राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव : अंतरराष्ट्रीय प्रस्तुति में श्रीलंका, बेलारूस और मालद्वीप के कलाकार छाए मालद्वीप के कलाकारों ने गाया लोकप्रिय हिंदी गीत
रायपुर। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के तीसरे और अंतिम दिन भी सांध्यबेला में जनजातिय जीवन शैली की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की धूम रही। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय आदिवासी नृत्यों की शानदार प्रस्तुति ने दर्शकों को बांधे रखा। झारखंड की मर्दानी झूमर और पाइका नृत्य ने एक बार फिर साबित किया कि उनकी जीवनचर्या में सांस्कृतिक विरासत किस तरह घुली मिली है। अपने जीवन शैली की बानगी उनके नृत्य में देखने को मिली जिसे जमकर सराहना मिली।
अब बारी थी अंतरराष्ट्रीय आदिवासी नृत्य की। सांध्यबेला में पड़ोसी देश श्रीलंका के कलाकारों ने पीकॉक डांस बेहद मनोरम तरीके से प्रस्तुत किया। संगीत और नृत्य का गजब का संयोजन ने दर्शकों को मन्त्रमुग्ध कर दिया। इन कलाकारों को दर्शकों की खूब वाहवाही मिली। सात हजार किमी दूरी तय कर आये बेला रूस के कलाकारों ने लेवोनिखा नृत्य से समाँ बांधा। बेलारूस के नर्तक दल ने जो नृत्य किया उसे सामुदायिक समागम, खुशी, उत्साह, विवाह, फसल कटाई के अवसर पर समूह में किया जाता है। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य समारोह में बेलारूस की संस्कृति, लोककला को संगीत और नृत्य के माध्यम से दर्शकगणों को अभिभूत कर दिया। लोक नृत्य ‘लेवोनिखा‘ प्रेम का प्रतीक है। नृत्य प्रस्तुति के समय कलाकार एक विशेष कपड़ा हाथों में लिए रहते हैं। दर्शकों ने इस नृत्य का दिल थामकर आनंद लिया।
नृत्य महोत्सव में मालदीव के जनजाति कलाकार नृत्य प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया। मालद्वीप का नृत्य मुख्यता वाद्य यंत्रों के धुन पर प्रस्तुति दी गई। कलाकार वाद्य यंत्र पर खूब थिरके। कलाकारों ने बोंड्ढो नृत्य में वाद्य यंत्र और विभिन्न प्रकार के ढोल इस्तेमाल में लाया। उन्होंने महोत्सव के तीसरे दिन बाबूरी और नाल नृत्य की प्रस्तुति दी।
मालद्वीप के कलाकारों ने बालीवुड का लोकप्रिय हिंदी गीत कभी अलविदा न कहना, दमादम मस्त कलन्दर, ये मेरी जोहरा जबी, कजरा मोहब्बत वाली गाया। उनके साथ दर्शकों ने गीत गाकर उनका साथ दिया। उनके गीत ने दर्शकों में जोश भर दिया। दमादम मस्त कलन्दर गीत गाकर मानो माहौल ही बदल दिया। इन कलाकारों के परफॉर्मेंस से दर्शकों ने खूब एन्जॉय किया।
अंतराष्ट्रीय प्रस्तुति के पश्चात एक बार फिर राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य की प्रस्तुति हुई जिसमें उत्तरप्रदेश के झांझी धन्ना नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी। परम्परागत पोषक, संगीत और नृत्य का अद्भुत संगम देखने को मिला। मध्यप्रदेश की भील भगोरिया ने एक बार फिर अपने सांस्कृतिक जौहर दिखाए।