इंतजार ख़त्म, अब संरक्षित स्मारकों में हो सकेगी फिल्मों की शूटिंग, 3 सप्ताह में मिलेगी इजाजत
न्यूज़ डेस्क। वर्ष 2020 कोरोना संक्रमण से प्रभावित है लेकिन फिल्म जगत से जुड़े लोगों के लिए एक अच्छी खबर है। अब देश के संरक्षित स्मारकों में फिल्मों की शूटिंग हो सकेगी। केंद्र सरकार की ओर से अब स्मारकों में फिल्मों की शूटिंग के लिए आवेदन के तीन सप्ताह के अंदर इजाजत मिल जाएगी। इससे दुनिया भर के लोग भारतीय स्मारकों के बारे में जान समझ सकेंगे और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। केंद्रीय संस्कृति व पर्यटन राज्यमंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने फिक्की फ्रेम्स के साथ वर्चुअल संवाद में गुरुवार को कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के सभी स्मारकों में फिल्मों की शूटिंग की अनुमति के लिए अब अधिक इंतजार नहीं करना होगा। श्री पटेल ने कहा कि अब ASI की वेबसाइट https://asiegov.gov.in/login पर ऑनलाइन आवेदन करने के 3 सप्ताह में अंदर उन्हें शूटिंग की अनुमति मिल जाएगी। उन्होंने कहा कि इस घोषणा से न सिर्फ फिल्मों की शूटिंग को भारत में बढ़ावा मिलेगा बल्कि भारतीय स्मारकों का भी प्रचार-प्रसार हो सकेगा।
आज @FICCIFRAMES के वर्चुअल संवाद मे फ़िल्मों के निर्माण के लिए,मा प्रधानमंत्री @narendramodi के आत्मनिर्भर भारत अभियान में @ASIGoI के स्मारकों के छायांकन के लिए अनुमति आनलाइन https://t.co/2I76UmBS31 अधिकतम ३सप्ताह में पर ली जा सकती है @PMOIndia @JPNadda @incredibleindia @BJP4MP pic.twitter.com/djmuDHpzGB
— Prahlad Singh Patel (@prahladspatel) July 9, 2020
पर्यटन मंत्री पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह घोषणा की गई है। इसके साथ ही उन्होंने फिल्मकारों से अपील की कि उन्हें जाने-माने स्मारकों के साथ-साथ कम लोकप्रिय स्मारकों पर भी शूटिंग करनी चाहिए, जिससे दुनिया को उन स्मारकों के बारे में भी जानकारी मिल सके। उन्होंने नॉर्थ-ईस्ट और हिमालयी राज्यों में भी ज्यादा से ज्यादा शूटिंग करने का अनुरोध किया जिससे देश और दुनिया को वहां की खूबसूरती के बारे में और अधिक जानकारी मिल सके।
आइए एक नजर डालते हैं मोदीराज में पर्यटन क्षेत्र की उपलब्धियों पर-
मोदी सरकार ने बदली पर्यटन की तस्वीर
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पर्यटन उद्योग निरंतर नई ऊंचाइयों को छू रहा है। मोदी सरकार ने पर्यटन क्षेत्र का कायाकल्प कर दिया है। इस क्षेत्र में देश ने जिस गति से तरक्की की है उससे लगता है कि आने वाले समय में दुनिया के पर्यटन मानचित्र पर भी भारत अव्वल देशों में शामिल हो जाएगा।
चारधाम यात्रा पर पहुंचे रिकॉर्ड 34 लाख श्रद्धालु
