मुख्यमंत्री रेडियोवार्ता ’लोकवाणी’ की सातवीं कड़ी में बच्चों से हुए रूबरू: बताए परीक्षा की तैयारी और तनाव से निपटने के गुर ’परीक्षा प्रबंधन और युवा कैरियर के आयाम‘ विषय पर हुई चर्चा

एंकर
–    सभी श्रोताओं को नमस्कार, जय जोहार।
–    लोकवाणी की सातवीं कड़ी के लिए माननीय मुख्यमंत्री
श्री भूपेश बघेल जी आकाशवाणी के रायपुर स्टूडियो पधार चुके हैं।
–    माननीय मुख्यमंत्री जी आपका स्वागत है, अभिनंदन है।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    जम्मो सुनवईया संगवारी मन ल जय जोहार, नमस्कार।
–    मे ह चाहथौं के आप मन संग जादा से जादा समय बितावंव। जेमा मोर बचपन अउ, जवानी जम्मो बेरा के सुरता हो जाये। जो उमर के अन्तराल आ गे हे ओहर दूर हो जाये। अऊ महूं आप मन के संसो म अपन ला सामिल करके, आप मन के रद्दा ल आसान कर सकंव।

–    ते पाए के कहिथों के आज मोला दिल खोल के आप मन संग बात करे के मौका मिले हे। अऊ आज के लोकवाणी खास बन गे हे। आज के लोकवाणी म मोला बेटा-बेटी अउ जवनहा संगवारी मन संग गोठ-बात करे म अब्बड़ मजा आही।
एंकर
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, आपने लोकवाणी की इस कड़ी में सिर्फ बच्चों, युवाओं और अपने भविष्य के सपने देखने वाले साथियों को सम्बोधित करने का जो निर्णय लिया है, उसका बहुत जोशीला स्वागत हमारे श्रोताओं ने किया है।
–    वार्षिक परीक्षा नजदीक है, इसलिए सबसे ज्यादा सवाल परीक्षा के समय होने वाले डर और तनाव के आये हैं। सूरजपुर से आंचल यादव, सुकमा से ज्योति, इशिका यादव, अभय कुमार, राजनांदगांव से अनुराग सिंह, अम्बिकापुर से कृष्णा खांडेकर, कोण्डागांव से सुखन बैज, गायत्री देवांगन, रायगढ़ से सागर सेन और कृति पटेल, कोटा से सामना तिवारी, जशपुर से तोरण कुमार भगत और सुमीत लकड़ा, छुरीकला से नागेश्वर सिंह मरावी सहित कई श्रोताओं ने इस बारे में कहा है। आइए सुनते हैं कुछ सवाल –
1    नेहा (सूरजपुर) – मैं शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, विकासखण्ड- सूरजपुर, जिला-सूरजपुर की छात्रा हूं। परीक्षा प्रबंधन के विषय में मेरा सुझाव सह प्रश्न यह है कि परीक्षा हॉल में परीक्षार्थियों के द्वारा तनाव महसूस किया जाता है, जिससे उनके द्वारा याद किये गए प्रश्न के उत्तर भूलने लगते हैं। परीक्षा परिणाम पर इसका बुरा प्रभाव दिखता है। अतः परीक्षा दिवस को परीक्षा पूर्व सभी परीक्षा केन्द्रों में लगभग 5 से 10 मिनट मेडिटेशन की व्यवस्था सुनिश्चित किया जाना संभव होगा, ताकि परीक्षार्थी तनावमुक्त होकर परीक्षा दे सके।
   साहिल रिजवी – मैं शासकीय विद्यालय में कक्षा 11वीं में पढ़ाई करता हूं, परीक्षा के समय में जब एक विषय का एक सवाल हल करने में देरी हो जाती है तो हमें तनाव बढ़ता है और बाकी विषयों की तैयारी भी प्रभावित होती है। महोदय जी आप भी ऐसी परिस्थितियों से जरूर गुजरे होंगे तब आपने अपने आप को इन परिस्थितियों से कैसे निकाला? कृपया मार्गदर्शन कीजिए।
