बाढ़ की स्थिति की समीक्षा करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने की मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक
न्यूज़ डेस्क। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज, 10 अगस्त को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से छह राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक कर बाढ़ की स्थिति की समीक्षा की। असम, बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल के मुख्यमंत्रियों के साथ इस बैठक में रक्षा मंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, दोनों गृह राज्य मंत्री और वरिष्ठ अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया।
Earlier today, interacted with Chief Ministers of 6 states to review the flood situation. CMs spoke about the ongoing efforts to deal with the flood situation in their respective states. https://t.co/MY6EW49aXb
— Narendra Modi (@narendramodi) August 10, 2020
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाढ़ के पूर्वानुमान के लिए स्थायी प्रणाली स्थापित करने और पूर्वानुमान एवं चेतावनी प्रणाली बेहतर करने के लिए टेक्नोलॉजी के व्यापक उपयोग के साथ विभिन्न एजेंसियों के बीच अधिक समन्वय पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान हमारी पूर्वानुमान एजेंसियों जैसे कि भारत मौसम विभाग और केन्द्रीय जल आयोग बेहतर पूर्वानुमान लगाने के लिए ठोस प्रयास करते रहे हैं। ये एजेंसियां न केवल वर्षा और नदी स्तरीय पूर्वानुमान, बल्कि बाढ़ के विशिष्ट स्थान संबंधी पूर्वानुमान लगाने के लिए भी प्रयास कर रही हैं। विशिष्ट स्थान संबंधी पूर्वानुमान को बेहतर करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का भी उपयोग करने के लिए प्रायोगिक स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं।
आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी ने मुख्यमंत्री श्री @myogiadityanath जी एवं अन्य प्रदेशों के मा. मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बाढ़ नियंत्रण व्यवस्था की समीक्षा करते हुए आवश्यक सुझाव दिए। pic.twitter.com/ktIu1uzJbV
— CM Office, GoUP (@CMOfficeUP) August 10, 2020
उन्होंने कहा कि स्थानीय पूर्व चेतावनी प्रणाली में निवेश बढ़ाया जाना चाहिए, जिससे किसी विशेष क्षेत्र के लोगों को किसी भी खतरे की स्थिति जैसे कि नदी के तटबंध के टूटने, बाढ़ का स्तर बढ़ने, बिजली गिरने, इत्यादि के बारे में समय पर चेतावनी दी जा सके।
पंतप्रधान श्री. @narendramodi यांनी मुख्यमंत्री उद्धव बाळासाहेब ठाकरे यांच्यासोबत राज्यातील पूरस्थिती संदर्भात चर्चा केली.
आपत्ती निवारणासाठी व सर्व राज्यांमध्ये समन्वय साधण्यासाठी पंतप्रधानांच्या अध्यक्षतेखाली समिती स्थापन करण्याची मुख्यमंत्र्यांची मागणीhttps://t.co/xvetbB3DTq
— CMO Maharashtra (@CMOMaharashtra) August 10, 2020
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कोरोना से उत्पन्न स्थिति के मद्देनजर राज्यों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बचाव कार्यों पर अमल करते समय लोग अवश्य ही स्वास्थ्य संबंधी सभी सावधानियां बरतें, जैसे कि फेस मास्क पहनें, हाथ को साबुन से धोएं या सैनिटाइज करें, पर्याप्त सामाजिक दूरी बनाए रखें। इसके साथ ही राहत सामग्री के मामले में भी प्रभावित लोगों के लिए हाथ धोने, सैनिटाइज करने और फेस मास्क पहनने की व्यवस्था अवश्य की जानी चाहिए। इस संबंध में वरिष्ठ नागरिकों, गर्भवती महिलाओं और पहले से ही किसी बीमारी से ग्रसित लोगों के लिए विशेष प्रावधान किए जाने चाहिए।
माननीय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में देश में बाढ़ की स्थिति एवं बाढ़ प्रबंधन के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित समीक्षा बैठक में शामिल हुआ।https://t.co/x2xtDVEp38 pic.twitter.com/MPXRfxw5zV
— Nitish Kumar (@NitishKumar) August 10, 2020
उन्होंने कहा कि राज्यों को यह तय करना चाहिए कि सभी विकास और इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं इस तरह से निर्मित की जाएं जिससे कि स्थानीय स्तर पर कोई आपदा होने पर वे मजबूती के साथ टिके रहें और संबंधित नुकसान में कमी करने में भी मदद मिल सके।
PM Shri @narendramodi ji held a VC with CMs of six states and took stock of the overall flood situation.
I apprised the Hon'ble Prime Minister about relief and rescue measures taken in Assam and thanked him for his continued support to the state. pic.twitter.com/LtjGdGQay2
— Sarbananda Sonowal (@sarbanandsonwal) August 10, 2020
असम, बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और केरल के मुख्यमंत्री तथा कर्नाटक के गृह मंत्री ने इस दौरान अपने-अपने राज्यों में बाढ़ की स्थिति और बचाव कार्यों के बारे में जानकारियां दीं। उन्होंने समय पर तैनाती करने के साथ-साथ लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए एनडीआरएफ सहित केन्द्रीय एजेंसियों द्वारा किए गए ठोस प्रयासों की सराहना की। उन्होंने बाढ़ के प्रतिकूल प्रभावों में कमी लाने हेतु अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक उपायों के बारे में भी कुछ सुझाव दिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने संबंधित मंत्रालयों एवं संगठनों के अधिकारियों को राज्यों द्वारा दिए गए सुझावों पर ठोस कदम उठाने का निर्देश दिया और इसके साथ ही यह आश्वासन दिया कि केन्द्र अपनी ओर से राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को हरसंभव सहयोग निरंतर देता रहेगा, ताकि विभिन्न आपदाओं से निपटने की उनकी क्षमता बढ़ सके।