आज देश में एक ओर सरदार साहब का ‘Statue of Unity’ एकता की शपथ दोहरा रहा है, तो रामानुजाचार्य जी का ‘Statue of Equality’ समानता का संदेश दे रहा है- पीएम मोदी
नई दिल्ली। पीएम नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आज देश में एक ओर सरदार साहब का ‘Statue of Unity’ एकता की शपथ दोहरा रहा है, तो रामानुजाचार्य जी का ‘Statue of Equality’ समानता का संदेश दे रहा है। यही एक राष्ट्र के रूप में भारत की विशेषता है। पीएम मोदी ने कहा, “जगद्गुरु रामानुजाचार्य जी की इस भव्य विशाल मूर्ति के जरिए भारत मानवीय ऊर्जा और प्रेरणाओं को मूर्त रूप दे रहा है। रामानुजाचार्य जी की ये प्रतिमा उनके ज्ञान, वैराग्य और आदर्शों की प्रतीक है।” इससे पहले पीएम मोदी ने 11 सदी के संत श्री रामानुजाचार्य की स्मृति में 216 फीट ऊंचे ‘स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी’ का अनावरण किया और उन्होंने यज्ञशाला में पूजा-अर्चना भी की।
प्रतिमा आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देगी और भारत की पहचान को मज़बूत करेगी
प्रधानमंत्री ने कहा, “मुझे विश्वास है कि रामानुजाचार्य जी की यह प्रतिमा न केवल आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देगी बल्कि भारत की प्राचीन पहचान को भी मज़बूत करेगी । उन्होंने कहा, “विकास हो, सबका हो, बिना भेदभाव हो। सामाजिक न्याय, सबको मिले, बिना भेदभाव मिले। जिन्हें सदियों तक प्रताड़ित किया गया हो वो पूरी गरिमा के साथ विकास के भागीदार बनें, इसके लिए आज का बदलता हुआ भारत, एकजुट प्रयास कर रहा है।” उन्होंने कहा कि रामानुजाचार्य जी के ज्ञान की एक अलग भव्यता है। साधारण दृष्टि से जो विचार परस्पर विरोधाभासी लगते हैं, रामानुजाचार्य जी उन्हें बड़ी सहजता से एक सूत्र में पिरो देते हैं।
Statue of Equality is a tribute to the eternal teachings of Sri Ramanujacharya, particularly the emphasis on harmony, brotherhood and social empowerment. pic.twitter.com/mclErDw9yh
— Narendra Modi (@narendramodi) February 5, 2022
समानता के संदेश से नए भारत की नींव रख रहे हैं
इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि रामानुजाचार्य जी भारत की एकता और अखंडता की भी एक प्रदीप्त प्रेरणा हैं। उनका जन्म दक्षिण में हुआ, लेकिन उनका प्रभाव दक्षिण से उत्तर और पूरब से पश्चिम तक पूरे भारत में है। आज रामानुजाचार्य जी विशाल मूर्ति स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी के रूप में हमें समानता का संदेश दे रही है। इसी संदेश को लेकर देश ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, और सबका प्रयास’ के मंत्र के साथ अपने नए भविष्य की नींव रख रहा है।
अपनी असली जड़ों से जुड़ना और वास्तविक शक्ति से परिचित होना जरूरी
पीएम मोदी ने कहा, “भारत एक ऐसा देश है, जिसके मनीषियों ने ज्ञान को खंडन-मंडन, स्वीकृति-अस्वीकृति से ऊपर उठकर देखा है। हमारे यहां अद्वैत भी है, द्वैत भी है और, इन द्वैत-अद्वैत को समाहित करते हुए श्रीरामानुजाचार्य जी का विशिष्टा-द्वैत भी है।” आज जब दुनिया में सामाजिक सुधारों की बात होती है, प्रगतिशीलता की बात होती है, तो माना जाता है कि सुधार जड़ों से दूर जाकर होगा। लेकिन, जब हम रामानुजाचार्य जी को देखते हैं, तो हमें अहसास होता है कि प्रगतिशीलता और प्राचीनता में कोई विरोध नहीं है। ये जरूरी नहीं है कि सुधार के लिए अपनी जड़ों से दूर जाना पड़े, बल्कि जरूरी ये है कि हम अपनी असली जड़ों से जुड़ें, अपनी वास्तविक शक्ति से परिचित हों।