3.    आंचल यादव, सूरजपुर- हमारे प्रदेश के बच्चों के लोकप्रिय, यशस्वी मुख्यमंत्री जी को मेरा सादर प्रणाम। मैं शासकीय उच्चतर माध्यमिक, सुलसुली, जिला- सूरजपुर में कक्षा 12वीं की छात्रा हूं। मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को बताना चाहूंगी कि हमारे जिले में सक्षम सूरजपुर योजना के अंतर्गत ई-लाईब्रेरी प्रारंभ की गई है। जिसमें 45 हजार पुस्तकें उपलब्ध हैं। यहां कुल 17 हजार सदस्य जुडे़ हैं। इन पुस्तकों को हम दूरस्थ क्षेत्र के छात्र-छात्राओं को ऑनलाइन पुस्तक उपलब्ध कराते है। जिससे हमें अपने विषय के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए भी उपलब्ध होती हैं। हम इसका लाभ उठाते रहे हैं। माननीय मुख्यमंत्री जी से मैं यह भी जानना चाहती हूँ कि कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं प्रारंभ होने वाली है, जिससे मुझे ही नहीं अपितु अधिकांश छात्र-छात्राओं को भय एवं तनाव होता है। भय व तनावमुक्त होकर हम अपनी परीक्षा की तैयारी कैसे करें? ताकि हम उच्चतम अंक प्राप्त कर सकंे। इस पर हमें मार्गदर्शन करें।
4.    सुमित लकड़ा, जशपुर- मैं शासकीय विद्यालय जशपुर में 11वीं का छात्र हूं। जब मैं क्लास स्टडी करता हूं तो बिल्कुल तनाव नही होता है यहां तक कि टेस्ट परीक्षा, तिमाही-छःमाही में भी तनाव नही होता है। लेकिन जैसे ही वार्षिक परीक्षा नजदीक पहुंचने लगता है डर और तनाव होने लगता है और परीक्षा की तैयारी प्रभावित हो जाती है। महोदय इस परिस्थिति का मैं किस तरह सामना करूं मार्गदर्शन करने का कृपा करें।

माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    मेरे प्यारे बच्चों और युवा साथियों, सबसे पहले तो इस डर के मनोविज्ञान को समझना जरूरी है। जब तक आप डर के बारे में सोच-सोचकर डरते रहेंगे, तब तक मन से डर को बाहर निकाल फेंकने का प्रयास शुरू ही नहीं कर पायेंगे।
–    सवाल सिर्फ पढ़ाई के डर का नहीं है, बल्कि स्वभाव का है कि आप हिम्मत वाले, साहसी, निडर कहलाना चाहते हैं या डरपोक।
–    निश्चित तौर पर आप सब साहसी कहलाना पसंद करेंगे।
–    तो सवाल उठता है आप सिर्फ परीक्षा को लेकर क्यों डरेंगे।
–    मुझे लगता है कि तैयारी में किसी न किसी कारण से कोई कमी ही डर का कारण बनती है।
–    और दूसरा बड़ा कारण है कि आपने जितनी मेहनत की है, उससे अधिक की अपेक्षा रखने पर डर लगता है।
–    बहुत अच्छी तैयारी के बाद भी अगर डर लगता है तो इसका मतलब है कि कहीं न कहीं आत्म विश्वास की कमी है। इस तरह डर दूर करने के लिए अपने स्वाभाव में बदलाव भी जरूरी होता है। तथ्य और तर्क के साथ विचार करने की आदत डालना जरूरी है।

–    किसी ने ठीक कहा है –
जो रखते हैं उड़ने का शौक,
उन्हें नहीं होता गिरने का खौफ।

–    मेरा आप लोगों को सुझाव है कि परीक्षा के समय बिलकुल ट्वेन्टी-ट्वेन्टी मैच के प्लेयर की तरह व्यवहार कीजिए।
–    जो समय बीत गया, उसके बारे में मत सोचिए। सिर्फ ये सोचिए कि अभी जो समय आप के हाथ में है उसका पूरा सदुपयोग कैसे करेंगे।
–    बच्चों, इस समय खाना-पीना सादा रखें, हल्का व्यायाम करें। मोबाइल, टीवी आदि से दूर रहें, जिससे आंखों को आराम मिले और दिमाग भी शांत रहे।
