34 साल बाद मिली नई शिक्षा नीति को मंजूरी, स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलाव, जानिए क्या है इसकी खास बातें

न्यूज़ डेस्क। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी जिसमें स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलाव किये गए हैं, साथ ही शिक्षा क्षेत्र में खर्च को सकल घरेलू उत्पाद का 6 प्रतिशत करने तथा उच्च शिक्षा में साल 2035 तक सकल नामांकन दर 50 फीसदी पहुंचने का लक्ष्य है। सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संवाददाताओं को बताया कि प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में नयी शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई। उन्होंने बताया कि 34 साल से शिक्षा नीति में परिवर्तन नहीं हुआ था, इसलिए यह बेहद महत्वपूर्ण है।

इस नीति को कुछ इस तरह से बनाया गया है कि यह 21वीं सदी के उद्देश्यों को पूरा करने के साथ ही भारत की परंपराओं और वैल्यू सिस्टम से भी सुसंगत हो। इसको भारत के एजुकेशन स्ट्रक्चर के सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर बनाया गया है। माना जा रहा है इस नीति से भारतीय शिक्षा पद्धति में व्यापक बदलाव आ सकता है। आइए जानते हैं नई शिक्षा नीति 2020 से जुड़ीं प्रमुख बातें…

शिक्षा का अधिकार कानून का बढ़ा दायरा
नई शिक्षा नीति में शिक्षा का अधिकार (Right to Eductaion) कानून के दायरे को व्यापक बनाया गया है। अब 3 साल से 18 वर्ष के बच्चों को शिक्षा का अधिकार कानून, 2009 के अंदर लाया जाएगा।

प्रि-प्राइमरी एजुकेशन
इस नई शिक्षा नीति का उद्देश्य प्रि-प्राइमरी एजुकेशन (3 से 5 साल के बच्चों के लिए) को सभी के लिए 2030 तक उपलब्ध कराना है। इसके जरिए आधारभूत साक्षरता और अंको का ज्ञान सभी को उपलब्ध कराना लक्ष्य होगा।

रटने नहीं, ज्ञान के इस्तेमाल पर जोर
नई शिक्षा नीति के तहत बोर्ड एग्जाम रटने पर नहीं बल्कि ज्ञान के इस्तेमाल पर आधारित होंगे।

शिक्षा तक सभी की पहुंच
सभी को शिक्षा उपलब्ध कराने और ड्रॉपआउट्स को फिर से स्कूल से जोड़ने के लिए नई शिक्षा नीति का उद्देश्य होगा।

नया करीकुलर और शैक्षणिक स्ट्रक्चर
नई एजुकेशन पॉलिसी के तहत नया करीकुलर और शैक्षणिक स्ट्रक्चर को लागू किया जाएगा। बच्चों को आर्ट्स, साइंस, स्पोर्ट्स, ह्यूमनिटीज़ और वोकेशनल विषयों के बीच चुनने की ज्यादा छूट दी जाएगी।

5वीं तक मातृ भाषा में शिक्षा
पांचवी तक पढ़ाई के लिए होम लैंग्वेज, मातृ भाषा या स्थानीय भाषा माध्यम होगा। छठी कक्षा के बाद से ही वोकेशनल एजुकेशन की शुरुआत होगी।

स्कूलों में त्रिभाषा सिस्टम को स्कूलों में जारी रखना
1968 में जब से नई शिक्षा नीति को लागू किया गया, तभी से त्रिभाषा फार्मूला को फॉलो किया जा रहा है। बाद में 1986 और 1992 और 2005 की शिक्षा नीति में भी इसको जारी रखा गया। इस नई शिक्षा नीति में भी इस लागू रखा जाएगा।

छात्र पढ़ेंगे एक क्लासिकल लैंग्वेज
भारतीय क्लासिकल लैंग्वेज को बचाने के लिए हर छात्र 6-8वीं ग्रेड में एक क्लासिकल लैंग्वेज पढे़गा। इससे छात्र क्लासिकल लैंग्वेज को सीख पाएंगे।

फिजिकल एजुकेशन
सभी स्टूडेंट्स को स्कूल के सारे स्तरों पर फिजिकल ऐक्टिविटी और एक्सरसाइज में शामिल होंगे। इसमें स्पोर्टस्, योग, खेल, मार्शल आर्ट्स, डांस, बागाबानी और भी तमाम चीजें स्थानीय स्तर पर टीचर्स और सुविधाओं की उपलब्धता के आधार पर शामिल किया जाएगा।

राज्य स्कूल रेग्युलेटरी अथॉरिटी
राज्य स्तरीय स्वतंत्र स्टेट स्कूल रेग्युलेटरी अथॉरिटी बॉडी को बनाया जाएगा। यह इकाई हर राज्य के लिए होगी।

नेशनल रिसर्च फाउंडेशन
एक नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की जाएगी ताकि अलग अलग क्षेत्रों में रिसर्च के प्रस्तावों की फंडिंग की जा सके। उच्च शैक्षणिक संस्थानों में विश्वस्तरीय अनुसंधान और उच्च गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई पर जोर दिया गया है। अब हाइयर एजुकेशन में वर्ल्ड क्लास रिसर्च पर फोकस किया जाएगा।

राष्ट्रीय शिक्षा आयोग
नई शिक्षा नीति के तहत राष्ट्रीय शिक्षा आयोग भी बनाया जाएगा। भारत के प्रधानमंत्री इसकी अध्यक्षता करेंगे। यह देश में शिक्षा के विकास, मूल्यांकन और नीतियों लागू करने का काम करेगा।

लाइफ स्किल्स के विकास पर जोर
नई शिक्षा नीति बच्चों में जीवन जीने के जरूरी कौशल (life skills) और जरूरी क्षमताओं को विकसित किए जाने पर जोर देती है।

बदलेगा अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम का ढांचा
अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम का ढांचा भी बदला जाएगा। अब कोर्स के दौरान कई कक्षा से निकलने या प्रवेश करने के कई विकल्प दिए जाएंगे।

प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर लगेगी रोक
प्राइवेट स्कूलों को मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने से रोकने की सिफारिश की गई है।

उच्च गुणवत्ता और व्यापक शिक्षा
शिक्षा प्रणाली में बदलाव करते हुए उच्च गुणवत्ता और व्यापक शिक्षा तक सबकी पहुँच सुनिश्चित की गई है। इसके ज़रिए भारत का निरंतर विकास सुनिश्चित होगा साथ ही वैश्विक मंचों पर – आर्थिक विकास, सामाजिक विकास, समानता और पर्यावरण की देख – रेख, वैज्ञानिक उन्नति और सांस्कृतिक संरक्षण के नेतृत्व का समर्थन करेगा।

नीति में व्यावसायिक शिक्षा भी शामिल
इस नीति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा के साथ लीगल और मेडिकल कॉलेजों को छोड़कर सभी व्यावसायिक शिक्षाओं को इसके दायरे में लाया गया है।

कॉमन एंट्रेंस एग्जाम
केंद्र की नई शिक्षा नीति के तहत विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश के लिए कॉमन एंट्रेंस एग्जाम आयोजित किए जाएंगे।

खत्म होंगे एमफिल कोर्सेज
नई शिक्षा नीति के तहत एमफिल कोर्सेज को खत्म किया जा रहा है। सभी सरकारी और निजी उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए एक तरह के मानदंड होंगे।

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