किसान आंदोलन : ग्रेटा के टूलकिट से विदेशी साजिश बेनकाब, दिल्ली पुलिस ने क्रिएटर्स के खिलाफ दर्ज की FIR
नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के मामले में चल रही जांच को लेकर गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मीडिया के साथ कई अहम जानकारियां साझा कीं। इस दौरान दिल्ली पुलिस से जब यह पूछा गया कि क्या पुलिस FIR में ग्रेटा थनबर्ग (GretaThunberg) का नाम भी शामिल है? इस पर स्पेशल पुलिस कमिश्नर प्रवीर रंजन ने कहा कि हमने FIR में अभी किसी का नाम शामिल नहीं किया है, यह केवल टूलकिट के क्रिएटर्स के खिलाफ दर्ज की गई है जो जांच का विषय है। दिल्ली पुलिस की साइबर से उस मामले की जांच करेगी। हमने IPC की धाराओं 124A, 153A, 153, 12OB के तहत केस दर्ज किया है।
प्रवीर रंजन ने कहा कि दिल्ली पुलिस सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर गहनता से नजर बनाए हुए है। पुलिस ने इस मॉनिटरिंग के दौरान 300 से ज्यादा ऐसे प्लैटफॉर्म्स की पहचान की है जिनका इस्तेमाल भारत सरकार के खिलाफ नफरत फैलाने और देश का साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के उद्देश्य से किया जा रहा था। इनका इस्तेमाल कुछ वेस्टर्न इंटरेस्ट ऑर्गनाइजेशनों द्वारा किया जा रहा है, जो किसान आंदोलन के नाम पर भारत सरकार के खिलाफ गलत प्रचार कर रहे हैं।
मीडिया को संबोधित कर रहे हैं दिल्ली पुलिस के स्पेशल पुलिस आयुक्त
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— डीडी न्यूज़ (@DDNewsHindi) February 4, 2021
गौरतलब है कि स्वीडन की रहने वाली पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने भारत में किसान आंदोलन के समर्थन में बुधवार शाम को एक ट्वीट किया था, जिसे उन्होंने बाद में डिलीट भी कर दिया। इसके बाद ग्रेटा थनबर्ग को जमकर ट्रोल किया गया। दरअसल ग्रेटा थनबर्ग ने एक गूगल डॉक्यूमेंट फाइल शेयर की थी, जिसमें किसान आंदोलन के समर्थन में सोशल मीडिया कैंपेन का शेड्यूल शेयर किया गया था। यही नहीं, इस फाइल को शेयर करते हुए ग्रेटा थनबर्ग ने ‘टूलकिट’ शब्द का इस्तेमाल किया था, जिसके चलते वह निशाने पर आ गई हैं।
इस डॉक्यूमेंट फाइल में भारत सरकार पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव बनाने की कार्ययोजना साझा की गई थी। भले ही ग्रेटा ने गलती को समझते हुए अपना ट्वीट डिलीट कर दिया है, लेकिन तब तक कई जगहों पर उनकी फाइल का स्क्रीनशॉट शेयर होने लगा था। ग्रेटा थनबर्ग ने ट्वीट में भारत की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी को फासीवादी पार्टी तक करार दिया था। उनके ट्वीट की इस भाषा को लेकर सवाल उठाया जा रहा है कि क्या वह भी प्रॉपेगेंडा का हिस्सा हैं।