मंगल ग्रह पर मिला सोच से भी ज्यादा पानी, वैज्ञानिकों को मिली बहुत बड़ी कामयाबी, पानी की दर्जनों झीलों का पता लगा, जीवन की उम्मीद बढ़ी
नई दिल्ली। तीन साल पहले वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह पर पानी होने की पुष्टि कर दी थी। वैज्ञानिकों ने तीन साल पहले पुष्टि करते हुए कहा था कि मंगल ग्रह पर पानी की कई झीलें हो सलकी हैं, जिनमें संभव है कि अभी भी पानी हो और अब एक नए अध्ययन से पता चलता है कि लाल ग्रह की सतह के नीचे एक मील से भी कम दूरी में दर्जनों झीलों सहित पहले की तुलना में अधिक पानी हो सकता है।
मंगल ग्रह पर पानी की दर्जनों झीलों के होने के बारे में पता नासा के वैज्ञानिकों ने लगाया है। नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के शोधकर्ताओं ने यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के मार्स एक्सप्रेस ऑर्बिटर के डेटा का विश्लेषण किया और 2018 में की गई खोज के समान मार्टियन दक्षिणी ध्रुव के आसपास दर्जनों रडार रिफ्लेक्शन को खोजने में कामयाबी हासिल की है। नासा द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक राडार सिग्नल मंगल के एक क्षेत्र में पाए गए थे, जिन्हें दक्षिण ध्रुवीय स्तरित क्षेत्र कहा जाता है। जहां पर वैज्ञानिकों को पानी, बर्फ का भंडार, सूखा बर्फ और धूल के बारे में पता चला है। इतना ही नहीं, रिसर्च में सामने आया है कि यहां पर लाखों सालों से बर्फ का भंडार मौजूद है।
नासा के मुताबिक, जिन इलाकों में बर्फ के भंडार मिले हैं, वो इतने ज्यादा ठंढे हैं कि वहां पानी तरल अवस्था में रह ही नहीं सकता है। इसके साथ ही वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह पर बर्फ के भंडार के बीच में नमकीन खनीजों की उपस्थिति का भी पता लगाया है, जिन्हें परक्लोरेट्स कहा जाता है और ये एक ऐसा तथ्य है, जो वैज्ञानिकों को काफी आश्चर्य में डाल रहा है। इस रिसर्च को लिखने वाले सह-लेखक और नासा के जेपीएल इन्वेस्टिगेटर जेफरी प्लाट ने कहा कि ‘हम अभी तक कनफर्म नहीं हो पाएं हैं कि जो सिग्नल हमें मिला है, वो लिक्विड पानी के हैं या नहीं। वो बर्फ तो बिल्कुल ही हैं।’ अब वैज्ञानिक अनुमान लगा रहे हैं कि मंगल ग्रह की सतह के नीचे या तो तरल पानी हो सकता है, या फिर मंगल ग्रह के दक्षिणी ध्रुव पर जो संकेत मिले हैं, वो किसी और चीज के हैं।
The south polar cap of Mars is beautiful — and sometimes a bit baffling. A new study by @NASAJPL scientists finds even more radar signals suggesting subsurface lakes there. The issue? Many are in areas that are just too cold for liquid water. Details: https://t.co/CZrytUHRWt pic.twitter.com/7JXDq8ofc4
— NASA Mars (@NASAMars) June 24, 2021
मंगल ग्रह के दक्षिणी ध्रुप पर पिछले 15 सालों से लगातार आंकड़ों का विश्लेषण किया जा रहा है और अब खोज से पता चला है कि मंगल ग्रह की सतह के नीचे एक मील के अंदर में दर्जनों झीलें मौजूद हैं। वहीं, मार्च में एक रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया था कि मंगल ग्रह का 33 से 99 प्रतिशत ‘लापता पानी’ इसकी पपड़ी के नीचे छिपा हो सकता है, और इसके बीछ अरबों साल पुरानी चट्टानें हैं, जिन्होंने अभी तक पानी को स्टोर करके रखा हुआ है। नासा के मुताबिक मंगल ग्रह की सतह का अनुमानित तापमान लगभग शून्य से 81 डिग्री फारेनहाइट (माइनस 63 डिग्री सेल्सियस) है, जो पानी के तरल रहने के लिए बहुत ठंडा होगा।
एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी के डॉक्टरेट छात्र आदित्य खुल्लर के मुताबिक, जिस क्षेत्र में तरल पानी की झीलें हो सकती हैं, वह दक्षिणी ध्रुव से सिर्फ 6 से 12 मील की दूरी पर है। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि ‘अगर पानी वास्तव में तरल है, तो यह भी संभव है कि यह ज्वालामुखी गतिविधि हो या फिर कुछ और हो’। खुल्लर ने कहा कि, “उन्होंने 2019 में एक रिसर्च में पाया कि इस पानी को तरल रखने के लिए मंगल ग्रह के भू-तापीय ताप प्रवाह का दोगुना समय लगेगा।” ‘इस मात्रा में गर्मी प्राप्त करने का एक संभावित तरीका ज्वालामुखी के माध्यम से है। हालांकि, हमने दक्षिणी ध्रुव पर हाल के ज्वालामुखी के लिए वास्तव में कोई मजबूत सबूत नहीं देखा है, इसलिए ऐसा लगता नहीं है कि ज्वालामुखी गतिविधि इस पूरे क्षेत्र में सब-सरफेस पर तरल पानी की मौजूदगी हो सकती है। वहीं, मई में शोधकर्ताओं ने मंगल ग्रह की सैटेलाइट तस्वीरों में ज्वालामुखी की खोज की थी, जो पिछले 50 हजार सालों में हुए विस्फोटों को दर्शाता है। यदि यह ज्वालामुखीय एक्टिव नहीं है, और पानी वास्तव में तरल है, तो शोधकर्ताओं का कहना है कि इसके मूल कारण का पता लगाने के लिए और अध्ययन की आवश्यकता है।