–    पूरी पढ़ाई का बोझ एक साथ लेकर न बैंठें । टाइम टेबल बनाकर पढ़ें। जब जिस विषय की पढ़ाई कर रहे हो, तब सिर्फ उस पर ध्यान केन्द्रित करें। इधर-उधर की चिंता न करें, इससे आपकी एक-एक विषय की तैयारी पूरी होती जाएगी।
–    इसके अलावा अपनी रूचि के अनुसार कोई न कोई काम करते रहें। दिन में 5-7 मिनट कोई गाना गुनगुना लें, कोई प्रार्थना कर लें, थोड़ा उछल-कूद घर पर ही कर लें ।
–    ऐसे तमाम उपाय हैं, जो आपका डर दूर कर सकते हैं, और आखिरी बात है- मन के हारे-हार है, मन के जीते-जीत।
–    साहिल रिजवी ने पूछा कि मैं इन परिस्थितियों से कैसे निकला, तो भाई सच बताता हूं मुझे फेल होने का डर तो कभी सताया नहीं और हाँ, मैं हमेशा इस बात पर विश्वास करता हूं कि मेहनत पूरी करना है, बाकी जो होगा देखा जाएगा।
–    आंचल यादव ने पूछा कि उच्चतम अंक कैसे प्राप्त करें, तो बेटा मैं यह कहना चाहता हूं कि अपना प्रयास पूरा करो, अधिक अंक मिले तो अच्छा और न मिले तो अच्छा। इससे कुछ बनता-बिगड़ता नहीं है। बिना उच्चतम अंक पाये लाखों- करोड़ों लोग अपने बेहतर कार्यों के दम पर शिखर पहुंचे हैं।
–    नेहा बिटिया का मेडिटेशन का आइडिया तो हिट है। परीक्षा हॉल में इसे कैसे कराया जाए। इसके बारे में मैं विचार जरूर करूंगा।
–    मुकेश साहू जिन्दाबाद। आप ने कहा कि मजदूर के बेटे हो। बेटा, इसमें कोई शक नहीं कि आपको कम सुविधाओं के कारण कठिनाई होती होगी। मैं सिर्फ एक बात कहता हूं कि तुम अपने माता-पिता की बात मान कर पढ़ाई करते रहो। एक दिन, खुद अपने-आप को साबित करके दिखा दोगे कि मुकेश साहू कौन है। डरो मत, जिंदगी से लड़ो और जीतो।

एंकर
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, आपने विगत एक वर्ष में प्रदेश में जो विश्वास का वातावरण बनाया है, उसका एक शानदार पहलू देखिये कि बीजापुर से वंदना शर्मा सहित बहुत से बच्चांे को आपसे बहुत उम्मीद है। उन्होेंने यह अपेक्षा की है कि आप पालकांे को भी संबोधित करें, ताकि वे बच्चों का तनाव कम करने में मदद करें। आइए सुनते हैं कुछ विचार –
1    कुमारी तनुज साहू, जिला-राजनांदगांव – कक्षा बारहवीं, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, विकासखण्ड अम्बागढ़ चौकी। परीक्षा के दिनों में पालकों द्वारा हमें तैयारी के लिए पर्याप्त समय न देकर रोजमर्रा के कार्यों को प्राथमिकता देते हैं। आप पालकों से अपील करें ताकि हमें पढ़ने का समय मिल सके।
2    मालती वर्मा, हथबंद – कक्षा 9वीं शासकीय विद्यालय की छात्रा हूं। परीक्षा के समय माँ-बाप, बच्चों पर ज्यादा प्रेशर क्यूं डालते हैं।
3    सुरेन्द्र पैकरा, अंबिकापुर – शासकीय नवीन मैट्रिक से बोल रहा हूं, मेरा प्रश्न यह है कि परीक्षा के दौरान माता-पिता अपने बच्चों पर प्रेशर डालते हैं और कहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा अंक प्राप्त करें और जब बच्चे 80 से 90 अंक प्राप्त कर लेते हैं तो बच्चे समझदार नहीं होते हैं ? क्या यह सही है इसके लिए बच्चों को क्या करना चाहिए ?