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी समय-समय पर बाबा केदारनाथ के दर्शन करने आते रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी 18 मई, 2019 को केदारनाथ पहुंचे और उन्होंने रूद्र गुफा में ध्यान साधना की। उनके ध्यान-साधना के बाद यह गुफा विशेष आकर्षण का केन्द्र बन गई है। वर्ष 2019 में रिकार्ड संख्या में 10 लाख श्रद्धालु केदारनाथ पहुंचे। उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद के अनुसार, नवंबर 2019 तक 34 लाख से अधिक श्रद्धालु चारधाम तथा प्रसिद्ध सिख तीर्थस्थल हेमकुंड साहिब के दर्शन करने पहुंचे। श्रद्धालुओं की यह संख्या पिछले वर्ष के मुकाबले 22.6 प्रतिशत ज्यादा है।
कमाई के मामले में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी ने ताजमहल को पीछे छोड़ा
लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 182 मीटर की विश्व प्रसिद्ध प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी ने अब कमाई के मामले में भी एक नया रिकॉर्ड बनाया है। कमाई के मामले में दुनिया के सात अजूबों में शामिल ताजमहल समेत देश के सभी प्रसिद्ध स्मारकों को स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पीछे छोड़ दिया है। ASI की रिपोर्ट के मुताबिक स्टैच्यू ऑफ यूनिटी ने पिछले एक साल में 63 करोड़ रुपए की कमाई कर एक रिकॉर्ड बनाया है। जबकि राजस्व के तौर पर ताजमहल की कमाई सिर्फ 56 करोड़ रुपए हुई है। हालांकि ताजमहल को देखने के लिए 64.58 लाख और स्टैच्यू ऑफ यूनिटी देखने के लिए 26 लाख लोग पहुंचे। प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का उद्घाटन 31 अक्टूबर, 2018 को किया था। आज स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की दुनिया और देश का आज प्रमुख पर्यटन स्थलों में गिनती हो रही है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी 182 मीटर लंबी प्रतिमा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने प्रवासी भारतीयों से की अपील- हर वर्ष 5 विदेशी परिवारों को पर्यटन पर भारत जरूर भेजें
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत में हर सेक्टर में तेज प्रगति हो रही है। पर्यटन के नक्शे पर भी भारत अब पहले की तुलना में कहीं अधिक मजबूती से चमक बिखेर रहा है। जाहिर है कि प्रधानमंत्री मोदी विश्व में जहां भी जाते हैं, वहां भारत की सांस्कृतिक विरासत और मनमोहक पर्यटक स्थलों के बारे में बात जरूर करते हैं। हाल ही में 22 सितंबर,2019 को ह्यूस्टन में प्रधानमंत्री हाउडी मोदी कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका में रह रहे भारतीयों से पर्यटन को बढ़ावा देने का आग्रह किया। PM मोदी ने कहा कि हर भारतीय नागरिक हर साल कम से कम पांच गैर भारतीय परिवारों को भारत जरूर भेजे, ताकि वहां पर्यटन इंडस्ट्री को बढ़ावा मिल सके।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “क्या आप मेरे लिए एक छोटा सा काम कर सकते हैं, क्या मैं आप पर भरोसा कर सकता हूं। मैं भारतीयों से भारत में कम से कम पांच गैर-भारतीय परिवारों को लाने का वादा करने के लिए कह रहा हूं।” जाहिर है कि प्रधानमंत्री मोदी हमेशा विदेशों में रह रहे भारतीयों को देश का असली राजदूत बताते रहे हैं। PM मोदी का मानना है कि पूरी दुनिया में फैले भारतीय नागरिक देश के विकास में अपनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा सकते हैं और इसके लिए वो सभी को प्रेरित भी करते रहते हैं।
