समाजवादी पार्टी संरक्षक मुलायम सिंह पर मायावती हुई मुलायम, गेस्ट हाउस केस लिया वापस
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में पिछले तीन दशक से सियासत की सबसे चर्चित घटना जिसके आधार पर कई गठबंधन और समीकरण बने और बिगड़े। करीब 24 साल पहले स्टेट गेस्ट हाउस कांड जिसने न सिर्फ मायावती और मुलायम सिंह के बीच की अदावत को जन्म दिया बल्कि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की राजनीतिक दुश्मनी को व्यक्तिगत दुश्मनी में तब्दिल कर दिया। लेकिन वक्त के साथ हर जख्म भर जाता है और दुश्मनी का रंग भी हल्का पड़ने लगता है। दरअसल, मायावती गेस्ट हाउस कांड में सिर्फ मुलायम सिंह यादव पर नरम हो रही है। सूत्रों के मुताबिक बसपा प्रमुख ने तत्कालीन मुलायम सिंह यादव के खिलाफ कोर्ट में मुकदमा वापसी की अर्जी दी है। मामले में मुलायम सिंह यादव, उनके भाई शिवपाल सिंह यादव, बेनी प्रसाद वर्मा और आजम खान सहित कई नेताओं के खिलाफ मायावती की ओर से हजरतगंज थाने में मुकदमा दर्ज करवाया गया था। बाकि अन्य लोगों के खिलाफ केस चलता रहेगा।
मायावती के नरमी के पीछे अखिलेश यादव के मायावती के साथ मिल महागठबंधन बनाने से हुई। खबरों के अनुसार 12 जनवरी को एसपी-बीएसपी के बीच लोकसभा चुनाव के लिए हुए गठबंधन के दौरान ही इसकी भूमिका बनी थी। सपा के शीर्ष नेतृत्व ने मायावती से मुलायम के खिलाफ मुकदमा वापस लेने का अनुरोध किया था। मायावती ने 19 अप्रैल को मैनुपरी में मुलायम के साथ 24 साल बाद न केवल मंच साझा किया बल्कि उनके लिए वोट भी मांगे थे। इस दौरान भी मायावती ने गेस्ट हाउस कांड का जिक्र करते हुए इसे भूलने की वजह भी गिनाई थी। वहीं, मुलायम ने कहा था, ‘मायावतीजी ने बहुत साथ दिया है। इनका अहसान कभी मत भूलना।’ हालांकि चुनाव के बाद यह गठबंधन टूट गया।
गौरतलब है कि 1993 के दौर में मिले मुलायम कांशीराम हवा में उड़ गए जय श्रीराम के नारे के साथ 1993 के यूपी चुनाव में बसपा और सपा में गठबंधन हुआ था। जिसकी बाद में जीत हुई। मुलायम सिंह यादव यूपी के मुख्यमंत्री बने, लेकिन आपसी खींचतान के चलते 2 जून 1995 को बसपा ने सरकार से समर्थन वापसी का एलान कर दिया। इससे मुलायम सरकार अल्पमत में आ गई। इससे नाराज सपा कार्यकर्ताओं ने सांसद, विधायकों के नेतृत्व में लखनऊ के मीराबाई मार्ग स्थित स्टेट गेस्ट हाउस का घेराव कर शुरू कर दिया। घंटों ड्रामा चला। पुलिस मूकदर्शक बनी रही। बाद में भाजपा के हस्तक्षेप और मामला राजभवन पहुंचने पर पुलिस सक्रिय हुई। उस दौरान बसपा सुप्रीमो वहां कमरा नंबर- 1 में रुकी हुईं थीं। उनके साथ बसपा विधायक और कार्यकर्ता भी मौजूद थे। इस दौरान सपा कार्यकर्ताओं ने बसपा के लोगों से मारपीट कर उन्हें बंधक बना लिया। इस कांड में हजरतगंज कोतवाली में तीन मुकदमे दर्ज हुए।