नहीं दिखेंगा मध्य प्रदेश के नगरीय निकाय चुनाव में राजनीतिक दलों के चुनाव चिन्ह, महापौर और अध्यक्ष का चुनाव पार्षद करेंगे

भोपाल। मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने नगरीय निकाय चुनाव को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है। अब प्रदेश में होने वाले आगामी नगरीय निकाय चुनावों में राजनीतिक दल अपने चुनाव चिन्ह का इस्तेमाल नहीं कर सकती हैं। इस बार प्रत्याशियों को अलग से ही चुनाव चिन्ह आवंटित जाएंगे। इसी के साथ अब तक जिन नगर निगमों, नगर पालिकाओं और नगर परिषदों में महापौर और अध्यक्ष का चुनाव जनता करती थी अब उनका चुनाव पार्षद करेंगे।

नगरीय निकाय चुनावों में संशोधन के लिए वरिष्ठ सचिव समिति सहित विधि विभाग की मंजूरी भी मिल गई है। चुनाव प्रक्रिया में परिवर्तन के लिए कानून में संशोधन के प्रावधान को कमलनाथ सरकार मंत्रिमंडल की अगली कैबिनेट बैठक में रख सकती है। जिसके बाद यह तय हो जाएगा कि निकाय चुनाव किसी पार्टी के चुनाव चिन्ह पर नहीं होंगे। प्रस्ताव को कैबिनेट में मंजूरी के बाद अध्यादेश जारी किया जाएगा। साथ ही अब नगरीय निकायों में परिसीमन दो महीने पहले तक हो सकेगा। अब तक चुनाव के छह महीने पहले परिसीमन अनिवार्य था जो अब दो महीने कर दिया गया है।

मिली जानकारी के मुताबिक नगरीय निकाय चुनाव संशोधन को लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ की यह सोच है कि नगरीय निकाय आम जनता की सेवा में प्रत्यक्ष रूप से जुड़े होते हैं। यहां राजनीतिक या दलगत राजनीति के चलते विकास के कार्य बाधित होते हैं। जिससे छुटकारा पाने के लिए नगरीय निकायों में राजनीतिक दलों के चुनाव चिन्हों पर चुनाव ना करवाकर जनता से जनप्रतिनिधि को सीधेतौर पर जोड़ने की कवायद होगी। तो वहीं विपक्ष का इस मामले पर तर्क है कि प्रदेश में कांग्रेस की जमीन खिसकी हुई है। जिसके चलते आगामी नगरीय निकाय चुनाव में हार के डर से मध्यप्रदेश की सत्ता पर काबिज कांग्रेस की कमलनाथ सरकार राजनीतिक दलों के चुनाव चिन्ह पर चुनाव नहीं करवाना चाहती।

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