विश्व यात्रा पर्यटन प्रतिस्पर्धा सूचकांक में भारत ने लगाई छह पायदान की छलांग
वैश्विक यात्रा एवं पर्यटन प्रतिस्पर्धा सूचकांक में छह पायदान की छलांग लगाकर भारत 34वें स्थान पर पहुंच गया है। वर्ष 2017 में भारत 40वें स्थान था, जबकि सन 2013 में 65वें स्थान पर था। मोदी सरकार के दौरान रैंकिंग में भारत ने 31 पायदान की छलांग लगाई है। विश्व आर्थिक मंच की रिपोर्ट के अनुसार इसकी वजह प्राकृतिक और सांस्कृतिक संसाधन के मामले में भारत का समृद्ध होना और कीमत के लिहाज से बेहद प्रतिस्पर्धी होना है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत दक्षिण एशिया में सबसे प्रतिस्पर्धी यात्रा-पर्यटन अर्थव्यवस्था बना हुआ है।
अब 10 ऐतिहासिक स्थल रात 9 बजे तक खुले रहेंगे
पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अब देशभर के 10 ऐतिहासिक स्थलों को देखने का समय बढ़ा दिया गया है और यह स्थल प्रातः काल से रात 9 बजे तक खुले रहेंगे। इसके पहले ये दर्शनी स्थल आम जनता के लिए सुबह 9 बजे से शाम साढ़े 5 बजे तक खुले रहते थे। पर्यटन मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा कि यह निर्णय पर्यटकों के लाभ के लिए लिया गया है जो इन ऐतिहासिक स्थलों की सुंदरता देखने के लिए यहां आते हैं। प्रथम चरण में जिन 10 ऐतिहासिक स्थलों को चुना गया है, उनकी सूची इस प्रकार है –
स्मारकों का नाम | जिला | राज्य |
राजरानी मंदिर परिसर | भुवनेश्वर | ओडिशा |
दूल्हादेव मंदिर, खजुराहो | छतरपुर | मध्य प्रदेश |
शेख चिल्ली मकबरा, थानेसर | कुरुक्षेत्र | हरियाणा |
सफदरजंग मकबरा | दिल्ली | दिल्ली |
हुमायूँ का मकबरा | दिल्ली | दिल्ली |
कर्नाटक के पट्टडक्कल में स्मारकों का समूह | भागलकोट | कर्नाटक |
गोल गुम्बज | विजयपुर | कर्नाटक |
मंदिरों का समूह, मारकंडा, चामुर्सी | गढ़चिरोली | महाराष्ट्र |
मान महल, वेधशाला | वाराणसी | उत्तर प्रदेश |
रानी-की-वाव | पाटन | गुजरात |
पर्यटन के क्षेत्र में सर्वाधिक रोजगार देने वाला देश है भारत
पर्यटन को बढ़ावा देने से देश के युवाओं को रोजगार के भरपूर अवसर मिल रहे हैं। भारत विश्व में पर्यटन के क्षेत्र में सबसे अधिक रोजगार देने वाला देश है। भारत पर्यटन के क्षेत्र में दुनिया का सबसे बड़ा नियोक्ता है। जिन लोगों को रोजगार मिला है, उनमें ज्यादातर गरीब हैं। भारत में करीब 8.21 करोड़ लोगों को पर्यटन के क्षेत्र में रोजगार मिला हुआ है। विदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मंत्रालय ने अमेरीका, यूरोप, चीन सहित देशों में कई अभियान चलाए हैं, जिससे भारत विदेशी पर्यटकों के लिए पसंदीदा जगह बनता जा रहा है।
165 देशों के नागरिकों के लिए E-वीजा की मियाद बढ़ी
