कोरोना के खिलाफ वयस्कों से ज्यादा मजबूत हैं बच्चों की इम्युनिटी, खोले जा सकते हैं स्कूल, कई देशों में बंद ही नहीं हुए: केंद्र सरकार

नई दिल्ली। देश में बच्चों की लगातार ठप पढ़ी पढ़ाई से चिंतित लोग अकसर यह सवाल पूछते हैं कि आखिर स्कूल कब खुलेंगे? इस सवाल का जवाब देते हुए ICMR के महानिदेशक बलराम भार्गव ने मंगलवार को गुड न्यूज दी। उन्होंने कहा कि बच्चे कोरोना के खिलाफ काफी मजबूत हैं और वे वयस्कों के मुकाबले इससे ज्यादा अच्छे ढंग से निपट सकते हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों का भी एंटीबॉडी एक्सपोजर उतना और वैसा ही है, जैसा वयस्कों में है। उन्होंने कहा कि स्वीडन जैसे कई स्कैंडिनेवियन देशों ने तो कोरोना की किसी भी लहर के दौरान प्राइमरी स्कूलों को बंद ही नहीं किया।

उन्होंने कहा कि किशोरों के मुकाबले छोटे बच्चों में इम्युनिटी ज्यादा बेहतर होती है। बलराम भार्गव ने कहा कि देश में स्कूलों में को जब खोलने का विचार किया जाएगा तो सबसे बेहतर होगा कि प्राइमरी स्कूलों को पहले खोला जाए। सेकेंडरी स्कूलों के मुकाबले प्राइमरी स्कूलों को वरीयता दी जाए। हालांकि इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्राइमरी स्कूलों को खोलने से पहले यह सुनिश्चित करना होगा कि स्कूल के पूरे सपोर्ट स्टाफ का वैक्सीनेशन हो जाए। भार्गव ने कहा, ‘स्कूल बस के ड्राइवर, टीचर्स समेत सारे स्टाफ को टीका लगा होना चाहिए। तभी स्कूलों को खोलने की परमिशन मिलनी चाहिए।’

इसके साथ ही आईसीएमआर के महानिदेशक ने कोरोना के खतरे को देखते हुए सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक कार्यक्रमों में भीड़ जुटने से बचने की सलाह दी है। उन्होंने कहा, ‘देश में अब भी सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक आयोजनों को नहीं करना चाहिए। इसके अलावा बेवजह घूमने को भी प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए। जरूरी होने पर और पूरी तरह से टीकाकरण होने के बाद ही यात्रा की जानी चाहिए। जरूरी है कि देश में सभी हेल्थकेयर वर्कर्स का पूरी तरह से वैक्सीनेशन हो जाए। इसके अलावा हमें बुजुर्गों, महिलाओं आदि का वैक्सीनेशन तेज करना चाहिए।’

इसी दौरान संसद में कोरोना पर बहस का जवाब देते हुए हेल्थ मिनिस्टर मनसुख मांडविया ने कहा कि हमारी सरकार हमेशा यह कहती रही है कि कोरोना का यह संकट राजनीति की वजह नहीं होना चाहिए। इस संकट को लेकर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए। पीएम मोदी का कहना है कि जब देश के 130 करोड़ लोग एक कदम आगे बढ़ते हैं तो पूरा देश ही आगे बढ़ता है।

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