माननीय मुख्यमंत्री का जवाब
–    बच्चों मैं आपकी बात से पूरी तरह से सहमत हूं।
–    मैं सभी पालकों से अपील करता हूं कि परीक्षा के समय बच्चों को आत्मीयता और सहयोग की अधिक जरूरत होती है। ऐसे वक्त में बच्चों को अनावश्यक तनाव से बचाना जरूरी है। अपना काम बच्चों को बताने के बजाय, बच्चों के कार्यों में हाथ बंटाने का प्रयास करें ताकि बच्चों को आपका सहयोग प्रत्यक्ष रूप से दिखाई भी दे। कई बार ऐसा होता है आपके मन में तो प्यार, सहानुभूति और सहयोग की भावना सब कुछ है लेकिन आपका यह भाव बच्चों तक पहुंच नहीं पाता।
–    मैं तो कहूंगा कि बच्चों का कोई एसाइनमेंट, प्रेक्टिकल कॉपी, नो ड्यूस सर्टीफिकेट, एडमिट कार्ड, कंपास बॉक्स, पेन, जो कपड़े पहनकर परीक्षा देने जाना है, वैसी चीजों, के बारे में भी पालकों को सहयोग देना चाहिए। ऐसा छोटा सहयोग भी बच्चों का मनोबल बढ़ाता है।
–    अक्सर ऐसा होता है कि ऐन वक्त पर पालक उलाहना देने लगते हैं कि फलां काम समय पर क्यों नहीं किया ? पहले क्यों नहीं सोचा ? पहले क्यों नहीं बताया ? आदि-आदि। ऐसी बातों से आपस में ही टकराव होता है और बच्चों का तनाव बढ़ता है। इसलिए मैं पालकों से अपील करता हूं कि परीक्षा के वक्त पुरानी सभी बातें भूलकर सिर्फ यह देखें कि बच्चे को राहत कैसे मिलेगी और मदद करें। किसी भी तरह से अपनी अपेक्षा न लादें, जो बच्चों को प्रेशर की तरह लगे।
–    यह ध्यान रखें कि परीक्षा के समय अपने बच्चे की तुलना किसी दूसरे बच्चे से न करें। सिर्फ अपने बच्चे का उत्साह बढ़ाने में ध्यान दें। क्योंकि हर घर-परिवार की परिस्थिति में बच्चों की परवरिश में कुछ न कुछ अंतर रहता है। यदि अपना बच्चा कुछ अलग तरह से चीजों को समझता है तो उसको अपना स्पेस मिलना चाहिये। साथ ही घर का वातावरण ऐसा रहे कि बच्चा शांति से मन को एकाग्र कर सके।
–    सुरेन्द्र पैकरा, आपने सही प्रश्न किया है। मैं पालकों से कहूंगा कि बच्चों को सिर्फ अच्छे से पढ़ने और सफल होने के बारे में प्रेरित करें। अव्वल, मेरिट जैसे मापदंड थोप देने से निश्चय ही तनाव बढ़ता है। बच्चों पर यह विश्वास करना चाहिये कि वें खुद भी तो अच्छा, परफॉर्म करना चाहते हैं। अपनी क्षमता के अनुसार उन्हें अपना काम करने दें और जो नतीजा आए उसे स्वीकार करें। जो भी नसीहत देना है, वह आगामी सत्र शुरू होते समय दें और सालभर यह ध्यान दें कि बच्चा किस प्रकार अच्छा कर सकता है। ऐन परीक्षा और परिणाम के समय कोई दबाव बनाना अच्छा नहीं होता।
