विश्व भारती विश्वविद्यालय शताब्दी समारोह: गुरुदेव का विजन ही आत्मनिर्भर भारत का सार- पीएम मोदी
न्यूज़ डेस्क। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पश्चिम बंगाल के विश्व भारती विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह को संबोधित किया। उन्होंने कहा, “गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर का विजन था कि जो भारत में सर्वश्रेष्ठ है, उससे विश्व को लाभ हो और जो दुनिया में अच्छा है, भारत उससे भी सीखे। गुरुदेव, सर्वसमावेशी और सर्व स्पर्शी, सह-अस्तित्व और सहयोग के माध्यम से मानव कल्याण के बृहद लक्ष्य को लेकर चल रहे थे। विश्व भारती के लिए गुरुदेव का यही विजन आत्मनिर्भर भारत का भी सार है। आत्मनिर्भर भारत अभियान भी विश्व कल्याण के लिए भारत के कल्याण का मार्ग है।”
Speaking at #VisvaBharati University. Here is my speech. https://t.co/YH17s5BAll
— Narendra Modi (@narendramodi) December 24, 2020
पीएम मोदी ने कहा कि गुरुदेव ने स्वदेशी समाज का संकल्प दिया था। हमारे गांवों को कृषि को आत्मनिर्भर देखना चाहते थे। उन्होंने आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आत्मशक्ति की बात कही थी। उन्होंने कहा था, राष्ट्र का निर्माण एक तरह से अपनी आत्मा की प्राप्ति का विस्तार है। जब आपने विचारों से अपने कार्यों से, अपने कर्तव्यों के निवर्हन से देश का निर्माण करते हैं तो आपको देश की आत्मा से ही अपनी आत्मा नजर आने लगती है।
विश्व भारती की सौ वर्ष की यात्रा बहुत विशेष है।
मुझे खुशी है कि विश्व भारती, श्रीनिकेतन और शांतिनिकेतन निरंतर उन लक्ष्यों की प्राप्ति का प्रयास कर रहे हैं, जो गुरुदेव ने तय किए थे।
हमारा देश विश्व भारती से निकले संदेश को पूरे विश्व तक पहुंचा रहा है। pic.twitter.com/j9nhrzv0WL
— Narendra Modi (@narendramodi) December 24, 2020
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा, ‘वर्ष 2022 में देश की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे हो जाएंगे। विश्वभारती की स्थापना के 27 साल बाद देश आजाद हो गया था। 27 साल बाद भारत की आजादी को 100 साल हो जाएंगे। हमें नए लक्ष्य गढ़ने होंगे, नई उर्जा जुटानी होगी। इस लक्ष्य में हमारा मार्गदर्शन गुरुदेव की ही बातें करेंगी। उनके विचार करेंगे।’
विश्व भारती की स्थापना के 27 वर्ष बाद भारत आजाद हो गया था।
अब से 27 वर्ष बाद भारत अपनी आजादी के 100 वर्ष का पर्व मनाएगा।
हमें नए लक्ष्य गढ़ने होंगे, नई ऊर्जा जुटानी होगी, नए तरीके से अपनी यात्रा शुरू करनी होगी। इसमें हमारा मार्गदर्शन गुरुदेव के ही विचार करेंगे। pic.twitter.com/nTha5OJlwx
— Narendra Modi (@narendramodi) December 24, 2020
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘गुरुदेव का सबसे प्रेरणादायी मंत्र तो याद ही है। जोदि तोर दक शुने केऊ ना ऐसे तबे एकला चलो रे यानी कोई साथ न आए, अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अगर अकेले चलना पड़े तो चलिए।’ इस दौरान उन्होंने विश्वभारती के छात्र-छात्राओं को एक टास्क भी दिया। पीएम मोदी ने इस बार कोरोना महामारी के चलते पौष मेला नहीं हो पाया। स्टूडेंट्स पौष मेले में आने वाले लोगों से संपर्क करें और कोशिश करें कि उनकी कलाकृतियां ऑनलाइन कैसे बेची जा सकें।
गुरुदेव का जीवन हमें एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना से भरता है।
यह दिखाता है कि कैसे विभिन्नताओं से भरा हमारा देश एक है, एक-दूसरे से कितना सीखता रहा है।
यही संस्कार गुरुदेव ने भी विश्वभारती को दिए हैं। इन्हीं संस्कारों को हमें मिलकर निरंतर मजबूत करना है। pic.twitter.com/MGZ8OLI56A
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