समाज कल्याण विभाग में हुए कथित घोटाले में CBI ने किया अपराध पंजीबद्ध, छ.ग.सरकारी रोक भी नहीं आयी काम, दाखिल होगी CBI, ED भी सक्रिय, अब होगी गिरफ्तारी! कांग्रेस-बीजेपी मौन
रायपुर(आईएसएनएस)। छत्तीसगढ़ में IAS, गैर-IAS चंद अधिकारियों ने बिहार चारा घोटाले की याद दिला दी। इन अफसरों ने समाज कल्याण का बीड़ा उठाया था। लेकिन पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के संरक्षण में खुद का ऐसा कल्याण किया कि घोटाला एक हजार करोड़ से ज्यादा का आंकड़ा पार कर गया। दिलचस्प ही नहीं गंभीर बात यह है कि घोटाले बाजों को बचाने के लिए राज्य की कांग्रेस सरकार ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार का हाथ घोटालेबाजों के साथ देखकर विपक्ष ही नहीं राज्य की जनता भी हैरत में है ।
आप भी जानकर हैरत में पड़ जायेंगे कि भ्रष्ट्राचारियों को बचाने के लिए सरकारी साख और संसाधनों का भरपूर उपयोग हुआ। बिलासपुर हाईकोर्ट में राज्य सरकार ने रिव्यू पिटीशन दायर कर जनहित याचिका और याचिकाकर्ता दोनों पर दोषारोपण किया। हालांकि अदालत ने राज्य सरकार की तमाम दलीलो को गौर करने लायक भी नहीं समझा। जनता को उम्मीद थी कि राज्य सरकार घोटाले की जांच ही नहीं बल्कि भ्रष्ट्र अफसरों को बेनकाब करने के लिए अदालत के समक्ष गुहार लगाएगी। लेकिन हुआ इसके ठीक उल्टा, वर्त्तमान कांग्रेस सरकार का हाथ बिलासपुर हाईकोर्ट में भ्रष्ट्र अफसरों के साथ दिखाई पड़ा। ऐसा क्यों हुआ इस बारे में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को गौर फरमाना होगा। दरअसल भ्रष्ट्र अफसरों के साथ वो सख्ती से पेश आते हुए वैधानिक कार्रवाई कर रहे है।
एक हजार करोड़ के घोटाले को लेकर राज्य के महाधिवक्ता कार्यालय की कार्यप्रणाली पर भी सवालियां निशान लग गया है। राज्य सरकार की दलील जो भी हो लेकिन CBI ने भ्रष्ट्राचार के खिलाफ बिगुल फूंक दिया है। उसने अज्ञात अफसरों के खिलाफ IPC की धारा 420, 409 , 467 ,468 ,471 ,120 बी , U/S 13(2) 13(1) (D) भ्रष्ट्राचार निरोधक अधीनियम के तहत अपराध क्रमांक 222-2020 A 0001 IN AC IV BRANCH के तहत मामला दर्ज कर अदालती आदेश को अमलीजामा पहनाया है। यह केस भोपाल में CBI द्वारा दर्ज किया गया है। इसकी जानकारी CBI के एएसजी गोपा कुमार ने हाईकोर्ट का दी है।
जिन अधिकारियों के खिलाफ नामजद FIR होगी उसमे राज्य के 6 आईएएस अफसर आलोक शुक्ला, विवेक ढांड, एनके राउत, सुनील कुजूर, बीएल अग्रवाल और पीपी सोती समेत सतीश पांडेय, राजेश तिवारी, अशोक तिवारी, हरमन खलखो, एमएल पांडेय और पंकज वर्मा शामिल है। हालांकि दस्तावेजों की पड़ताल और सबूतों के इक्कठा होने के बाद कई और अफसरों के खिलाफ भी अपराध पंजीबद्ध होगा।
इधर CBI के आपराधिक प्रकरण दर्ज करने के बाद ED भी सक्रिय हो गई है। उसने भी आरोपियों की सम्पतियों का आंकलन करना शुरू कर दिया है।दरअसल ED को 100 करोड़ से ज्यादा की आर्थिक सम्पतियों के विवाद और भ्रष्ट्राचार को लेकर वैधानिक रिपोर्ट अपनी ओर से तैयार करनी होती है। लिहाजा उसने बगैर किसी शिकायत के इस घोटाले का संज्ञान लिया है।
उधर इस घोटाले को लेकर कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दलों ने चुप्पी साधी हुई है। इतने बड़े घोटाले के सामने आने के बावजूद दोनों ही दलों के नेताओं ने कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की है। अब राज्य की जनता कहने लगी है कि भ्रष्ट्राचार को लेकर दोनों ही दल हम साथ-साथ है की तर्ज पर जनता की आँखों में धूल झोक रहे है। लेकिन इस तथ्य से बेखबर है कि ये जनता है , सब जानती है।