महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अत्याचार, चिंताजनक और शर्मनाक अब वक्त आगया लड़कों को चेताया जाए : वेकैंया नायडू
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने महिलाओं एवं लड़कियों के खिलाफ हाल में होने वाले अत्याचारों को ‘चिंताजनक’ और ‘शर्मनाक’ बताते हुए सोमवार को कहा कि समस्या से निपटने के लिए सिर्फ विधेयक ले आना काफी नहीं है, सामाजिक बुराइयों को खत्म करने के लिए राजनीतिक इच्छा शक्ति की जरूरत है। श्री नायडू ने कहा कि लड़कियां जब बाहर जाती हैं तो आमतौर पर उन्हें सतर्क रहने के लिए कहा जाता है लेकिन वक्त आ गया है कि लड़कों को चेताया जाए। फिक्की की ओर से यहां आयोजित एक सम्मेलन में उपराष्ट्रपति ने कहा कि हाल में सामाजिक भेदभाव या लैंगिंग भेदभाव या लड़कियों के खिलाफ अत्याचारों की घटनाएं सच में चिंताजनक हैं। हमें मामले को प्रभावी तरीके से निपटना होगा, कानून लाना काफी नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘ मैं अक्सर कहता हूं कि हमारे देश में, हमारी व्यवस्था में एक कमजोरी है कि जब भी कुछ होता है लोग कहते हैं विधेयक लाओ।’’
The Vice President, Shri M. Venkaiah Naidu at the inauguration of the FICCI ARISE Conference on School Education- 2019 organized by Federation of Indian Chambers of Commerce and Industry (FICCI), in New Delhi today. pic.twitter.com/gnFTvk3ntY
— Vice President of India (@VPSecretariat) December 9, 2019
श्री नायडू ने कहा कि सामाजिक कुरीतियों को खत्म करने के लिए राजनीतिक इच्छा शक्ति और प्रशासनिक कौशल की जरूरत है। उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ हमारे समाज में आम तौर पर, हम लड़कियों से कहना शुरू करते हैं कि ध्यान से रहना, सूरज ढलने से पहले वापस आ जाना, लेकिन वक्त आ गया है कि हम अपने लड़कों को चेताएं।’’ उन्होंने कहा जो हो रहा है वो ‘शर्मनाक’है। नायडू ने कहा, ‘‘ आप अखबारों में पढ़ते हैं कि पिता, बेटी से बलात्कार कर रहा है, शिक्षक विद्यार्थी से दुर्व्यवहार कर रहा है, विद्यार्थी शिक्षक से बदसलूकी कर रहा है। यह सब विपथन है, लेकिन हमें यह देखना चाहिए कि मूल्य एवं महिलाओं का सम्मान उन्हें शुरुआती स्तर पर सिखाया जाए।’’
उपराष्ट्रपति ने कहा कि वक्त की जरूरत मूल्य आधारित शिक्षा देने की है और जरूरत धैर्य, ईमानदारी, सम्मान, सहिष्णुता और सहानुभूति जैसे मूल्यों को मन में बैठाये जाने की है। नायडू ने इस बात पर भी जोर दिया कि प्राथमिक स्तर पर शिक्षा मुख्य रूप से मातृभाषा में दी जानी चाहिए क्योंकि छात्रों के लिए मृातभाषा में समझाना आसान होता है। उन्होंने कहा, ‘‘ अंग्रेजी सीखने में कुछ गलत नहीं है। यह भी एक जरूरत है। लेकिन बुनियाद मातृ भाषा में रखी जानी चाहिए। हमें अपनी नीति पर फिर से गौर करना चाहिए।’’ अर्थव्यवस्था के बारे में बोलते हुए, नायडू ने कहा कि यह एक ’अस्थायी मंदी’ का दौर हो सकता है, लेकिन देश की अर्थव्यवस्था अन्य राष्ट्रों की अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में बेहतर कर रही है।