एंकर
–    माननीय मुख्यमंत्री जी अब एक पालक का भी सवाल लेते हैं
फूलचंद केशरवानी, बिलासपुर
मेरा प्रश्न है कि मेरे लड़के का पढ़ाई-लिखाई में मन नहीं लग रहा है, स्कूल नहीं जा रहा है। क्या ऐसे उपाय किये जाएं कि उसका मन लगे और वह अच्छे अंकों से पास हो जाये।
माननीय मुख्यमंत्री का जवाब
–    केशरवानी जी, मुझे लगता है कि ऐसा सवाल कई लोगों के मन में होगा लेकिन आपने साहस के साथ यह बात पूछा है इसलिए मैं आपको बधाई देता हूं।
–    मुझे लगता है कि पालक होने के नाते आपको यह पता होना चाहिए कि बच्चे कि रूचि अगर पढ़ाई में नहीं है तो किस बात में है।
–    शांत दिमाग से बच्चे के मन को समझने की कोशिश की जानी चाहिए।
–    हमें बच्चों की रूचि का सम्मान करना सीखना पड़ेगा क्योंकि आप भी जानते हैं कि किस बच्चे का कैरियर उसकी किस प्रतिभा से बन जायेगा, यह आसानी से पता नहीं चलता, इसे अवसर देकर उभारना पड़ता है, संवारना पड़ता है।
–    मेरी सलाह यह होगी कि यदि बच्चे की रूचि पढ़ाई में अधिक नहीं है तो उसे प्यार से समझाने की जरूरत है कि आपके ऊपर मेरिट में आने, बहुत ज्यादा नंबर पाने का दबाव नहीं है।
–     जहां तक स्कूल न जाने का सवाल है तो पालक को स्कूल में जाकर यह समझना चाहिये कि बच्चे की कोई निजी समस्या तो नहीं है। स्कूल के वातावरण में तो कोई ऐसी बात तो नहीं है जिसका असर हो रहा हो। स्कूल में रोचकता का वातावरण बनाने के दिशा में आप शाला प्रबंधन या समिति से चर्चा कर सकते हैं।
एंकर
–     माननीय मुख्यमंत्री जी, पिछले माह छत्तीसगढ़ में राज्य स्तरीय युवा महोत्सव का आयोजन किया गया, जिसकी तारीफ बहुत दूर-दूर तक हुई, इस संबंध में भी हमारे बहुत से युवा साथी बात करना चाहते हैं। उनमें से एक विचार यहां लेते हैं। आपसे निवेदन है कि उसे सुनकर फिर अपना जबाव दीजिए।
–   खुशबू नाग, जगदलपुर – शा. बहुउद्देश्यीय विद्यालय की 12वीं गणित संकाय की छात्रा हूं युवा महोत्सव युवाओं के सपने, साकार करने का एक मंच है, जिसमें प्रतिभायें निखरती हैं। क्या मैं जान सकती हूं कि इस महोत्सव का लक्ष्य क्या है? क्या सभी वर्गों के युवा इस महोत्सव से लाभांवित हो पाते हैं? और किस तरह से युवा महोत्सव, कैरियर चुनने में सहायक सिद्ध हो सकता है?