Had the honour of inaugurating the Statue of Equality in Hyderabad. pic.twitter.com/IuyEjwhRE8
— Narendra Modi (@narendramodi) February 5, 2022
रामानुजाचार्य जी की प्रतिमा उनके ज्ञान, वैराग्य और आदर्शों की प्रतीक
उन्होंने कहा, “एक ओर रामानुजाचार्य जी के भाष्यों में ज्ञान की पराकाष्ठा है, तो दूसरी ओर वो भक्तिमार्ग के जनक भी हैं। एक ओर वो समृद्ध सन्यास परंपरा के संत भी हैं, और दूसरी ओर गीता भाष्य में कर्म के महत्व को भी प्रस्तुत करते हैं। वो खुद भी अपना पूरा जीवन कर्म के लिए समर्पित करते रहे। पीएम ने कहा, “जगद्गुरु श्री रामानुजाचार्य जी की इस भव्य विशाल मूर्ति के जरिए भारत मानवीय ऊर्जा और प्रेरणाओं को मूर्त रूप दे रहा है। रामानुजाचार्य जी की ये प्रतिमा उनके ज्ञान, वैराग्य और आदर्शों की प्रतीक है।”
नस्लीय श्रेष्ठता और मानवता-अध्यात्म के विचार की लड़ाई में भारत हुआ विजयी
प्रधानमंत्री ने कहा कि ये भी एक सुखद संयोग है कि श्री रामानुजाचार्य जी पर ये समारोह उसी समय में हो रहा है, जब देश अपनी आज़ादी के 75 साल मना रहा है। उन्होंने कहा कि भारत का स्वाधीनता संग्राम केवल अपनी सत्ता और अपने अधिकारों की लड़ाई भर नहीं था। इस लड़ाई में एक तरफ ‘औपनिवेशिक मानसिकता’ थी, तो दूसरी ओर ‘जियो और जीने दो’ का विचार था। इसमें एक ओर ये नस्लीय श्रेष्ठता और भौतिकवाद का उन्माद था, तो दूसरी ओर मानवता और आध्यात्म में आस्था थी और इस लड़ाई में भारत विजयी हुआ, भारत की परंपरा विजयी हुई।
Statue of Equality will deepen our connect with the past and inspire the future generations. pic.twitter.com/6zgVBszKDq
— Narendra Modi (@narendramodi) February 6, 2022
तेलुगू कल्चर ने भारत की विविधता को सशक्त किया है
तेलंगाना में तेलुगू के विविधतापूर्ण कल्चर को याद करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि इस कल्चर ने भारत की विविधता को सशक्त किया है। तेलुगू कल्चर की जड़ों का विस्तार सदियों में फैला हुआ है। अनेक महान राजा, रानियां, इसके ध्वजावाहक रहे हैं। सातवाहन हों, काकातिया हो या विजयनगर साम्राज्य सभी ने तेलुगू संस्कृति की पताका को बुलंद किया। पिछले वर्ष ही तेलंगाना में स्थित 13वीं शताब्दी के काकातिया रूद्रेश्वर -रामाप्पा मंदिर को यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है। वर्ल्ड टूरिज्म ऑर्गनाइजेशन ने पोचमपल्ली को भी भारत के सबसे बेहतरीन Tourism Village का दर्जा दिया है। पोचमपल्ली की महिलाओं का हुनर पोचमपल्ली साड़ियों के रूप में विश्व विख्यात है। तेलुगू संस्कृति की इस गौरवशाली परंपरा को आज तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री भी पूरे आन-बान-शान से आगे बढ़ा रही है। ये वो संस्कृति है जिसने हमें हमेशा सद्भाव, भाई-चारा और नारी शक्ति का सम्मान करना सिखाया है।
सोर्स : परफॉर्मइंडिया