प्रधानमंत्री मोदी ने लखनऊ यूनिवर्सिटी के शताब्दी समारोह को किया संबोधित, कहा जीवन में आत्ममंथन बेहद जरूरी

न्यूज़ डेस्क। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से लखनऊ विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष समारोह को संबोधित किया। पीएम मोदी ने कहा कि सौ वर्ष का समय सिर्फ एक आंकड़ा नहीं है, इसके साथ अपार उपलब्धियों का जीता जागता इतिहास जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि नीयत के साथ इच्छा शक्ति का होना भी बहुत जरूरी है। इच्छा शक्ति न हो तो सही नतीजे नहीं मिल पाते। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि एक जमाने में यूरिया उत्पादन के बहुत से कारखाने थे, फिर भी बाहर से यूरिया आता था। उसका कारण था कि खाद के कारखाने पूरी क्षमता से काम नहीं कर पाते थे। हमने एक के बाद एक फैसले लिये और आज यूरिया कारखाने पूरी क्षमता से काम कर रहे हैं। यूरिया की ब्लैक मार्केटिंग की भी समस्या थी। इसका खामिजाया किसानों को उठाना पड़ता था। यूरिया की नीम कोटिंग करके उसका इलाज भी किया गया। पहले भी नीम कोटिंग हो सकती थी लेकिन नहीं हुई। नीम कोटिंग के लिए इच्छा शक्ति नहीं दिखाई गई।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि खादी को आगे बढ़ाने को लेकर लोग नकारात्मक बातें करते थे। लोगों की बातों को किनारे किया और सकारात्मक बातों के साथ आगे बढ़ा। 2002 में पोरबंदर में महात्मा गांधी के जन्मदिन पर खादी के फैशन शो का आयोजन किया। खादी और यूथ ने मिलकर जिस तरह से मजमा जमाया, उसने सभी पूर्वाग्रह को दूर कर दिया। सकारात्मक सोच और इच्छा शक्ति ने काम बना दिया। आज जब सुनता हूं कि खादी स्टोर से एक-एक दिन में एक-एक करोड़ की बिक्री हो रही है तो वो दिन याद कर खुशी होती है। इसी का नतीजा है कि जितनी खादी 20 साल में बिकती थी, छह साल में बिकी है।

पीएम मोदी ने कवि प्रदीप की पंक्तियां याद करते हुए कहा कि कभी-कभी खुद से बात करो, कभी खुद से बोलो, अपनी नजर में तुम क्या हो, ये मन के तराजू पर तोलो….यह पंक्तियां हम सभी के लिए गाइड लाइंन हैं। आज भागदौड़ की जिंदगी में आत्म मंथन की आदत भी छूटती जा रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालय सिर्फ उच्च शिक्षा का ही केंद्र नहीं होती, ये ऊंचे संकल्पों, ऊंचे लक्ष्यों को साधने की एक बहुत बड़ी ऊर्जा भूमि होती है। ये हमारे भीतर की ताकत को जगाने की प्रेरणा स्थली भी है। हम कई बार अपनी सामर्थ्य का पूरा उपयोग नहीं करते हैं। यही समस्या पहले सरकारी तौर तरीकों में भी थी।

उन्होंने कहा कि रायबरेली की रेल कोच फैक्टरी में वर्षों पहले निवेश हुआ, संसाधन लगे, मशीनें लगीं, बड़ी-बड़ी घोषणाएं हुई, लेकिन कई वर्षों तक वहां सिर्फ डेंटिंग-पेंटिंग का ही काम होता था। 2014 के बाद हमने सोच बदली, तौर तरीका बदला। परिणाम ये हुआ कि कुछ महीने में ही यहां से पहला कोच तैयार हुआ और आज यहां हर साल सैकड़ों कोच तैयार हो रहे हैं। सामर्थ्य के सही इस्तेमाल का ये एक उदाहरण है। वह दिन दूर नहीं जब यह कोच फैक्ट्री विश्व की सबसे बड़ी कोच फैक्ट्री कहलाएगी।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने एक विशेष स्‍मार‍क डाक टिकट और भारतीय डाक विभाग द्वारा जारी विशेष कवर भी जारी किया। पीएम मोदी ने लखनऊ विश्वविद्यालय के नाम पर 100 रुपये का स्मारक सिक्का भी जारी किया।

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