चीन से तना-तनी के बीच बोले मोदी, अब डंके की चोट पर होगा बार्डर का विकास

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि उनकी सरकार ने आठ साल के कार्यकाल में पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास की राह में आयी सभी बाधाओं को दूर कर दिया है। चुनावी राज्य त्रिपुरा और मेघालय में कई विकास परियोजनाओं की शुरुआत करते हुए उन्होंने कहा कि क्षेत्र में हवाई संपर्क में सुधार से कृषि निर्यात बढ़ा है, जिससे किसानों को लाभ हुआ है। अगरतला मेंउन्होंने कहा कि त्रिपुरा पहले संघर्ष के लिए जाना जाता था लेकिन 2018 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सत्ता में आने के बाद अब यह विकास, संपर्क और स्वच्छता के लिए जाना जाता है।

अगरतला के स्वामी विवेकानंद मैदान में एक जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रदेश ‘लॉजिस्टिक हब’ बनता जा रहा है और त्रिपुरा पूर्वोत्तर में व्यापार के नए प्रवेश द्वार के रूप में भी उभर रहा है, जो थाईलैंड, म्यांमा समेत अन्य दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों से जुड़ा होगा। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर को बांग्लादेश से जोड़ने वाली 15 किलोमीटर लंबी अगरतला-अखौरा रेलवे परियोजना अगले साल पूरी हो जाएगी। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘त्रिपुरा में भाजपा के सत्ता में आने के बाद बुनियादी ढांचे में करोड़ों रुपये का निवेश किया गया है। राष्ट्रीय राजमार्गों को बड़े पैमाने पर नया रूप दिया जा रहा है।’’ साथ ही उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर का हवाई अड्डा बनने के बाद राज्य में अवसर बढ़ते जा रहे हैं।

विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में भाजपा के सत्ता में आने से पहले गरीबों का राशन लूटा जाता था। उन्होंने कहा, ‘‘अब गरीब लोगों को उनके हक का राशन बिना किसी परेशानी के मिल रहा है। उन्हें पिछले तीन साल से मुफ्त राशन मिल रहा है।’’ मोदी ने दावा किया कि विकास में लंबे समय तक मूल लोगों को दरकिनार किया गया। उन्होंने कहा, ‘‘वे (विपक्षी दल) नकारात्मकता फैलाने में उस्ताद हैं, जब राज्य को एस्केलेटर की जरूरत थी तो वे रिवर्स गियर खींच रहे थे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘डबल इंजन सरकार के पास सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ-साथ विकास कार्यों को जमीन पर लागू करने का दृढ़ संकल्प है।’’

मोदी ने दावा किया कि भाजपा अपने सकारात्मक रवैये के कारण मूल लोगों की पहली पसंद है और उन्होंने हाल के विधानसभा चुनाव में गुजरात के आदिवासी क्षेत्रों में पार्टी के अच्छे प्रदर्शन का हवाला दिया। इससे पहले, उन्होंने चुनावी राज्य में 4,300 करोड़ रुपये से अधिक की कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया। मोदी ने प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी और ग्रामीण) के तहत दो लाख से अधिक लाभार्थियों के लिए ‘‘गृह प्रवेश’’ कार्यक्रम की शुरुआत की। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘दो लाख से अधिक गरीब परिवारों को आज अपना घर मिल रहा है और उनमें से अधिकतर त्रिपुरा की माताएं और बहनें हैं।’’

उन्होंने खैरपुर से अमतली तक अगरतला बाईपास के चौड़ीकरण कार्यों की शुरुआत की, जो शहर में यातायात भीड़ भाड़ कम करेगा। उन्होंने स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट और अगरतला गवर्नमेंट डेंटल कॉलेज तथा आईजीएम अस्पताल (अगरतला) का भी उद्घाटन किया। उन्होंने प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएम-जीएसवाई) तीन के तहत कुल 323 किलोमीटर की 32 सड़क और 542 किलोमीटर की 112 सड़क परियोजनाओं की आधारशिला भी रखी। मोदी ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में स्वच्छता अभियान एक जन आंदोलन बन गया है और इसके परिणामस्वरूप त्रिपुरा देश के छोटे राज्यों में सबसे साफ-स्वच्छ राज्य के रूप में उभरा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पीएम-मातृ वंदना योजना के माध्यम से बच्चों की माताओं के बैंक खाते में पैसा आ रहा है। उन्होंने कहा कि संस्थागत प्रसव की व्यवस्था है, ताकि मां के साथ-साथ बच्चा भी स्वस्थ रहे। उन्होंने कहा कि सरकार का ध्यान त्रिपुरा के सर्वांगीण विकास पर है और शुरू की गई परियोजनाओं से राज्य के विकास को गति मिलेगी। इससे पहले, शिलॉंग में एक जनसभा को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार ने पूर्वोत्तर के विकास की राह में आयी कई बाधाओं को ‘रेड कार्ड’ दिखाया है। प्रधानमंत्री ने अपने 26 मिनट के भाषण में कहा, ‘‘भ्रष्टाचार, भेदभाव, हिंसा और वोटबैंक की राजनीति जैसी बाधाओं को हटाया गया।’’

