वर्ष में आती है अनेक संक्रांतियां : जानिए क्यों होती है सबसे प्रधान मकर संक्रांति बताया इंदुभवानंद महाराज ने महत्व किन्हें होगा लाभ और किन्हें होगी हानि

रायपुर।

 हम मकर संक्रांति के विषय में चर्चा कर रहे हैं। जानिए वर्ष में अनेक सक्रांतियां होती है लेकिन सबसे प्रधान संक्रांति मकर संक्रांति होती है। मकर संक्रांति इसलिए भी प्रधान होती है कि जितने भी शुभ कार्य होते हैं वे मकर संक्रांति से प्रारंभ हो जाते हैं। इसको देवताओं का दिन माना जाता है। इस वर्ष मकर संक्रांति आज 14 जनवरी 2025 मंगलवार को है। ये बातें शंकराचार्य आश्रम बोरियाकला रायपुर के प्रमुख बाल ब्रह्मचारी डॉक्टर इंदु भवानंद महाराज ने कही है।

महाराज जी ने बताया कि पंचांग की दृष्टि से हम विचार करें तो संवत 2081,साली वाहन सके 1940, पिंगल नाम का संवतसर, शीसीर ऋतु,माघ मास, कृष्ण पक्ष,मंगलवार, नक्षत्र की दृष्टि से पुनर्वसो नक्षत्र और संक्रमण के काल में पुष्य नक्षत्र,बिस्कुम्भ योग, बालों करण और इष्टकाल 21:37 अर्थात टाइम की दृष्टि से समय की दृष्टि से देखें तो 3 बज कर 36 मिनट पर भुवन भास्कर सूर्यनारायण मकर राशि में प्रवेश करेंगे। कहीं-कहीं 3 बज कर 45 बजे पर भी आया है तो बहुत अंतर नहीं है। ये केवल 9 मिनट का अंतर है। जिस समय सूर्य भास्कर मकर राशि में जाएंगे तो उसे समय मिथुन लग्न रहेगी। कर्क राशि रहेगी और उसे समय भगवान भुवन भास्कर संक्रमण करेंगे। उसका पुण्य कल आज ही रहेगा अर्थात 14 जनवरी को ही रहेगा तो 3 बजकर 36 मिनट से लेकर सूर्यास्त तक ही स्नान का विधान है और दूसरे दिन जो लोग चर्चा करते हैं कि 15 को पुण्य कल रहेगा लेकिन नहीं रहेगा। आज से ही देवताओं का दिन हो जाएगा और दैत्यों की रात्रि हो जाएगी।

ज्योतिष की दृष्टि से सूर्य संक्रमण जब करते हैं और मकर राशि में जब भुवन भास्कर सूर्य नारायण जाते हैं तो जिन तिथि में,जिस समय, जिन कल में,जिस योग में, जिस करण में वह प्रवेश करते हैं तो उसका विचार किया जाता है तो विचार की दृष्टि से हमें देखते हैं कि ये जो सूर्य संक्रमण है ये  माघ मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को मंगलवार को हो रहा है, इसलिए माघ की जो संक्रांति है वह उत्तम मानी जाती है, श्रेष्ठ मानी जाती है और लोगों को सुख और आनंद देने वाली होती है।

सबके घर में आनंद होता है, सबको सुख की प्राप्ति होती है और कृष्ण पक्ष के होने से ये ज्यादा सुख चोरों को देने वाली है, तस्करों को देने वाली है,पाखंडी लोग भी इससे सुखी रहते हैं। पुष्य नक्षत्र में संक्रमण है तो पुष्य नक्षत्र अत्यंत श्रेष्ठ नक्षत्र माना जाता है। इस सौभाग्य की वृद्धि करने वाला होता है तो इस वर्ष लोगों के सौभाग्य की वृद्धि होगी। पृथ्वी में सभी प्राणी सुखी रहेंगे और सभी लोग आनंद मनाएंगे।

प्रतिपदा तिथि को नंदा तिथि माना जाता है तो नाम से ही आप समझ लीजिए नंदा तिथि में सूर्य का संक्रमण हो रहा है तो ये सभी लोगों को आनंद देने वाली होगी, सब लोगों को सुख देने वाली है। पर मंगलवार के दिन सूर्य का संक्रमण हो रहा है तो भूमि पर रोगों की वृद्धि होगी,अग्नि आदि उत्पात होंगे, वायु का विग्रह होगा, नमक,सब्जी,खारे पदार्थ, तिल तेल आदि रस पदार्थ इनकी वृद्धि होगी और कपूर,कस्तूरी, चंदन जो सुगंधित वस्तुएं हैं उनके भाव में भी वृद्धि हो सकती है।

विस कुंभ योग में संक्रमण होने से इस वर्ष अच्छी वृष्टि होगी और लोग आनंद में रहेंगे और वर्षा से लोगों को सुख की प्राप्ति होगी। और व्याग्र वाहन है,व्याग्र वाहन होने से आप समझ लीजिए सूर्य अत्यंत प्रचंड रहेंगे, उनकी बड़ी तेज धूप रहेगी, विंध्याचल नामक पर्वत पर जंगली पशुओं को कष्ट होगा, अश्व के उपवाहन रहने से आप समझिए कि बाजार में बहुत सारी वस्तुएं सस्ती भी हो जाएगी।

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