किया गया है। प्रधानमंत्री मोदी की दिनचर्या, योगाभ्यास, उनकी जीवन शैली और अध्यात्मिक साधना के बारे में भी जिक्र है। कोरोना लॉकडाउन के कारण इस किताब का विमोचन शुक्रवार को इंटरनेट पर हुआ। पुस्तक लोकार्पण के दौरान भारत और अमेरिका की कई हस्तियां मौजूद थीं। डॉ आदीश सी अग्रवाल के अनुसार जापान में बनवाए गए विशेष आकार के पेपर पर छपी इस ग्रंथनुमा पुस्तक का प्रकाशन यूएसए पब्लिकेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन हाउस, न्यूयॉर्क ने किया है। पुस्तक हार्डकवर और ई-बुक के प्रारूप में 10 भारतीय और 10 विदेशी भाषाओं सहित कुल 20 भाषाओं में उपलब्ध है।

आ रही है किताब ‘लेटर्स टू मदर’

प्रधानमंत्री मोदी युवा काल में रोज अपनी मां को जगत जननी के नाम से पत्र लिखकर सोते थे। प्रधानमंत्री मोदी रोज अपनी सोच और भावनाओं को डायरी के पत्रों में उकेरते थे। उन्हें प्रतिदिन पत्र लिखने की आदत हो गई थी। वे इन पत्रों को गुजराती भाषा में लिखते थे। युवा नरेंद्र मोदी जो डायरी लिखते थे, हर 6-8 महीनों में उन पन्नों को जला देते थे। एक दिन एक प्रचारक ने उसे ऐसा करते हुए देखा और उन्हें ऐसा करने से मना किया, बाद में इन पन्नों ने एक पुस्तक का रूप ले लिया। यह 1986 की उनकी लिखी डायरी के बचे हुए पन्ने हैं। प्रधानमंत्री मोदी की यह किताब ‘लेटर्स टू मदर’ अंग्रेजी में है। भावना सोमाया में प्रधानमंत्री मोदी की चिट्ठी का गुजराती से अंग्रेजी में अनुवाद किया है। हार्परकॉलिंस इंडिया ने इस पुस्तक को प्रकाशित किया है। ‘लेटर्स टू मदर’ का ई-बुक किंडल एडिशन और हार्डकवर किताब के रूप में 20 जून से उपलब्ध होगा।

अमेजन पर 112 पन्नों की इस किताब के बारे में प्रधानमंत्री मोदी के हवाले से लिखा गया है कि यह साहित्यिक लेखन का प्रयास नहीं है, इस किताब में दिखाए गए अंश मेरे नजरिए और कभी-कभी बिना काट-छांट किए गए विचारों का प्रतिबिंब हैं। मैं लेखक नहीं हूं, हममें में से अधिकांश नहीं हैं, लेकिन हर कोई विचार अभिव्यक्त करता है और जब यह इच्छा तीव्र हो जाती है तो कलम और कागज उठाने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता। लिखना और आत्मनिरीक्षण जरूरी नहीं है, बल्कि यह बताना जरूरी है कि दिल और दिमाग के भीतर क्या चल रहा है और क्यों।

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा है कि जब मैं 36 साल का था तब जगद्जननी मां के साथ मेरे संवाद का एक संकलन है साक्षीभाव। यह पाठक को मेरे साथ जोड़ता है और पाठक को न केवल समाचार पत्रों के द्वारा, बल्कि मेरे शब्दों के द्वारा मुझे जानने में सक्षम करता है। प्रधानमंत्री मोदी की किताबों को पढ़ने के लिए आप क्लिक करें- मोदी ई बुक्स https://www.narendramodi.in/category/ebooks

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