Narsimha Jayanti 2021: भगवान नृसिंह जयंती आज , जानिए महत्व और कथा

धर्म डेक्स। वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन भगवान विष्णु नृसिंह अवतार के रूप में खंभे से प्रकट हुए थे। इसलिए इस दिन नृसिंह जयंती मनाई जाती है। भगवान नृसिंह को शक्ति, पराक्रम तथा शत्रुओं के नाशक के रूप में जाना जाता है। इस साल नृसिंह जयंती 25 मई 2021 मंगलवार को आ रही है। इस दिन नृसिंह भगवान का पूजन करके जीवन के संकटों का नाश करने की कामना की जाती है।

नृसिंह अवतार भगवान विष्णु के प्रमुख 10 अवतारों में से एक है। नृसिंह अवतार में भगवान विष्णु ने आधा मनुष्य व आधा शेर का शरीर धारण करके दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यपु का वध किया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार एक समय कश्यप नामक ऋषि हुए थे। उनकी पत्नी का नाम दिति था। उनके दो पुत्र हुए, जिनमें से एक का नाम हरिण्याक्ष तथा दूसरे का हिरण्यकश्यपु था। हिरण्याक्ष को भगवान विष्णु ने पृथ्वी की रक्षा के लिए वराह अवतार धारण कर मार दिया था। अपने भाई की मृत्यु का प्रतिशोध लेने के लिए हिरण्यकश्यपु ने ब्रह्माजी की कठोर तपस्या करके अजेय होने का वरदान प्राप्त कर लिया। उसने वरदान पा लिया किवह किसी के भी द्वारा मारा ना जाए। न मनुष्य से न पशु से। न दिन में न रात में, न जल में न थल में। वरदान के फलस्वरूप उसने स्वर्ग पर भी अधिकार कर लिया। वह अपनी प्रजा पर भी अत्याचार करने लगा। इसी दौरान हिरण्यकश्यपु की पत्नी कयाधु ने एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम प्रहलाद रखा गया। एक राक्षस कुल में जन्म लेने के बाद भी प्रहलाद भगवान नारायण का परम भक्त था और वह सदा अपने पिता द्वारा किए जा अत्याचारों का विरोध करता था।

नृसिंह अवतार भगवान विष्णु के प्रमुख 10 अवतारों में से एक है। नृसिंह अवतार में भगवान विष्णु ने आधा मनुष्य व आधा शेर का शरीर धारण करके दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यपु का वध किया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार एक समय कश्यप नामक ऋषि हुए थे। उनकी पत्नी का नाम दिति था। उनके दो पुत्र हुए, जिनमें से एक का नाम हरिण्याक्ष तथा दूसरे का हिरण्यकश्यपु था। हिरण्याक्ष को भगवान विष्णु ने पृथ्वी की रक्षा के लिए वराह अवतार धारण कर मार दिया था। अपने भाई की मृत्यु का प्रतिशोध लेने के लिए हिरण्यकश्यपु ने ब्रह्माजी की कठोर तपस्या करके अजेय होने का वरदान प्राप्त कर लिया। उसने वरदान पा लिया किवह किसी के भी द्वारा मारा ना जाए। न मनुष्य से न पशु से। न दिन में न रात में, न जल में न थल में। वरदान के फलस्वरूप उसने स्वर्ग पर भी अधिकार कर लिया। वह अपनी प्रजा पर भी अत्याचार करने लगा। इसी दौरान हिरण्यकश्यपु की पत्नी कयाधु ने एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम प्रहलाद रखा गया। एक राक्षस कुल में जन्म लेने के बाद भी प्रहलाद भगवान नारायण का परम भक्त था और वह सदा अपने पिता द्वारा किए जा अत्याचारों का विरोध करता था।

अपने पुत्र को नारायण भक्ति से हटाने के लिए हिरण्यकश्यपु ने कई प्रयास किए, उस पर कई अत्याचार भी किए लेकिन प्रहलाद अपने पथ से विचलित नहीं हुआ। वह अपने पिता को सदा यही कहता था किआप मुझ पर कितना भी अत्याचार कर लें मुझे नारायण हर बार बचा लेंगे। इन बातों से क्रोधित होकर हिरण्यकश्यपु ने उसे अपनी बहन होलिका की गोद में बैठाकर जिंदा जलाने का प्रयास किया। होलिका को वरदान था किअग्नि उसे जला नहीं सकती थी। लेकिन जब प्रहलाद को होलिका की गोद में बिठा कर अग्नि के हवाले किया गया तो उसमें होलिका तो जलकर राख हो गई लेकिन प्रहलाद बच गया। इस घटना ने हिरण्यकश्यपु को भीषण क्रोध दिला दिया। उसने बोला कितू नारायण नारायण करता फिरता है, बता कहां है तेरा नारायण। प्रहलाद ने जवाब दिया पिताजी मेरे नारायण इस सृष्टि के कण कण में व्याप्त हैं। क्रोधित हिरण्यकश्यपु ने कहा कि’क्या तेरा भगवान इस खंभे में भी है? प्रह्लाद के हां कहते ही हिरण्यकश्यपु ने खंभे पर प्रहार कर दिया तभी खंभे को चीरकर भगवान विष्णु आधे शेर और आधे मनुष्य रूप में नृसिंह अवतार लेकर प्रकट हुए और उन्होंने हिरण्यकश्यपु का वध कर दिया। ब्रह्माजी का वरदान झूठा ना हो इसलिए भगवान विष्णु ने ऐसे समय और स्वरूप का चुनाव किया जिससे ब्रह्माजी के वरदान का मान रह गया।

नृसिंह पूजन की विधि

नृसिंह जयंती के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। अपने घर के पूजा स्थान में एक चौकी पर लाल श्वेत वस्त्र बिछाकर उस पर भगवान नृसिंह और मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें। समस्त सामग्री से पूजन करें। भगवान नृसिंह की पूजा में फल, पुष्प, पंचमेवा, कुमकुम केसर, नारियल, अक्षत व पीतांबर का प्रयोग करें। भगवान नृसिंह के मंत्र ऊं नरसिंहाय वरप्रदाय नम: मंत्र का जाप करें। जाप करते समय कुश का आसन बिछा लें और रूद्राक्ष की माला से जाप करें। दिन भर व्रत रखें।

भगवान नृसिंह की पूजा के लाभ

  • भगवान नृसिंह की पूजा और व्रत रखने का सबसे बड़ा लाभ शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। जो साधक नृसिंह जयंती के दिन भगवान नृसिंह का विधि विधान से पूजन करते हैं उन्हें शत्रुओं पर विजय मिलती है। कोर्ट कचहरी संबंधी मामलों में जीत हासिल होती है।
  • किसी भी प्रकार के आकस्मिक संकट के समय भगवान नृसिंह को याद करने से संकट से तुरंत मुक्ति मिलती है।
  • गर्भवती महिलाएं यदि प्रसव के समय भगवान नृसिंह के मंत्र का जाप करें तो उनका प्रसव सुखपूर्वक और बिना दर्द के हो जाता है।

चतुर्दशी तिथि कब से कब तक

  • चतुर्दशी तिथि प्रारंभ 24 मई को रात्रि 12.11 बजे से
  • चतुर्दशी तिथि पूर्ण 25 मई को रात्रि 8.31 बजे तक

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