225 साल के इतिहास में पहली बार मनाया जाएगा वर्चुअल दशहरा, दिखेगी डिजिटल आतिशबाजी

नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में रामलीला समारोह के लगभग 225 साल पुराने इतिहास में पहली बार इस साल दशहरा का त्योहार डिजिटली मनाया जाएगा। कोरोना वायरस और प्रदूषण के मद्देनजर इस बार दशहरा के लिए रामलीला समितियों ने खास इंतजाम किए हैं। रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतलों का आकार कम कर दिया गया है, साथ ही रावण दहन के लिए डिजिटल आतिशबाजी की व्यवस्था की गई है जिसे स्क्रीन पर दिखाया जाएगा।

दिल्ली वाले अपने घरों के आराम से और अपने टेलीविजन स्क्रीन पर रावण दहन की इलेक्ट्रॉनिक आतिशबाजी देख सकते हैं। लाइव हिंदुस्तान की एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में रामलीला समितियों ने इस वर्ष कोरोना स्थिति और प्रदूषण के बारे में चिंताओं के कारण यह अहम फैसला लिया है। प्रदूषण के चलते पुतलों में पटाखों का उपयोग नहीं किया जाएगा, इसकी जगह पटाखों के आवाज के लिए डिजिटल आतिशबाजी की गई है। कुछ जगह वर्चुअल तौर पर भी पुतले दहन होंगे।

लाल किले पर रामलीला का आयोजन कर रहे दिल्ली में सबसे पुराने लव कुश रामलीला समिति के अध्यक्ष अशोक अग्रवाल ने कहा कि मौजूदा कोरोना और प्रदूषण पर चिंताओं के कारण पुतलों की लंबाई कम हो गई है। इस बार इसे घटाकर 30 फीट कर दिया गया है। महामारी से पहले पुतले 110 फीट तक ऊंचे हुआ करते थे। हालांकि इस साल रामलीला समारोह आयोजित करने के निर्देश के अनुरूप आकार कम कर दिया गया था। अग्रवाल ने कहा कि रावण के पुतले को जलाने के दौरान पटाखों का भी इस्तेमाल नहीं किया जाएगा और दर्शकों को इतिहास में पहली बार ‘डिजिटल आतिशबाजी’ देखने को मिलेगी।

लव कुश रामलीला समिति के अध्यक्ष ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस साल भी दशहरा समारोह में मुख्य अतिथि होंगे। रिपोर्ट्स के मुताबिक यह तीसरी बार है जब केजरीवाल लाल किले पर रामलीला समारोह में शामिल होंगे। बता दें कि रामलीला भगवान राम के जीवन पर आधारित है जिसे नाटक के तौर पर हर साल याद किया जाता है।

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