‘न्याय देने में देरी एक प्रमुख बाधा’, PM मोदी बोले- गरीबों को न्याय मिलना भी हुआ बहुत आसान
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए कानून मंत्रियों और कानून सचिवों के अखिल भारतीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। इसके साथ ही उन्होंने आज जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तब लोकहित को लेकर सरदार पटेल की प्रेरणा, हमें सही दिशा में भी ले जाएगी, और हमें लक्ष्य तक पहुंचाएगी भी। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के समाज की विकास यात्रा हजारों वर्षों की है। तमाम चुनौतियों के बावजूद भारतीय समाज ने निरंतर प्रगति की है। उन्होंने कहा कि हमारे समाज की सबसे बड़ी विशेषता ये है कि वो प्रगति के पथ पर बढ़ते हुए, खुद में आंतरिक सुधार भी करता चलता है। हमारा समाज अप्रासंगिक हो चुके कायदे-कानूनों, कुरीतियों को, गलत रिवाजों को हटाता भी चलता है। उन्होंने साफ कहा कि न्याय देने में देरी एक प्रमुख बाधा है।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि लोक अदालतों के माध्यम से देश में बीते वर्षों में लाखों केसों को सुलझाया गया है। इनसे अदालतों का बोझ भी कम हुआ है और खासतौर पर, गांव में रहने वाले लोगों को, गरीबों को न्याय मिलना भी बहुत आसान हुआ है। उन्होंने कहा कि देश के लोगों को सरकार का भाव भी नहीं लगना चाहिए और देश के लोगों को सरकार का दबाव भी महसूस नहीं होना चाहिए। देश ने डेढ़ हजार से ज्यादा पुराने और अप्रासंगिक कानूनों को रद्द कर दिया है। इनमें से अनेक कानून तो गुलामी के समय से चले आ रहे हैं। मोदी ने साफ तौर पर कहा कि देश में त्वरित न्याय का एक और माध्यम लोक अदालतें भी बनी हैं। कई राज्यों में इसे लेकर बहुत अच्छा काम भी हुआ है।
Addressing the inaugural session of All India Conference of Law Ministers and Secretaries. https://t.co/sWk3fhHIIm
— Narendra Modi (@narendramodi) October 15, 2022
सत्र को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि कानून बनाते हुए हमारा फोकस होना चाहिए कि गरीब से गरीब भी नए बनने वाले कानून को अच्छी तरह समझ पाएं। किसी भी नागरिक के लिए कानून की भाषा बाधा न बने, हर राज्य इसके लिए भी काम करे, इसके लिए हमें लॉजिस्टिक और इंफ्रास्ट्रक्चर का सपोर्ट भी चाहिए होगा। उन्होंने कहा कि युवाओं के लिए मातृभाषा में एकेडमिक सिस्टम भी बनाना होगा, लॉ से जुड़े कोर्सेस मातृभाषा में हो, हमारे कानून सरल, सहज भाषा में लिखे जाएं, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण केसेस की डिजिटल लाइब्रेरी स्थानीय भाषा में हो, इसके लिए हमें काम करना होगा। उन्होंने कहा कि हमारे समाज को अप्रचलित सामाजिक कानूनों से मुक्ति मिल गयी क्योंकि हम जानते हैं कि अगर वे रूढ़िवादी बन जाते तो उन्नति में बाधक साबित होते।