माननीय मुख्यमंत्री का जवाब
–    खुशबू, बहुत अच्छा सवाल पूछा आपने।
–    आपके साथ बहुत से युवाओं ने ऐसे सवाल पूछे हैं, उन्हें भी धन्यवाद।
–    मुझे नहीं पता कि आप युवा महोत्सव में शामिल होने के लिए रायपुर आ पाईं थी कि नहीं। लेकिन कहीं न कहीं आपने इसके बारे में सुना-जाना होगा तभी यह प्रश्न कर रही हैं।
–    परीक्षा के तनाव के सवालों के बीच यह सवाल आना वैसे ही ताजा हवा के झोंके की तरह लग रहा है।
–    हमें दो बातें स्पष्ट रूप से समझनी चाहिये।
–    पहली यह कि हर किसी की जिन्दगी में शिक्षा से बड़ा परिवर्तन आता है, इसलिये एक निश्चित स्तर तक ही पढ़ाई  सबके लिए जरूरी है। शिक्षा से कैरियर के बहुत सारे रास्ते खुल जाते हैं।
–    लेकिन अगर कोई बच्चा पढ़ाई में बहुत अच्छा नहीं है और वह, अच्छा काम करना चाहता है, नाम कमाना चाहता है तथा कुछ अलग कैरियर बनाना चाहता है, तो उसके सवालों का जवाब ‘‘युवा महोत्सव’’ जैसे आयोजन से मिलता है, जहां बच्चे अपनी अभिरूचियों के बारे में खुलकर बात कर सकें। अपनी हॉबी को किस स्तर तक ले जा सकते हैं, यह समझ सकें।
–    यदि किसी बच्चे को अपनी संस्कृति, संस्कार, गांव, कस्बे में अपने परिवेश से कोई ऐसा हुनर मिल जाता है, जो व्यक्तित्व और संभावनाओं को जोड़ दे, तो ऐसे हुनर को लेकर भी आप कोई ऐसा रोजगार, कारोबार, कलाकारी के बारे में सोच सकते हैं और यश तथा सफलता अर्जित कर सकते हैं।
–    युवा उत्सव के लिए हमने 3 महीने का लंबा समय रखा था जिससे ब्लॉक स्तर से जिला स्तर तक लाखों युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित हुई। प्रतिभायें क्रमशः आगे बढ़ते-बढ़ते राज्य स्तर तक आईं। राज्य स्तर पर 7 हजार लोगों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया और प्रतियोगिता में शामिल हुए।
–    मैं प्रदेश की युवा शक्ति को साधुवाद देता हूं। अनुशासन और गरिमा के साथ आप लोगों ने इस आयोजन को सफल बनाया।
–    हजारों युवा एक परिसर में एक परिवार की तरह 3 दिन रहे। न जात-पात, न धर्म-समुदाय, न ऊंच-नीच, न अमीर-गरीब किसी तरह का कोई बैर भाव नहीं। इससे छत्तीसगढ़ की तासीर को एक बार फिर से समझने-समझाने का मौका मिला।
–    इसके अलावा 37 विधाओं पर प्रतियोगितायें हुई। ग्रामीण से लेकर अंतरराष्ट्रीय खेल तक और लोक कला से लेकर शास्त्रीय कलाओं तक को इसमें स्थान मिला। राज्य स्तर पर 821 प्रस्तुतियां हुई। इससे एक सागर मंथन हो गया और पढ़ाई के तनाव से अलग हटकर माहौल बना। युवाओं का आत्मविश्वास बढ़ा। आपस में बातचीत करके युवाओं ने यह जाना-समझा कि उनके सामने जो चुनौतियां हैं, उनका समाधान कैसे करना है।
–    इस अवसर पर कैरियर काउंसिलिंग की व्यवस्था भी थी।
–    इसलिए हमने यह निर्णय लिया है कि अब हर साल युवा महोत्सव का आयोजन किया जायेगा। मैं चाहता हूं कि जो प्रतिभायें युवा महोत्सव से उभर कर आती है, वे देश के बड़े-बड़े मंचों पर पहुंचें और प्रदेश का नाम रौशन करें।
एंकर
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, युवा महोत्सव में आपने प्रदेश में ‘‘राजीव युवा मितान क्लब’’ की घोषणा की है, इसे लेकर प्रदेश के युवाओं में बहुत उत्साह है। एक सवाल लेते हैं और फिर आप इस योजना के बारे में विस्तार से बताइयेगा।
