कोरोना काल के बीच भी होगा जल्लीकट्टू कार्यक्रम, सरकार ने इन शर्तों के साथ दी इजाजत
चेन्नई। कोरोना महामारी को देखते हुए तमिलनाडु सरकार ने जल्लीकट्टू को लेकर बड़ा फैसला लिया है। बताया जा रहा है कि सरकार ने जल्लीकट्टू कार्यक्रम को इजाजत दे दी है। हालांकि, कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए कुछ पाबंदियां भी लगाने की घोषणा की है। खबर के अनुसार, तमिलनाडु सरकार ने कहा है कि जल्लीकट्टू में 150 से ज्यादा खिलाड़ी हिस्सा नहीं ले सकेंगे। सभी खिलाड़ियों पर कोरोना नेगेटिव सर्टिफिकेट भी होना चाहिए। ज्ञात हो कि यह कार्यक्रम अगले साल जनवरी के दूसरे हफ्ते में होना है।
तमिलनाडु में कोरोना केसों को लेकर बात करें तो अबतक वहां 8,09,014 कोरोना मरीज मिल चुके हैं। इसमें से 7,87,611 लोग ठीक हो चुके हैं वहीं 12,012 जान गंवा चुके हैं। फिलहाल तमिलनाडु में 9,391 के करीब कोरोना केस एक्टिव हैं।
जल्लीकट्टू के लिए सरकार की गाइडलाइंस
- 300 से ज्यादा सांड मालिक वहां मौजूद नहीं हो सकते
- येरुथु विदुम इवेंट में 150 से ज्यादा लोग हिस्सा नहीं ले सकते.
- कुल क्षमता के 50 फीसदी दर्शकों को ही कार्यक्रम में शामिल होने की अनुमति होगी
- सभी दर्शकों की भी थर्मल स्क्रीनिंग होगी
- सभी सांड मालिक और पालकों का कोरोना टेस्ट होगा
- सभी के लिए फेस मास्क जरूरी होगा
जल्लीकट्टू क्या है
जल्लीकट्टू तमिलनाडु का एक परंपरागत खेल है, जिसमें बैल को काबू करना होता है। यह खेल काफी सालों से तमिलनाडु में लोगों द्वारा खेला जाता रहा है। तमिलनाडु में मकर संक्रांति का पर्व पोंगल के नाम से मनाया जाता है। इस खास मौके पर जल्लीकट्टू के अलावा बैल दौड़ का भी काफी जगहों पर आयोजन किया जाता है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि जल्लीकट्टू तमिल शब्द सल्ली और कट्टू से मिलकर बना है। जिनका मतलब सोना-चांदी के सिक्के होता है जो कि सांड के सींग पर टंगे होते हैं। बाद में सल्ली की जगह जल्ली शब्द ने ले ली।
जल्लीकट्टू एक खतरनाक खेल
गौरतलब है कि जल्लीकट्टू एक खतरनाक खेल माना जाता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 2010 से 2014 के बीच जल्लीकट्टू खेलते हुए 17 लोगों की जान गई थी और 1,100 से ज्यादा लोग जख्मी हुए थे। वहीं पिछले 20 सालों में जल्लीकट्टू की वजह से मरने वालों की संख्या 200 से भी ज्यादा रही है।