मोदी ने कहा, ‘‘पहले पूर्वोत्तर को बांटने के प्रयास किए गए लेकिन अब हम इस तरह के प्रयासों को रोक रहे हैं।’’ उन्होंने कई परियोजनाओं का उद्घाटन और उनकी नींव भी रखी। जिन परियोजनाओं का उद्घाटन किया गया उनमें ‘न्यू शिलॉंग टाउनशिप’ में भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम)-शिलॉंग भी शामिल है। सुबह शिलॉंग पहुंचे प्रधानमंत्री पहले ‘स्टेट कन्वेंशन सेंटर’ में एनईसी के स्वर्ण जयंती समारोह में शामिल हुए। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और कई अन्य केंद्रीय मंत्रियों तथा गणमान्य लोगों ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर पिछले 50 वर्षों में पूर्वोत्तर के विकास में एनईसी के योगदान को बताने वाली पुस्तिका ‘गोल्डन फुटप्रिंट्स’ का भी विमोचन किया।

एनईसी के 50 साल के सफर पर एक लघु फिल्म भी दिखायी गयी। मोदी ने क्षेत्र के विकास में उत्तर पूर्वी परिषद (एनईसी) के योगदान की भी सराहना की। क्षेत्र के आठ राज्यों को ‘अष्ट लक्ष्मी’ बताते हुए उन्होंने कहा कि सरकार को पूर्वोत्तर के विकास के लिए आठ बुनियादी स्तंभ पर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ये आठ ‘बुनियादी स्तंभ’ शांति, ऊर्जा, पर्यटन, 5जी कनेक्टिविटी, संस्कृति, प्राकृतिक खेती, खेल और सामर्थ्य है।

एक आधिकारिक बयान में कहा गया, ‘‘पूर्वोत्तर, दक्षिण-पूर्व एशिया का प्रवेश द्वार है और यह पूरे क्षेत्र के विकास का केंद्र बन सकता है। क्षेत्र की इस क्षमता का लाभ उठाने के लिए भारत-म्यांमा-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग और अगरतला-अखौरा रेल जैसी परियोजनाओं पर काम हो रहा है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि कई शांति समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए, अंतर-राज्यीय सीमा समझौते किए गए और चरमपंथ की घटनाओं में कमी आई है। उन्होंने कहा कि पिछले आठ वर्ष में क्षेत्र में हवाई अड्डों की संख्या नौ से बढ़कर 16 हो गयी है और उड़ानों की संख्या बढ़कर लगभग 1,900 हो गयी है जो 2014 से पहले लगभग 900 थी।

उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के कई राज्य रेलवे के मानचित्र पर आए हैं और जलमार्गों के विस्तार के प्रयास भी किए जा रहे हैं। मोदी ने कहा कि क्षेत्र में 2014 के बाद से राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई 50 फीसदी तक बढ़ायी गयी है। उन्होंने पनबिजली और पर्यटन क्षेत्रों की संभावना पर भी बात की। इस मौके पर शाह ने कहा कि मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने पूर्वोत्तर में शांति स्थापित की है जो कभी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र था। उन्होंने कहा कि मोदी ने पिछले आठ वर्षों में 50 से अधिक बार क्षेत्र का दौरा किया है और क्षेत्र की प्रगति के लिए खाका तैयार किया है। उन्होंने कहा, ‘‘पूर्वोत्तर हिंसा और अलगाववाद के लिए जाना जाता था, लेकिन पिछले आठ वर्षों के दौरान, उग्रवादी घटनाओं में 70 फीसदी की कमी आई है। सुरक्षाकर्मियों पर हमलों में भी 60 फीसदी की कमी आई है, जबकि नागरिक हताहतों की संख्या घटकर 89 फीसदी रह गई है।’’ एनईसी पूर्वोत्तर क्षेत्र के आर्थिक एवं सामाजिक विकास के लिए नोडल एजेंसी हैं। इसका गठन संसद के एक कानून के जरिए 1971 में किया गया था। हालांकि, एनईसी का औपचारिक उद्घाटन सात नवंबर, 1972 को किया गया था।

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