अमन गुप्ता, सरगुजा – ग्रामीण क्षेत्र की छात्राओं को मैं कराटे सिखाता हूं। माननीय मुख्यमंत्री जी से प्रश्न है कि युवा महोत्सव में राजीव युवा मितान योजना के गठन की घोषणा की गई है, तो उस क्लब से हमें क्या मिलेगा।

माननीय मुख्यमंत्री का जवाब
–    अमन और सभी साथियों।
–    हमने यह तय किया है कि युवा शक्ति को रचनात्मक और सकारात्मक दिशा देने के लिए गांव-गांव में एक मंच उपलब्ध करायेंगे।
–    यह मंच होगा-राजीव युवा मितान क्लब।
–    इस मंच के माध्यम से एक ओर जहां हम युवाओं को वैचारिक रूप से भारत के संविधान, भारत की संस्कृति, अपने प्रदेश की अस्मिता, ग्राम सेवा, सामाजिक सरोकार, पढ़े-लिखे युवाओं की ग्राम विकास में भागीदारी और अच्छे संस्कारयुक्त मनोरंजन के लिए प्रेरित करेंगे। हम ऐसी युवा शक्ति तैयार करना चाहते हैं जो अपनी माटी का सम्मान करे और अपनी माटी का कर्ज चुकाने को तैयार रहे। हर गांव में राजीव युवा मितान क्लब को हम 10 हजार रूपये महीने की सहायता देंगे। आप कराटे के एक्सपर्ट हो तो हमारे युवाओं को आत्मरक्षा के लिए प्रशिक्षित कर सकते हो। ऐसे ही अन्य विधाओं के जानकार भी इस क्लब से जुड़ेंगे तो हमारी यह पहल सार्थक होगी। आप जैसे जागरूक युवाओं का स्वागत है।

एंकर
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, हमारी नई पीढ़ी टेक्नालॉजी से आकर्षित होती है। लगाव रखती है। मोबाइल, लैपटाप, इंटरनेट तो जैसे उनके जीवन का अंग बन गया है। लेकिन अब बच्चों की समझदारी देखिए कि वे परीक्षा के समय इससे दूर रहने की भी सोचते हैं।
–    सुनिए कुछ लोगों के विचार:
1.    हिमांशु कुमार पटेल – शा.उ.मा.शाला, उरू से बोल रहा हूं- मेरा प्रश्न है कि मोबाइल से अपना ध्यान कैसे हटायें और अपना ध्यान पढ़ाई में कैसे लगायें?
2.    प्रदीप कुमार सिंह –    अंबिकापुर, माननीय भूपेश बघेल जी से मेरा यह सवाल है कि सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव से बच्चों और युवाओं के कैरियर में बहुत अधिक प्रभाव पड़ रहा है इस समस्या का निदान कैसे करें।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    हिमांशु, प्रदीप, मुझे आप लोगों की बातें बहुत अच्छी लगीं। नई टेक्नालॉजी का उपयोग जब हम अपनी सुविधा के लिए करते हैं तो उससे हमारी कार्यक्षमता बढ़ती है। लेकिन यदि इस सुविधा का ज्यादा उपयोग सिर्फ मनोरंजन में होने लगता है और इससे समय खराब होता है तो दृढ़ निश्चय करके इसके उपयोग पर अंकुश लगाना चाहिए।
–    किसी से तुलना, किसी से बराबरी की बात सोचे बिना अपना रास्ता तय करना चाहिए। एक बार निश्चय कर लोगे तो यह बिल्कुल भी कठिन नहीं है।
–    निश्चित तौर पर परीक्षा के समय यदि जरूरी हो तो ही मोबाइल, इंटरनेट आदि का उपयोग करें अथवा बिल्कुल नहीं करें। अपना पूरा समय पढ़ाई के लिए देना तय करेंगे, तो सब ठीक हो जाएगा।
एंकर