पर्यटन को और बढ़ावा देने के मकसद से मोदी सरकार 165 देशों के नागरिकों को E-वीजा सुविधा दे रही है। यह सुविधा 25 हवाई अड्डों और पांच बंदरगाहों पर मिल रही है। पर्यटकों की सुविधा के लिए चौबीस घंटे खुली रहने वाली बहुभाषी हेल्पलाइन की भी शुरूआत की गई है। वीजा ऑन अराइवल (विदेशियों के स्वदेश आगमन के बाद उन्हें वीजा उपलब्ध कराने) सुविधा और E-टूरिज्म वीजा का प्रारंभ होने से भी भारत आने वाले पर्यटकों को बढ़ावा मिला है। E-वीजा की सुविधा मिलने के बाद से भारत के प्रति विदेशी सैलानियों की रुचि और बढ़ी है और वे बड़ी संख्या में भारत आ रहे हैं। इस E-वीजा की वैधता की सीमा को भी 30 दिन से बढ़ाकर 60 दिन कर दिया गया है। साथ ही भारत आने वाले पर्यटकों को वेलकम कार्ड देने की भी शुरुआत की जा चुकी है, जिससे सैलानियों को सभी महत्वपूर्ण जानकारियां एक ही स्थान पर मिल जाएं और उन्हें किसी भी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े।
साहित्य-संस्कृति और कला का सम्मोहन
भारत जैसे विविधताओं से भरे देश में पर्यटन कितना अधिक महत्व रखता है, इस तथ्य से प्रधानमंत्री भली-भांति परिचित हैं, इसीलिए इस विषय में वे व्यक्तिगत रुचि लेते हैं। इसके लिए प्रधानमंत्री ने खुद अपने स्तर पर दुनिया-भर में जाकर भारत के पर्यटन क्षेत्र के प्रति दुनिया के आकर्षण को बढ़ावा दिया है। यहां जो सौंदर्य कश्मीर में दिखता है, केरल उस से बिल्कुल अलग है। राजस्थान और बंगाल की प्राकृतिक संपदा की कोई तुलना नहीं है। पूरी दुनिया में कहीं और शायद ही यह देखने को मिले कि सभी की रुचियों के अनुकूल पर्यटन एक ही देश में मिल जाए। चाहे प्राकृतिक सौंदर्य हो या नवीनतम तकनीक, संगीत-साहित्य हो या योग-अध्यात्म, भारत के समान अनेकता में एकता कहीं और नहीं।
आस्था का आकर्षण
देश के विभिन्न भागों में आयोजित किये जाने वाले वार्षिक साहित्योत्सव देश की कला और साहित्य की समृद्ध परम्परा की स्पष्ट झांकी प्रस्तुत करते हैं। यह अपने-आप में इतने आश्चर्य की बात है कि ये कलाएं उन्हें इतना आकर्षित करती हैं कि वे स्वयं इनसे जुड़ने को लालायित हो जाते हैं। यही कारण है कि भारत में ऐसे विदेशियों की संख्या भी अच्छी-खासी है, जो कोई न कोई भारतीय कला सीख रहे हैं। यहां के भांति-भांति के पकवान अपना एक अलग ही आकर्षण रखते हैं। ये सभी पर्यटकों के लिए भारत को एक बेमिसाल जगह बना देते हैं, जिसे वे जीवन-भर भूल नहीं पाते और भारत यात्रा को दोहराना चाहते हैं। भारत की अतुल्यता और अध्यात्म हमेशा से विश्व के लिए उत्सुकता का विषय रहा है, इसीलिए सरकार आध्यात्मिक पर्यटन और तीर्थ पर्यटन को बढ़ावा देने पर विशेष रूप से ध्यान दे रही है। कई ऐसी योजनाएं भी इस समय प्रगतिशील हैं, जो भारत के आध्यात्मिक महत्त्व को केंद्र में रख बनाई गई हैं। हमारी पूज्य नदी गंगा केवल भारतीयों की आस्था का प्रतीक-भर नहीं है। इसका प्रभाव विदेशियों तक पर समान है, इसलिए अध्यात्म भारत का एक बहुत बड़ा आकर्षण है। इससे भी पर्यटन क्षेत्र की क्षमता का और अधिक उपयोग हो सकेगा। चाहे गंगा के घाट हों या लद्दाख के बौद्ध स्थल, इनका आकर्षण कभी कम नहीं हुआ, न देश में, न विदेश में।
स्वदेश दर्शन के द्वारा प्रोत्साहन
