गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति ने किया देश को संबोधित, कहा- सैनिकों की बहादुरी, देशप्रेम और बलिदान पर हम सभी को गर्व है
नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश को संबोधित किया। इस मौके पर राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे राष्ट्रीय त्योहारों को सभी देशवासी राष्ट्रप्रेम की भावना के साथ मनाते हैं। गणतंत्र दिवस का राष्ट्रीय पर्व भी हम पूरे उत्साह के साथ मनाते हुए अपने राष्ट्रीय ध्वज तथा संविधान के प्रति सम्मान व आस्था व्यक्त करते हैं। राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि संविधान की उद्देशिका में रेखांकित न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के जीवन-मूल्य हम सबके लिए पुनीत आदर्श हैं। यह उम्मीद की जाती है कि केवल शासन की ज़िम्मेदारी निभाने वाले लोग ही नहीं, बल्कि हम सभी सामान्य नागरिक भी इन आदर्शों का दृढ़ता व निष्ठापूर्वक पालन करें।
LIVE: President Kovind's address to the nation on the eve of the 72nd #RepublicDay https://t.co/Obuf3zwRMm
— President of India (@rashtrapatibhvn) January 25, 2021
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के सम्बोधन की महत्वपूर्ण बातें –
- संविधान की उद्देशिका में रेखांकित न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के जीवन-मूल्य हम सबके लिए पुनीत आदर्श हैं। यह उम्मीद की जाती है कि केवल शासन की ज़िम्मेदारी निभाने वाले लोग ही नहीं, बल्कि हम सभी सामान्य नागरिक भी इन आदर्शों का दृढ़ता व निष्ठापूर्वक पालन करें।
- मातृभूमि के स्वर्णिम भविष्य की उनकी परिकल्पनाएँ अलग-अलग थीं परंतु न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के मूल्यों ने उनके सपनों को एक सूत्र में पिरोने का काम किया।
- बाल गंगाधर ‘तिलक’, लाला लाजपत राय, महात्मा गाँधी और सुभाष चन्द्र बोस जैसे अनेक महान जन-नायकों और विचारकों ने हमारे स्वतंत्रता संग्राम को प्रेरित किया था।
- सियाचिन व गलवान घाटी में, माइनस 50 से 60 डिग्री तापमान में, सब कुछ जमा देने वाली सर्दी से लेकर, जैसलमर में, 50 डिग्री सेन्टीग्रेड से ऊपर के तापमान में, झुलसा देने वाली गर्मी में – धरती, आकाश और विशाल तटीय क्षेत्रों में – हमारे सेनानी भारत की सुरक्षा का दायित्व हर पल निभाते हैं।
- हमारे सैनिकों की बहादुरी, देशप्रेम और बलिदान पर हम सभी देशवासियों को गर्व है।
- अन्तरिक्ष से लेकर खेत-खलिहानों तक, शिक्षण संस्थानों से लेकर अस्पतालों तक, वैज्ञानिक समुदाय ने हमारे जीवन और कामकाज को बेहतर बनाया है।
- दिन-रात परिश्रम करते हुए कोरोना-वायरस को डी-कोड करके तथा बहुत कम समय में ही वैक्सीन को विकसित करके, हमारे वैज्ञानिकों ने पूरी मानवता के कल्याण हेतु एक नया इतिहास रचा है।
- हमारे सभी किसान, जवान और वैज्ञानिक विशेष बधाई के पात्र हैं और कृतज्ञ राष्ट्र गणतन्त्र दिवस के शुभ अवसर पर इन सभी का अभिनंदन करता है।
- पिछले वर्ष, जब पूरी मानवता एक विकराल आपदा का सामना करते हुए ठहर सी गई थी, उस दौरान, मैं भारतीय संविधान के मूल तत्वों पर मनन करता रहा। मेरा मानना है कि बंधुता के हमारे संवैधानिक आदर्श के बल पर ही, इस संकट का प्रभावी ढंग से सामना करना संभव हो सका है।
- मैं यहाँ उन डॉक्टरों, नर्सों, स्वास्थ्य-कर्मियों, स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े प्रशासकों और सफाई-कर्मियों का उल्लेख करना चाहता हूँ, जिन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर पीड़ितों की देखभाल की है। बहुतों ने तो अपने प्राण भी गंवा दिए।
- इस महामारी ने, देश के लगभग डेढ़ लाख नागरिकों को, अपनी चपेट में ले लिया। उन सभी के शोक संतप्त परिवारों के प्रति, मैं अपनी संवेदना प्रकट करता हूँ।
- इस महामारी के कारण, हमारे बच्चों और युवा पीढ़ी की शिक्षा प्रक्रिया के बाधित होने का खतरा पैदा हो गया था। लेकिन हमारे संस्थानों और शिक्षकों ने नई टेक्नॉलॉजी को शीघ्रता से अपनाकर यह सुनिश्चित किया कि विद्यार्थियों की शिक्षा निरंतर चलती रहे।
- बिहार जैसी घनी आबादी वाले राज्य तथा जम्मू-कश्मीर व लद्दाख जैसे दुर्गम व चुनौती भरे क्षेत्रों में निष्पक्ष व सुरक्षित चुनाव सम्पन्न कराना हमारे लोकतन्त्र एवं चुनाव आयोग की सराहनीय उपलब्धि रही है। टेक्नॉलॉजी की सहायता से न्यायपालिका ने, न्याय उपलब्ध कराने की प्रक्रिया जारी रखी।
- हाल ही में दर्ज की गयी जीएसटी की रेकॉर्ड वृद्धि और विदेशी निवेश के लिए आकर्षक अर्थव्यवस्था के रूप में भारत का उभरना, तेजी से हो रही हमारी ‘इकनॉमिक रिकवरी’ के सूचक हैं।
- नए भारत के समावेशी समाज का निर्माण करने के लिए हम शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषाहार, वंचित वर्गों के उत्थान और महिलाओं के कल्याण पर विशेष बल दे रहे हैं।
- पूरी गति से आगे बढ़ रहे हमारे आर्थिक सुधारों के पूरक के रूप में, नए क़ानून बनाकर, कृषि और श्रम के क्षेत्रों में ऐसे सुधार किए गए हैं, जो लम्बे समय से अपेक्षित थे। आरम्भ में, इन सुधारों के विषय में आशंकाएँ उत्पन्न हो सकती हैं। परंतु, किसानों के हित के लिए सरकार पूरी तरह समर्पित है।
राष्ट्रपति कोविंद ने अपने भाषण में कवि मैथिली शरण गुप्त की कविता का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा –“हम भारतवासी, मानवता के लिए जीते भी हैं और मरते भी हैं। इसी आदर्श को महान कवि मैथिली शरण गुप्त ने इन शब्दों में व्यक्त किया है: उसी उदार की सदा, सजीव कीर्ति कूजती; तथा उसी उदार को, समस्त सृष्टि पूजती। अखण्ड आत्मभाव जो, असीम विश्व में भरे¸ वही मनुष्य है कि जो, मनुष्य के लिये मरे।”