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, जशपुर से जग्गुराम, सूरजपुर से कैलाशराम, भाठापारा से रिया यादव, सुकमा से निशा यादव, कोण्डागांव से रीना पोटाई, आवापल्ली से पूर्णिमा नाग, राजिम से रानी शर्मा, भैरमगढ़ से धनेश तांडी, बीजापुर से आरती कश्यप सहित अनेक साथियों ने रोजगार के अवसरों के बारे में सवाल पूछा है।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    दोस्तों, पढ़ाई और नौकरी, दोनों विषयों पर तनाव के साथ नहीं बल्कि ठण्डे दिमाग से सोचने की जरूरत है।
–    मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि हमारी सरकार जिस तरह से काम कर रही है, उससे राज्य में बेरोजगारी बड़ी तेजी से घटी है। इसका मतलब रोजगार के अवसर तेजी से बढ़े हैं।
–    मैं बताना चाहता हूं कि जब से राज्य बना है, तब से लेकर हमारी सरकार के आते तक, स्थायी नौकरियों का सिस्टम ही बंद कर दिया गया था।
–    हमने बड़े पैमाने पर स्थायी नौकरी के अवसर बनाए। जिसके कारण, स्कूल-कॉलेज में ही लगभग 20 हजार पदों पर भर्ती की प्रक्रिया चल रही है।
–    सिर्फ शिक्षा नहीं बल्कि सारे विभागों में, ऐसे हजारों अवसर दिए जा रहे हैं।
–    अनुसूचित क्षेत्र के युवा साथियों को बता दूं कि बस्तर, सरगुजा और बिलासपुर संभाग में तो न सिर्फ जिला संवर्ग में भर्ती की समय सीमा बढ़ाई, बल्कि तीनों संभागों के लिए अलग-अलग ‘कनिष्ठ सेवा चयन बोर्ड’ भी बनाए गए हैं, ताकि हर वर्ग के लोगों को उनकी योग्यता के अनुसार नौकरी मिले।
–    इतना ही नहीं खेलकूद से लेकर लोककलाओं तक को युवाओं की प्रतिष्ठा और रोजगार से कैसे जोड़ा जाए ? इस दिशा में गंभीर मंथन और प्रयास किए जा रहे है।
–    प्रदेश में पहली बार खेल प्राधिकरण और लोककला परिषद का गठन जैसे कदम इसी दिशा में उठाए गए हैं।
–    हमने स्थानीय बोली-भाषा में पढ़ाई का इन्तजाम, संविधान की प्रस्तावना का वाचन और उसके प्रावधानों पर चर्चा जैसे नए कदम भी उठाए हैं, ताकि आपको अपने अधिकारों और अवसरों के बारे में जानकारी मिल सके। आपकी जागरूकता बढ़े, जिसका लाभ जीवन के हर पहलू पर मिले।
–    मैं युवा साथियों से सिर्फ इतना कहना चाहता हूँ कि एक योजनाबद्ध तरीके से पढ़ाई, प्रशिक्षण और रोजगार के विषय पर निर्णय लें। अपना मन मजबूत बनाएं। पढ़ाई करते वक्त यह जरूर सोचें कि आपका लक्ष्य सिर्फ डिग्री हासिल करना नहीं बल्कि उसे साबित करना भी है। इसलिए कौशल को, हुनर को साथ लेकर चलिए। यदि सही समय पर सही योजना बनाकर काम करेंगे तो कोई भी आपको लक्ष्य तक पहुंचने से रोक नहीं सकता।
–    आप सभी को आगामी परीक्षाओं के लिए शुभकामनाएं।
एंकर
–    मैं एक बार फिर यह बताना चाहता हूं कि लोकवाणी के लिए बहुत से सवाल मिले लेकिन समय-सीमा में सभी सवालों को लेना संभव नहीं था इसलिए कुछ प्रतिनिधि सवालों के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी के विचार जानने का प्रयास किया गया। हमें लगता है कि मुख्यमंत्री जी ने काफी विस्तार से अपनी बात कही है, जिससे लगभग हर सवाल का जवाब मिल गया है।
–    अब लोकवाणी का आगामी प्रसारण 8 मार्च, 2020 को होगा। विषय होगा ‘जल संसाधन-जल प्रबंधन’ इस विषय पर हमारे श्रोता अपने विचार 26, 27 एवं 28 फरवरी 2020 के बीच रख सकेंगे। पहले की तरह ही आप फोन नम्बर 0771-2430501, 2430502, 2430503 पर अपरान्ह 3 से 4 बजे के बीच फोन करके अपने सवाल रिकार्ड करा सकते हैं।

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