विदेशी पर्यटन को बढ़ावा देने वाली अनेक योजनाओं को प्रारंभ करने के अतिरिक्त देशी पर्यटन को प्रोत्साहित करने और लोगों में अपनी विरासत के प्रति जागरुकता देने की दिशा में भी कई प्रयास किये गए हैं। इसके लिए सरकार ने ‘स्वदेश दर्शन’ नाम की योजना शुरू की है। केंद्र सरकार स्वदेश दर्शन की थीम पर टूरिस्ट सर्किट का विकास कर रही है। इसके तहत 13 सर्किट की पहचान की गई है- पूर्वोत्तर भारत सर्किट, बौद्ध सर्किट, हिमालयन सर्किट, तटीय सर्किट, कृष्णा सर्किट, मरुस्थल सर्किट, जन-जातीय सर्किट, इको सर्किट, वन्यजीव सर्किट, ग्रामीण सर्किट, आध्यात्मिक सर्किट, रामायण सर्किट, और विरासत सर्किट।
प्रसाद योजना
इस योजना के अंतर्गत देश में धार्मिक महत्व के 25 स्थलों की पहचान की गई है। यह है अमरावती ( आन्ध्र प्रदेश), अमृतसर (पंजाब), अजमेर (राजस्थान), अयोध्या (उत्तरप्रदेश), बद्रीनाथ (उत्तराखंड), द्वारका (गुजरात), देवघर (झारखंड), बेलूर (पश्चिम बंगाल), गया ( बिहार), गुरुवायुर (केरल), हजरतबल ( जम्मू कश्मीर), कामाख्या ( असम), कांचीपुरम ( तमिलनाडु), कटरा ( जम्मू कश्मीर), केदारनाथ ( उत्तराखंड), मथुरा (उत्तर प्रदेश), पटना (बिहार), पुरी (ओडिशा), श्रीसेलम (आंध्रप्रदेश), सोमनाथ (गुजरात),तिरुपति (आंध्रप्रदेश), त्रम्बकेश्वर (महाराष्ट्र), उज्जैन (मध्य प्रदेश), वाराणसी ( उत्तर प्रदेश) और वेलानकनी (लमिलनाडु)।
भारत में पारंपरिक पर्यटन क्षेत्रों के अतिरिक्त कई अन्य आकर्षण भी हैं, जिनमें विशिष्ट क्षेत्र हैं— क्रूज, चिकित्सा, निरोगता (Wellness), गोल्फ, पोलो, प्रदर्शनी, इको पर्यटन, फिल्म पर्यटन और सतत पर्यटन।
स्वच्छता और नई टेक्नोलॉजी से मिलेगी गति
सदियों से विदेशियों की दृष्टि में भारत की छवि एक गंदे स्थान के रूप में रही है। मोदी सरकार ने इस कड़वी सच्चाई की कभी अनदेखी नहीं की। उसने जहां एक ओर पर्यटन को बढ़ावा देने वाली बड़ी नीतियां बनाई तो दूसरी तरफ देश में स्वच्छता संबंधी योजनाओं के द्वारा जागरुकता का माहौल भी बनाया। सुखद यह है कि इन योजनाओं को भारी जन समर्थन और सफलता मिली। स्वच्छ भारत अभियान, स्वच्छता ही सेवा जैसे अनेक उदाहरण अपनी पूर्ण सफलता के साथ हमारे सामने हैं। इनके साथ नई तकनीक के समन्वय ने इसे और गति दी है। ये सफलताएं इस बात का विश्वास दिलाती हैं कि भारतीय पर्यटन उद्योग मोदी सरकार में नई ऊंचाइयों को छू रहा है।
“ये बात सही है कि टूरिज्म सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला क्षेत्र है। गरीब से गरीब व्यक्ति कमाता है और जब टूरिस्ट, टूरिस्ट डेस्टिनेशन पर जाता है। टूरिस्ट जाएगा तो कुछ न कुछ तो लेगा। अमीर होगा तो ज्यादा खर्चा करेगा और टूरिज्म के द्वारा बहुत रोजगार की संभावना है। विश्व की तुलना में भारत टूरिज्म में अभी बहुत पीछे है। लेकिन हम 125 करोड़ देशवासी तय करें कि हमें अपने टूरिज्म को बल देना है तो हम दुनिया को आकर्षित कर सकते हैं। विश्व के टूरिज्म के एक बहुत बड़े हिस्से को हमारी ओर आकर्षित कर सकते हैं और हमारे देश के करोड़ों-करोड़ों नौजवानों को रोजगार के अवसर उपलब्ध करा सकते हैं। सरकार हो, संस्थाएं हों, समाज हो, नागरिक हों, हम सब को मिल करके ये काम करना है”।
– नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री ( मन की बात-26 मार्च, 2016)